अमरावती

जले के 95 राजस्व मंडलों में है स्कायमेट का ‘वेदर स्टेशन’

प्रति दो घंटे में पता चलती है बारिश की स्थिति

अमरावती/दि.23- जिले में यद्यपि अब तक मान्सूनपूर्व बारिश का आगमन नहीं हुआ है, लेकिन जिले के 95 राजस्व मंडलों में चार वर्ष पहले स्कायमेट द्वारा लगाये गये ‘वेदर स्टेशन’ बारिश के प्रमाण को गिनने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इन सभी वेदर स्टेशनों पर स्वयंचलित पर्जन्यमापक यंत्रों द्वारा प्रत्येक दो घंटे के दौरान बारिश की जानकारी व आंकडों को दर्ज किया जाता है और प्रत्येक 24 घंटे में इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन सहित कृषि विभाग को भेजी जाती है. ऐसी जानकारी जिला आपत्ति व्यवस्थापन कक्ष द्वारा दी गई है.
जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार के महावेद प्रकल्प द्वारा जिले के प्रत्येक राजस्व मंडल में स्थापित ‘वेदर स्टेशन’ द्वारा बारिश की जानकारी दर्ज की जाती है. ये सभी केंद्र पूरी तरह से स्वयंचलित है. इससे पहले राजस्व विभाग द्वारा राजस्व मंडल व तहसील स्तर पर पर्जन्यमापक यंत्र के जरिये बारिश की जानकारी को दर्ज किया जाता था. परंतू अब इसकी बजाय स्कायमेट के स्वयंचलित केंद्र बनाये गये है.
बता देें कि, राजस्व एवं कृषि महकमे द्वारा जून से सितंबर माह के दौरान होनेवाली मौसमी बारिश की जानकारी को रोजाना दर्ज किया जाता है. इसके अलावा असमय ही होनेवाली बेमौसम बारिश की जानकारी और आंकडे भी दर्ज किये जाते है. सभी तहसीलों में बारिश का प्रमाण सम-समान नहीं रहता. ऐसे में मंडल निहाय बारिश की जानकारी दर्ज करते हुए संबंधित तहसील में हुई औसत बारिश का प्रमाण प्रशासन द्वारा निकाला जाता है और सभी तहसीलों में हुई बारिश के आंकडों को संकलित करने के बाद उस आधार पर जिले में हुई औसत बारिश की स्थिति पता चलती है. इसके अलावा कृषि महाविद्यालय में लगाये गये पर्जन्यमापक यंत्र के जरिये भी बारिश के आंकडे दर्ज किये जाते है.

* किस तहसील में कितने पर्जन्यमापक यंत्र
अमरावती – 12
भातकुली – 6
तिवसा – 5
चांदूर रेल्वे – 5
धामणगांव – 7
नांदगांव खंडे. – 8
मोर्शी – 7
वरूड – 7
अचलपुर – 6
चांदूर बाजार – 7
दर्यापुर – 8
अंजनगांव – 6
धारणी – 5
चिखलदरा – 6

* शहर में तीन स्थानों पर लगे है यंत्र
अमरावती शहर में विभागीय आयुक्त कार्यालय, श्री शिवाजी कृषि महाविद्यालय व अमरावती तहसील के मंडल कार्यालय परिसर में पर्जन्यमापक यंत्र लगाये गये है. इसके अलावा समीपस्थ बडनेरा के पास दुर्गापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में भी बारिश की जानकारी व आंकडे नियमित तौर पर दर्ज किये जाते है.

* कैसे गिना जाता है बारिश को
बारिश को प्रति लीटर, प्रति चौरस मीटर अथवा मिलीमीटर में गिना जाता है. 15 स्वयंचलित केंद्रों में वातावरण में होनेवाले बदलाव सहित बारिश की जानकारी को दर्ज किया जाता है. पश्चात यह जानकारी सैटेलाईट के जरिये ‘वेदर वेब’ को भेजी जाती है. पश्चात ‘महावेध’ द्वारा इसे अपने पास दर्ज करते हुए इसकी जानकारी जिलाधीश कार्यालय व कृषि विभाग को भेजी जाती है.

जिले में महावेध प्रकल्प अंतर्गत प्रत्येक राजस्व मंडल में स्वयंचलित केंद्र स्थापित किये गये है. जिनके जरिये बारिश की जानकारी दर्ज की जाती है. कृषि विभाग द्वारा इस जानकारी को संकलित किया जाता है और इन केंद्रों के आंकडों को ही ग्राह्य माना जाता है.
– अनिल खर्चान
जिला अधिक्षक, कृषि अधिकारी

 

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