अमरावती

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जिले में 332 शालाएं व कक्षाएं हो चुकी है जर्जर व खस्ताहाल

* दुरूस्ती व नये निर्माण के लिए धूल खाते पडे है प्रस्ताव
अमरावती/दि.1- जहां एक ओर जिला परिषद की कुछ शालाएं इन दिनों निजी शालाओं का बेहतरीन ढंग से मुकाबला कर रही है और आदर्श शाला के तौर पर उभरकर सामने आ रही है, वहीं जिला परिषद की कई शालाएं ऐसी भी, जो पूरी तरह से जर्जर होकर खस्ताहाल में जा पहुंची है और इन शालाओं की टूटी-फूटी कक्षाओं में विद्यार्थियों का बैठना भी मुश्किल है. क्योंकि कक्षाओं के उपर छत ही नहीं.
बता दें कि, जिला परिषद की अमरावती जिले में कुल 1 हजार 583 शालाएं है. जिसमें से इस समय 332 शालाएं पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. जहां पर विद्यार्थियों व शिक्षकों के बैठने की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. इन शालाओं में दुर्गम क्षेत्रोें के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र की शालाओं का भी समावेश है और शाला व्यवस्थापन समिती तथा संबंधित क्षेत्रों के जिप सदस्यों द्वारा अब तक शालाओं की इमारतों और कक्षाओं की दुरूस्ती व नये निर्माण को लेकर अनेकों बार मांग की जा चुकी है. किंतु इससे संबंधित कई प्रस्ताव विगत लंबे समय से प्रलंबित पडे है. क्योंकि कई बार इन कामों के लिए निधी की किल्लत रहती है. जिसकी वजह से जर्जद व खस्ताहाल शालाओं का कायाकल्प ही नहीं हो रहा.

* 332 शालाओं की इमारत खतरनाक
जिले की 14 तहसीलों में जिला परिषद की 1 हजार 583 शालाएं है. जिसमें से 332 शालाओं की इमारत शिकस्त हो गई है.
– इसकी रिपोर्ट संबंधित शालाओं द्वारा पंचायत समिती के जरिये शिक्षा विभाग के पास भेजी जा चुकी है और इससे संबंधी प्रस्ताव को मंजुरी मिलने के बाद ही इन शालाओं की इमारतों को दुरूस्त किया जा सकेगा.

* शौचालयों की स्थिति भी बेकार
जिला परिषद शालाओं में स्वच्छता गृह व शौचालयों की स्थिति भी काफी बेकार है. प्रत्येक शाला में स्वच्छता गृह ही रहना चाहिए. इस नियम के चलते हर शाला में स्वच्छता गृह तो है, लेकिन वहां पर नियमित तौर पर स्वच्छता व आवश्यक देखभाल नहीं होने के चलते स्वच्छता गृह भी अस्वच्छ पडे है. दुर्गम व अतिदुर्गम क्षेत्रोें में तो स्वच्छता गृहोें की स्थिति बेहद दयनीय है.

* मुख्याध्यापकोें की जान सांसत में
शालाओें की जर्जर इमारतों व वर्ग कक्षाओं की खस्ता हालत के चलते संबंधित शालाओं के मुख्याध्यापकों की जान सांसत में अटकी रहती है. क्योेंकि उन्होंने तो नये निर्माण तथा देखभाल व दुरूस्ती से संबंधित कामों को लेकर अपनी ओर से प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है, जो मंजुरी के अभाव में अटका पडा है. वहीं दूसरी ओर यदि जर्जर इमारतों व खस्ताहाल कक्षाओें की वजह से कोई हादसा घटित होता है, तो उसकी जिम्मेदारी भी मुख्याध्यापकों पर ही रहती है. ऐसे में विद्यार्थियों व प्रशासन के तौर पर मुख्याध्यापक दो पाटों के बीच फंसे हुए है.

शालाओं की इमारतों और वर्ग कक्षाओं की दुरूस्ती संबंधी कार्य हेतु 332 शालाओं के प्रस्ताव आये है. जिनकी जांच-पडताल करते हुए उन्हें अगली कार्रवाई के लिए वरिष्ठों के सुपुर्त किया गया है. इसमें से कुछ प्रस्तावों पर प्रक्रिया शुरू है. जिन्हें मंजूरी व निधी उपलब्ध होते ही संबंधीत शालाओं में नई वर्ग कक्षाओं के निर्माण व दुरूस्ती के कार्य किये जायेंगे.
– प्रिया देशमुख
प्राथमिक शिक्षाधिकारी, जिप अमरावती

* जिप के पास निधी की किल्लत
उल्लेखनीय है कि, जारी माह के अंत में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जायेगा और शैक्षणिक सत्र शुरू होने के मुहाने पर भी कई शालाओं की कक्षाएं दयनीय स्थिति व खस्ताहाल पडी हुई है. जिनकी देखभाल व दुरूस्ती के कार्य करने हेतु जिप शिक्षा विभाग के पास आवश्यक निधी ही उपलब्ध नहीं है. ऐसे में निधी का अभाव रहने के चलते पुरा काम जस का तस पडा हुआ है.

* कौनसी तहसील में कितनी वर्ग कक्षाएं शिकस्त
अमरावती –          20
भातकुली –           10
नांदगांव खंडे. –     28
चांदूर रेल्वे –         12
धामणगांव रेल्वे – 12
वरूड –                  46
चांदूर बाजार –      26
दर्यापुर –              46
अंजनगांव सूर्जी – 34
अचलपुर –           26
धारणी –              41
तिवसा –             15

 

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