अमरावती

सिंधी समाज ने बहुत कुछ खोया विभाजन के दौरान

डेहनकर ने कहा अखंड भारत का सपना होगा साकार

  • भारतीय सभ्यता व संस्कृति की धरोहर है सिंध डॉ.संतोषजी महाराज का कथन

अमरावती/दि.18 – भारतीय सिंधु सभा अमरावती व भारतीय सिंधु सभा महिला मंच अमरावती की ओर से शिवधारा आश्रम के सहयोगी से सिंध स्मृति दिवस व अखंड भारत संकल्प दिवस का आयोजन शिवधारा आश्रम सिंध्ाु नगर में किया गया. यह कार्यक्रम भारतीय सिंधु सभा के अध्यक्ष तुलसी सेतिया के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय संत प्रमुख पूज संत डॉ.संतोष महाराज ने की. भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य व प्रवक्ता जयंत डेहनकर प्रमुख वक्ता के रुप में उपस्थित थे. पूज्य कंवर नगर पंचायत के अध्यक्ष एड.वासुदेव नवलानी मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित थे.
भारतीय सिंधु सभा अमरावती के अध्यक्ष तुलसी सेतिया, महासचिव पंडित दीपक शर्मा, संरक्षक डॉ.एस.के.पुंशी, भारतीय सिंधु सभा महिला मंच की अध्क्षा राजकुमारी झांबानी, महासचिव मंजू आडवानी, युवा मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तुलसी साधवानी, महिला मंच की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.रोमा बजाज तथा संत संतोष महाराज की माताजी व पिताजी, काकासाई मंच पर उपस्थित थे.
सबसे पहले सभी अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया व ज्योति प्रज्वलित की. इष्टदेव झूलेलालजी व स्वामी शिवभजन के चित्र पर माल्यार्पण कर पूजन किया. इस अवसर पर जयंत डेहनकर ने अपने अंदाज में कहा कि विभाजन की त्रासदी झेलकर आए सिंधी समाज ने धर्म की खातिर जमीन जायदाद, खेती, व्यवसाय को त्याग कर यहां पर आकर जो संघर्ष किया और राष्ट्र के आर्थिक व समाज व्यवस्था में अहम योगदान दिया है, वह काबिल ए तारीफ है. डेहनकर ने आगे कहा कि 1857 में अखंड भारत का क्षेत्रफल 82 लाख वर्गफीट था, लेकिन अब 50 लाख वर्गफीट ही है. 32 लाख भूखंड चला गया. इस दौरान 24 टुकडे हुए, लेकिन अब अखंड भारत के संकल्प की ज्योति भारतीय सिंधु ने भी पूरे देश में प्रज्वलित की हेै. यह संकल्प पूरा होगा, अखंड भारत का सपना साकार होगा. संत संतोष महाराज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि सिंध स्मृति दिवस मनाने का पुनीत कार्य भारतीय सिंधु सभा अमरावती व्दारा किया जा रहा है और यह करना भी चाहिए. चूंकि सिंध से ही हिंद बना है, सिंध बिना हिंद अधुरा है. सिंध केवल भूखंड नहीं है, हिंदू वैदिक सनातन धर्म की संकल्पना है.
भारतीय सिंधु सभ्यता व संस्कृति की धरोहर है सिंध, इस बात को याद रखना है और सिंध स्मृति दिवस इन कार्यक्रमों के माध्यम से हमारी युवा पीढी को सिंधु संस्कृति, परंपरा, वैदिक सनातन धर्म का ज्ञान दें, उन्हें सिखाएं, यही समय की पुकार है. अखंड भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हम विशाल थे, विशाल हैं और विशाल ही रहेंगे. अखंड भारत बनकर रहेगा, यह संकल्प भी पूरा होगा. इस अवसर पर सिंधी हिंदी हाई स्कूल से सेवा निवृत्त होने पर राजकुमारी झांबानी का पूज्य शिवधारा आश्रम की ओर से शाल पहनाकर स्वागत किया गया. प्रस्तावना भारतीय सिंधु सभा अमरावती के अध्यक्ष तुलसी सेतिया ने विभाजन के दुखदायी निर्णय को गलत करार देते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों ने सबकुछ खोकर भी अपनी संस्कृति, सभ्यता को कायम रखते हुए जो संघर्ष किया है वह कदापि भुलाया नहीं जाएगा. भारतीय सिंधु सभा सिंध स्मृति दिवस इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर मनाती है. एड.वासुदेव नवलानी व डॉ.रोमा बजान ने भी विचार व्यक्त किये.
कार्यक्रम का आरंभ में सर्वश्री तुलसी सेतिया, पं.दीपक शर्मा, ओमप्रकाश पुंशी, मोहनलाल मंधानी, आत्माराम पुरसवाणी, जुमनदास बजाज, तुलसी साधवानी, दीपक दादलानी, राजकुमारी झांबानी, डॉ. रोमा बजाज, मंजू आडवानी ने भारतीय सिंधु सभा का ध्येय गीत गया. संस्था के सचिव पंडित दीपक शर्मा ने आजादी की पूर्व संध्या पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए देशभक्ति पर गीत गाया व आभार माना. कार्यक्रम का संचालन मंजू आडवानी ने किया. इस अवसर पर भारतीय सिंधु सभा व शिवधारा आश्रम के पदाधिकारी व सेवाधारी उपस्थित थे.

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