* किसानों को निश्चित ही मिलेगी आय
अमरावती/ दि.25 – प्रकृति के लहरीपन के कारण किसानों को भारी नुकसान होता है. उसे पुरक या पर्याय के रुप में रेशम खेती की सहायता मिल सकती है. जिले का मौसम व पानी इसके लिए पोषक होने के कारण अच्छी फसल होगी. साथ ही मनरेगा अंतर्गत इसके लिए 2.95 लाख अनुदान होने के कारण किसानों पर ज्यादा भार न आते हुए उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
महारेशम अभियान के तहत जिले में 15 दिसंबर के अंत में किसानों तक इस बारे में जनजागृति की जाएगी. इस अभियान का जिलाधिकारी पवनीत कौर, जिला परिषद के सीईओ अविश्यांत पंडा व उपजिलाधिकारी (रोहयो) रामलंके ने बुधवार को हरी झंडी दिखाकर अभियान का शुभारंभ किया. जिला रेशम कार्यालय के माध्यम से कलम लगाने की रेशम कोश उत्पादन योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना व्दारा चलाया जा रहा है. अब रेशम विकास प्रोजेक्ट भी मनरेगा अंतर्गत चलाने को शासन ने मान्यता दी है.
किसान के पास पानी उपलब्ध रहने वाली बारामाही सिंचाई की एक एकड जमीन होना चाहिए. किसान प्रोजेक्ट या समूह में होना चाहिए, पात्र लाभार्थियों को कलम लगाने के लिए 500 रुपए व नर्सरी को 1 हजार रुपए पंजीयन फीस जमा करना पडेगा. किसान के पास उसका पालनपोषण गृह निर्माण करने की क्षमता चाहिए. पोकरा अंतर्गत भी पेड लगाने, कीट संगोपन गृह, संगोपन सामग्री खरीदी के लिए अनुदान दिया जाता है. इसमें पौधे का रोप तैयार करने के लिए प्रति एकड 1.50 लाख रुपए, इसके अलावा सामान्य घटक के प्रोजेक्ट के लिए 1 लाख 12 हजार 500 रुपए व अनुसूचित जाति जमाति के लिए 1 लाख 35 हजार रुपए, पेड लगाने के लिए प्रति एकड 50 हजार रुपए दिये जाते है.
बुआई के बाद 15 वर्ष तक कोई खर्च नहीं
एक बार पेड लगाने के बाद 12 से 15 वर्ष तक फिर कोई खर्च नहीं लगता. बागान फसल की तुलना में इसे कम पानी लगता है. इल्लियों के पालनपोषण के लिए पत्तियों का उपयोग किया जाता है. इसके लिए पौधे पर छिडकाव का खर्च नहीं. बचे हुए पत्तों से मुरखास तैयार किया जाता है.