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सीताबाई संगई शाला की मान्यता को रद्द

शाला सहित संस्था व्दारा बडे पैमाने पर हो रहा नियमों का उल्लंघन

कुशल चौधरी ने पत्रवार्ता में उठाई मांग, सरकारी अनुदान रिकवर करने की बात भी कही
अमरावती/दि.16- अंजनगांव सुर्जी शहर में सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी तथा संस्था व्दारा संचालित सीताबाई संगई प्राथमिक शाला, सीताबाई संगई माध्यमिक शाला व सीताबाई संगई कन्या शाला में बडे पैमाने पर नियमों का उल्लंघन, आर्थिक गडबडियां व भ्रष्टाचार के मामले घटित हो रहे है. साथ ही खुद को अल्पसंख्य दर्जा प्राप्त होने की बात कहते हुए इस शाला व्दारा सरकार के साथ-साथ आमलोगों की भी दिशाभूूल की जा रही है. ऐसे में पूरे मामले की सघन जांच करते हुए सीताबाई संगई शिक्षा संस्था व्दारा संचालित शालाओं की मान्यता को रद्द किया जाना चाहिए और इस शिक्षा संस्था को अब तक सरकार की ओर से जितना भी अनुदान मिला है, उस अनुदार राशि की रिकवरी करते हुए वह रकम सरकारी तिजोरी में जमा कराई जानी चाहिए. इस आशय की मांग कुशल चौधरी नामक पत्रकार ने आज यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में उठाई.
जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कम्पाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई इस पत्रकार परिषद में कुशल चौधरी ने कहा कि, सीताबाई संगई शाला सरकारी जगह पर बनी हुई है. लेकिन सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी व्दारा इस जगह के लिए अपनी ही शाला से सालाना लाखों रुपए का किराया लिया जाता है. इसके साथ ही इस शाला में कई शिक्षक शैक्षणिक रुप से अपात्र है. लेकिन उनका एप्रुवल पास करते हुए सौ फीसद वेतन सरकार से वसूल किया जा रहा है. साथ ही अल्पसंख्य दर्जा प्राप्त के नाम पर शिक्षक भर्ती करते हुए लाखों रुपए वसूले जा रहे है. लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि जब जैन समाज को 27 जनवरी 2014 को अल्पसंख्य दर्जा मिला, तो सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी को वर्ष 2008 में ही धार्मिक जैन अल्पसंख्यक का दर्जा कैसे प्राप्त हुआ व किसने प्रदान किया इसकी जांच होनी चाहिए. इसके साथ ही इस शाला में जाति निहाय पटसंख्या उपलब्ध नहीं है और शाला में प्रतिवर्ष अल्पसंख्यक व अन्य विद्यार्थियों की संख्या कितनी होती है इस बारे में शाला व्दारा कोई जानकारी नहीं दी जाती. इसके अलावा सरकारी जगह पर स्थित सीताबाई संगई शाला के विद्यार्थियों हेतु आरक्षित रखे गए खेल के मैदान पर रायसाहब मोती संगई स्कूल इंग्लिश स्कूल नामक निजी शाला बनाते हुए सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया गया और सभी शालाओं में विद्यार्थियों की एडमिशन के समय अभिभावकों से अनाप-शनाप रकम वसूल की जाती है. जिसका शाला व संस्था व्दारा कोई हिसाब-किताब नहीं दिया जाता. वहीं वर्ष 1963 में संगई शाला में छात्रावास के नाम पर जो जगह ली थी व छात्रावास श्ाुरु किया था. आज वह छात्रावास कहां है. इसकी जांच होनी चाहिए. साथ ही शाला में पोषण आहार हेतु आनेवाले अनाज व किराना साहित्य का वितरण किस तरह होता है, इसकी भी जांच होनी चाहिए.
* 110 साल पुरानी संस्था, सभी काम नियमानुसार
हम पर जानबूझकर लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोप
वहीं इस संदर्भ में जानकारी एवं प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर सीताबाई संगई एज्युकेशन ट्रस्ट के सचिव विवेक संगई ने कहा कि, उनकी शिक्षा संस्था करीब 110 वर्ष पुरानी है और शिक्षा संस्था एवं संस्था व्दारा संचालित शालाओं में पूरी तरह से सरकारी एवं शिक्षा विभाग के नियमानुसार काम होता है. शाला के संचालक व व्यवस्थापन मंडल ने समाज के अनेको प्रतिष्ठित व्यक्ति जुडे हुए है. जो व्यवसायिक क्षेत्र में बेहद सफल है. ऐसे में संस्था के संचालकों व्दारा पैसे कमाने के लिए संस्था की आड लेकर गडबडी किए जाने का आरोप पूरी तरह से गलत व झूठा है. साथ ही कुछ लोगों व्दारा संस्था की प्रतिमा को मलिन करने व संस्था की बदनामी करने बिन सिरपैर के आरोप लगाए जा रहे है.

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