अमरावती

एमफिल, पीएचडी प्रबंध के लिए छह माह की समयावृध्दि

यूजीसी के फैसले से संशोधकों को मिली राहत

अमरावती/दि.22 – देशभर में एमफिल व पीएचडी की पदवी धारण करने के इच्छुकों को अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत करने हेतु एक बार फिर छह माह की समयावृध्दि दी गई है. कोविड व ओमिक्रॉन के नये खतरे को देखते हुए केंद्रीय विद्यापीठ अनुदान आयोग द्वारा यह निर्णय लिया गया है. जिससे सभी संशोधकों को काफी राहत प्राप्त हुई हे.
बता दें कि, एमफिल व पीएचडी प्रबंध प्रस्तुत करने हेतु नवसंशोधकों को विद्यापीठ द्वारा छह माह की समयावधि दी जाती है. किंतु मार्च 2020 में कोविड वायरस का संक्रमण फैलने की शुरूआत हुई. जिससे शिक्षा व्यवस्था एवं शैक्षणिक क्षेत्र के सारे समीकरण पूरी तरह से गडबडा गये. विशेष तौर पर उच्च शिक्षा क्षेत्र में इसका काफी अधिक परिणाम हुआ. यूजीसी द्वारा कोविड संक्रमण के ेखतरे को देखते हुए 30 जुलाई 2020 से 30 जून 2022 के दौरान एमफिल व पीएचडी के शोध प्रबंध प्रस्तुत करने हेतु चार बार समयावृध्दि देने का निर्णय लिया गया. हालांकि यूजीसी का यह ुफैसला नवसंशोधकों के लिए काफी हद तक राहतपूर्ण माना जा रहा है. किंतु ‘तारीख पे तारीख’ के चलते उनकी उच्च शिक्षा में काफी व्यत्यय भी आ रहा है और कोविड के चलते कितने दिनों तक शिक्षा से वंचित रहा जाये, यह सवाल भी उपस्थित हो रहा है.
इसी दौरान एमफिल व पीएचडी के शोध प्रबंध प्रस्तुत करने हेतु एक बार फिर छह माह की समयावृध्दि देने के संदर्भ में यूजीसी के सचिव रजनीश जैन द्वारा विगत 1 दिसंबर को समूचे देश के विद्यापीठों को पत्र भेजा गया है.

  • यूजीसी के पत्रानुसार एमफिल व पीएचडी के नव संशोधकों को अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत करने हेतु 30 जून 2022 तक समयावृध्दि दी गई है. जिसके अनुसार काम किया जायेगा. सभी संशोधन केंद्रों को इस संदर्भ में सूचित किया जा चुका है.
    – प्रा. डॉ. हेमंत देशमुख
    परीक्षा व मूल्यांकन मंडल

और कितने दिन प्रतीक्षा करें

वहीं दूसरी ओर एमफिल व पीएचडी हेतु तैयारी कर रहे कई नवसंशोधकों का कहना रहा कि, कोविड व ओमिक्रॉन का संक्रमण काफी हद तक घातक है, किंतु इससे घबराकर कितने दिनों तक उच्च शिक्षा से वंचित रहा जाये, यह भी अपने आप में एक बडा सवाल है. विगत दो वर्षों से एमफिल व पीएचडी का प्रबंध प्रस्तुत करने हेतु प्रतीक्षा करनी पड रही है, यह किसी भी लिहाज से योग्य नहीं है, ऐसा भी कई संशोधकों का कहना रहा.

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