बहन भाई का अनोखा भाईदूज
शिंदखेडराजा/दि.15– मातृतीर्थ सिंदखेड राजा तहसील के पलसखेड चक्का में रहने वाली दुर्गा अरुण धायतडक इस बहन ने अपने भाई रमेश नागरे को अपना लिवर देकर जीवनदान दिया. इनका सफलता पूर्वक प्रत्यारोपण किया गया. छोटी बहन की ओर से भाईदूज के अवसर पर अपने भाई को अलग अलग तरह के तोहफे दिए जाते है. इसी तरह इस अवसर पर मातृतीर्थ कहे जाने वाले सिंदखेड राजा में दो भाई बहनों ने अनोखा भाईदूज मनाया. जिसकी प्रशंसा चारों ओर की जा रही है.
भाई-बहन का रिश्ता यह दिल व प्रेम तथा मातृत्व व दाईत्व का होता है. भाई अपनी बहन की छाया की तरह होता है. यह सभी जानते है. मगर बहन भी मातृत्व व दायित्व की भूमिका निभाती है. इसका एक उदाहरण तहसील के पलसखेड चक्का गांव में दिखाई पडा. बिमार पडे भाई को लिवर दान कर छोटी बहन दुर्गा ने अपने बडे भाई की जान बचा कर एक मिसाल कायम की है. देउलगांव राजा तहसील में अंढेरा के रहने वाले रमेश नागरे (48) को वर्ष 2019 से पेट की तकलीफ, अपचन जैसी तकलीफ का सामना करना पड रहा था. वही उल्टी होना जैसी बिमारी से वह जुझ रहा था. जिसके चलते रमेश ने डॉक्टर के पास जाकर जांच कराई. जिसमें लिवर की खराबी सामने आने की बात पता चली. जिसके बाद छत्रपती संभाजी नगर, पुणे सहित अनेक बडे शहरों के प्रसिध्द अस्पतालों में इलाज करवाया. मगर कही भी फायदा नहीं हुआ. डॉक्टरों की सलाह से तुरंत लीवर प्रत्यारोपण करने की जरुरत थी.
जिसके लिए दोनों के रक्त गट मिलना आवश्यक होने के चलते लीवर देने के लिए परिवार का कोई सदस्य भी सामने आना जरुरी था. परिवार में विभिन्न सदस्यों के रक्त गट नहीं मिलने के कारण परेशानी और बढ गयी. मगर आखिर में रमेश नागरे व उनकी छोटी बहन दुर्गा का रक्त गट ओ पॉजिटिव मिल गया. बहन दुर्गा ने थोडी भी देर न करते हुए अपना लिवर भाई को देने का फैसला लिया. जिसके बाद दुर्गा के पति अरुण धायतकड ने भी हामी भर दी. मुंबई के नामांकित ग्लोबल अस्पताल में डॉक्टरों के साथ चर्चा करने के बाद रमेश नागरे पर लिवर प्रत्यारोपण करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया. बहन के जिद्द के सामने भाई पर आया संकट भी निकल गया. इस वर्ष का भाईदूज पर बहन की ओर से भाई को एक अलग भेंट मिली. बहन दुर्गा व भाई रमेश पर मुंबई के अस्पताल में इलाज जारी है.