चांदूर बाजार-/दि.13 तहसील के सुप्रसिद्ध सीताफल का मौसम शुरु हो गया है. पूर्णा नदी के दोनों किनारों पर सीताफल के पेड़ों के जंगल होकर इन किनारों पर के सीताफल मीठे व स्वादिष्ट होेने से प्रसिद्ध है. इसलिए इस परिसर के सीताफल की ग्राहकों द्वारा काफी मांग है.
जून महीने में हुई जोरदार बारिश के कारण इस बार सीताफल के पेड़ों को सफेद कलियां बड़े पैमाने पर लगी थी. जिसके अनुसार इस बार सीताफल का बहर जोरदार होने का अंदाज शुरुआत में ही लगाया गया था. मुबलक बारिश के कारण सीताफल के जंगल में भी बहार आयी थी. मात्र ऐन फल पकने के समय वापसी की बारिश होने से इस बार बहर गलने लगे हैं. फिर भी कुछ फल पेड़ों पर सड़ रहे है.
तहसील के पूर्णा किनारे के सीताफल वन के अलावा सातपुड़ा पर्वत की तलहटी में फलों का बड़ा वन फैला है. सीताफल यह अनेक बीजो वाला फल होकर पेड़ पर पके सीताफलों की मिठास काफी अप्रतिम होती है. सीताफल के पेड़ को बारिश होने पर जून महीने में सफेद रंग की कलियां लगती है. इन कलियों पर फलों की धारणा होती है. 90 दिनों बाद सीताफल खाने योग्य होता है. प्रति वर्ष अक्तूबर महीने में सीताफल बाजार में भी बिक्री के लिये आने लगते हैं. चांदूर बाजार में हर रोज सुबह सीताफल का हर्रास होता है. किसान अपने पाटी में लाये फल देखकर बोली लगायी जाती है.
दीपावली के लक्ष्मीपूजन में सीताफल का विशेष मान है. तहसील के देऊरवाड़ा की पूर्णा नदी किनारे सीताफल का बड़ा वन है साथ ही काजली, रेडवा, चिंचकुंभ, कारंजा, बहिरम, शिरजगांव कसबा, विश्रोली इन भागों में बड़े पैमाने पर सीताफल के वन है. इन भागों के मजदूर वन का हर्रास लेने से लेकर सीताफल खरीद कर शहर में उन्हें बचने के लिए लाते हैं.