महाबोधी महाविहार के लिए चलाया गया हस्ताक्षर अभियान
भूषण बनसोड के मार्गदर्शन में आयोजन

अमरावती/दि.25-शहर के सिद्धार्थ नगर के त्रिरत्न बुद्ध विहार में महाबोधी महाविहार के लिए हस्ताक्षर अभियान लिया गया. बोधगया का महाबोधी विहार बौद्धजनों के अधिकार में आए और 1948 का कानून रद्द किया जाए, इसके लिए रविवार 23 मार्च की सुबह 9 बजे से मंडल के अध्यक्ष भूषण बनसोड के मार्गदर्शन में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. भूषण बनसोड ने बताया कि, इ. पू. 563 में सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ और 29 वर्ष गृहस्थ जीवन बीताने के बाद उन्होंने गृहत्याग किया. 6 साल तक कठिन तपश्चर्या करने के बाद बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्ती हुई और संपूर्ण विश्व को उन्होंने शांति का संदेश दिया. इसके बाद सम्राट अशोक ने कुछ साल सत्ता संभालने के बाद शस्त्र त्याग दिए. और पुत्र मिलिंद व पुत्री संघमित्रा को धम्म को दान दिया और स्वयं भी धम्म के अनुयायी हो गए. 84 हजार स्तूप का निर्माण कर बुद्ध धम्म का प्रचार केला और इसमें प्रमुखता से बोधगया में महाविहार का निर्माण किया. परंतु पुष्यमित्र शुंग के कार्यकाल में बुद्ध धम्म का अस्तित्व नष्ट करने का भरपूर प्रयत्न किया गया. अनेक स्तूप और बुद्ध विहार का विद्रुपीकरण किया गया, परंतु महाबोधी विहार को विष्णू के अवतार की मान्यता देकर उस पर हिंदूओं का अधिराज्य शुरु किया. भारत देश अनेक जाती पंथ से बना है. किंतु बोधगया का महाबोधी विहार है जो बौद्धजनों का प्रतीक होने पर भी उनके अधिकार में नहीं. इसलिए महाबोधी महाविहार को बौद्धजनों के अधिकार में दिया जाए और 1949 का कानून रद्द किया जाए, इसके लिए यह हस्ताक्षर चलाये जाने की जानकारी भूषण बनसोड ने दी. हस्ताक्षर अभियान दौरान भूषण बनसोड सहित भीमराव वानखडे, मधुकर शृंगारे, रमेश देवडेकर, सहदेवराव वानखडे, बाबुलाल इंगले, गुणवंतराव शेलके, अमरदीप खिराडे, प्रतीक चोपडे, अमित कुलकर्णी तथा रेखा बनसोड, नंदा रायबोले, रेखा गावंडे, चंदा इंगले, उज्वला खडसे, भारती जवंजाल, सुजाता वानखडे, प्रिया गावंडे, कविता थोरात आदि सहित नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे. पांच हजार हस्ताक्षर कर यह ज्ञापन महामहीम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार दिया जाएगा, ऐसा भूषण बनसोड ने कहा.