आंतर जिला तबादलों से एकल शिक्षक हद्दपार
तबादले की नीति का कच्चा मसौदा वायरल होने से शिक्षकों में सनसनी
अमरावती प्रतिनिधि/दि.1 – जिला परिषद शिक्षक आंतर जिला तबादले बाबत नई नीति तैयार करने के लिए सरकार ने अभ्यास गट समिति स्थापन की थी. इस समिति ने सरकार के पास पेश किया प्रारुप (मसौदा) तीन दिवस हुए वायरल हुआ है. इसमें एकल शिक्षकों को सबसे आखरी रखने से 15-20 वर्षों से तबादले की प्रतीक्षा में रहने वाला एकल शिक्षक इससे हद्दपार होने की संभावना रहने से शिक्षकों में खलबली मची हुई है किंतु इस मसौदे बाबत सरकार ने अभी तक ठोस भूमिका नहीं ली, ऐसा समझा जाता है.
वर्ष 2017 से तत्कालीन युती सरकार ने शिक्षक तबादलों की नीति ऑनलाइन पध्दति से अमल में लायी. इसमें हजारों शिक्षकों को आंतरजिला तबादलों का लाभ मिला है किंतु महाआघाडी सरकार सत्ता में आने के बाद उन्होंने शिक्षकों के तबादले बाबत नई नीति तैयार करने के लिए 5 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का एक अभ्यास गट समिति स्थापित की. इस समिति ने राज्यभर दौरे पर शिक्षक संगठन तथा जिला परिषद के अधिकारियों से सूचना स्वीकार की. कोरोना काल में इस अभ्यास गट में सरकार के पास तबादलो की नीति कैसे रहनी चाहिए, इस बाबत कच्चा शासन निर्णय पेश किया.यह प्रारुप शासन निर्णय लिंक होने से शिक्षकों के वॉट्सएप ग्रुप में वह वायरल हो रहा है, ऐसा रहते हुए भी इस मसौदे बाबत सरकार ने काई भी भूमिका स्पष्ट नहीं की.
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ऐसी है तबादला प्रणाली
शिक्षक तबादला अभ्यास गट ने तैयार किये कच्चे शासन निर्णय में शिक्षकों के विविध विशेष संवर्ग तैयार किये है. इसमें दिव्यांग, विधवा, दुर्धर बीमार शिक्षक, सैनिकों की पत्नी, पूर्व सैनिक, दिव्यांगों के पालक, उम्र के 53 वर्ष पूर्ण किये शिक्षक आदि को विशेष संवर्ग भाग-1 का दर्जा दिया है. पति, पत्नी एकत्रीकरण को विशेष संवर्ग भाग-2 ऐसा संबोधित किया है. आंतरजिला तबादलों में प्राधान्यक्रम देते समय सबसे पहले विशेष संवर्ग भाग-1 को प्राधान्य दिया जाएगा. संवर्ग-1 के सभी मामले निकाल में लेने पर विशेष संवर्ग भाग-2 की पति, पत्नी एकत्रीकरण के मामले निकाल में लिये जाएंगे. इन दो संवर्गों के मामले पूरी तरह निपटने के बाद भी सर्वसाधारण संवर्ग के एकल शिक्षकों के मामले निकाल में लेना शुरु होगा.
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इस निर्णय का क्या होगा परिणाम
विशेष संवर्ग भाग-1 में अनेक प्रकार के शिक्षकों का नये सिरे से समावेश होने से इस संवर्ग के शिक्षकों की संख्या बढ चुकी है. साथ ही विशेष संवर्ग भाग-2 में पति, पत्नी एकत्रीकरण के मामले बडी मात्रा में रहने से यह मामले निकाल में लेने अनेक वर्ष लगेंगे, ऐसा हुआ तो भी ऐसे प्रकरण बर्षों तक नये सिरे से निर्माण होते रहते है. हर वर्ष संच मान्यता में शिक्षकों के पद कम होते है. जिससे विविध सामाजिक प्रवर्ग के रिक्त पद बडी मात्रा में रिक्त रहते है. उसी में इस प्रकार का प्राधान्यक्रम निर्माण हुआ तो सेवा में अकेला ही नौकरी पर रहने वाला व 15 से 20 वर्ष से तबादले की प्रतीक्षा में रहने वाला एकल शिक्षक मात्र स्व जिले से दूर ही रहता कि क्या इस तरह का डर शिक्षकों में निर्माण हुआ है.
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कच्चा मसौदा लीक हुआ ही कैसे?
शासन स्तर पर अलग-अलग विभागों में शासन निर्णय प्रसिध्द किये जाते है.वे सरकार के अधिकृत संकेत स्थल पर प्रसिध्द होने तक सामान्य लोगों के हाथ नहीं लगते, शासन निर्णय अंतिम होने तक उनके मसौदे विविध अधिकारी जांचते रहते है किंतु इस बार शिक्षक तबादलों की नीति तैयार करने वाले शासन निर्णय का मसौदा लिक होने से अनेक प्रश्न निर्माण हुए. मंत्रालय के अधिकारियों ने मर्जी के शिक्षकों को यह शासन निर्णय जांचने के लिए दिया था या शिक्षकों ने अलग मार्ग से यह शासन निर्णय हासल किया, इसकी जांच ग्राम विकास स्तर पर होगी या नहीं, इस तरह के प्रश्न उपस्थित किये जा रहे है.