अमरावती

कोर्ट में जा सकता है स्कॉय वॉक का मामला..?

सिडको के वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही के कारण् बंद पडा है काम

* श्रेय लेने वाले नेताओं को शीत सत्र में उठाना होगा मामला
चिखलदरा/दि.30– शहर की पहचान बनने वाले स्कॉय वॉक का काम पिछले एक साल से बंद पडा है. जिसके लिए जवाबदकार रहने वाले सिडको कार्यालय के वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों की घोर लापरवाही तथा अनदेखी का परिणाम है कि मुंबई में बैठे अधिकारी वैसे भी विदर्भ को हिन भावना से देखते है. अगर विदर्भ के उन्हें नेताओं की गलती है की वे श्रेय लेने के लिए आगे तो आ जाते है. मगर जहां आवाज उठाना है वहां आवाज नहीं उठा पाते. यही कारण है कि मुंबई में बैठे अधिकारी इस तरह की गलती करने की हिम्मत करते है. विदर्भ के साथ हमेशा से होते आने वाले सौतेले व्यवहार ही है कि विदर्भ की शान तथा एक बडे हिल स्टेशन पर बन रहे स्कॉय वॉक जैसा देश का पहला सबसे बडा प्रकल्प अधुरा पडा है. यह स्कॉय वॉक पुरा होने की बजाए श्रेयवाद की बली चढ रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार आई.आई.टि. दिल्ली व्दारा पिछले महिने यहां का सर्वे किया गया था. जिसमें उन्होनें यह सुझाव दिया था कि टैबिलिटी टेस्ट करना जरुरी है. जो कि कानपूर तथा दिल्ली की टीम ही करती है. जिसका खर्च करीब 30 से 35 लाख रुपये आना है.

जिसके लिए 64 लाख रुपये मंजुर करने की बात सामने आई है. मगर पिछले एक-देढ़ साल से बंद पडे काम के एवज में काम की किमत से 20 प्रतिशत की बढोतरी की मांग का पत्र मई महिने में सिडको को दिया गया था. मगर सिडको व्दारा आज तक कोई कारवाई नही की गई. साथ ही सिडको(एमडी) को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के मिटिंग में इस पर निर्णय लेना था. मगर आज तारीख तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. साथ ही यह पता चला है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के मिटिंग को 5 प्रतिशत तक बढा के देने का अधिकार है. जिस पर आज तक निर्णय नहीं लिया गया. तथा कम्पनी के साथ आपसी ताल-मेल का भी प्रयत्न नहीं किया गया. जिस कारण कम्पनी काम की शुरुआत करने को तैयार नहीं है. जिसे देखते हुए अगर तालमेल नहीं बैठा तो कोर्ट मामला कोर्ट में भी जा सकता है. प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 8 से 10 करोड के केबल सहित प्लेट्स यहां की साईड पर पडे है. साथ ही कम्पनी के कई कर्मचारी यहां पगार लेकर बैठे रहते है. मई महिने के बाद आज तक सिडको के वरिष्ठ अधिकारियों व्दारा निर्णय नही लेना इस बात को साबित करता है कि तरह की टेस्ट का बहाना बनाकर मुख्य उद्देश्य से ध्यान भटका कर पुरी तरह से टाईम पास करना ही उनका उद्देश्य है.जिसे देखते हुए विदर्भ के सभी विधायक को शीत सत्र में इस मुद्दे को उठाया जाए. सांसदो को लोकसभा में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाना ही नहीं बल्कि काम शुरु होने तक इसका फ्लोअप लेते रहना भी जरुरी है.

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