घनकचरा व्यवस्थापन हेतु ग्राम पंचायतो को अत्यल्प निधि

अमरावती /दि. 7– बढती जनसंख्या के चलते इन दिनों शहरों के साथ ही सभी गांवों में भी गंदे जल व घनकचरे की समस्या गंभीर बनती जा रही है. सरकार द्वारा मलजल व घनकचरा व्यवस्थापन हेतु निधि दी जाती है. परंतु यह निधि कम जनसंख्या रहनेवाली नगर पालिकाओं को अधिक और ज्यादा जनसंख्या रहनेवाली ग्राम पंचायतों को कम मिलने की वजह से मलजल निकासी व घनकचरा व्यवस्थापन का काम कैसे किया जाए यह सवाल उपस्थित हो रहा है.
बता दें कि, नदी-किनारे रहनेवाले गांवों से निकलनेवाला मलजल सीधे नदी में जाकर गिरता है. जिससे नदी का पानी दूषित होता है. इस प्रदूषण को टालने हेतु विगत कई वर्षो से प्रयास किए जा रहे है परंतु मलजल पर प्रक्रिया करनेवाले प्रकल्प का खर्च ग्राम पंचायतों व नगर पालिकाओं की पहुंच से बाहर होता है. जिसके चलते केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है. इसके तहत नगर पालिका क्षेत्र में घनकचरा प्रकल्प स्थापित करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा 50 फीसद व राज्य सरकार द्वारा 45 फीसद निधि उपलब्ध कराई जाती है. वहीं शेष 5 फीसद निधि नगर पालिका व नगर पंचायत को देनी होती है. 4 हजार से लेकर 50 हजार की जनसंख्या के लिए यही मानक तय है. जबकि जनसंख्या के लिहाज से प्रकल्प की क्षमता को बढाना जरुरी होता है. वहीं दूसरी ओर कई ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 5 हजार से अधिक हो चुकी है. परंतु इसके बावजूद ग्राम पंचायतों को नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों की तुलना में मिलनेवाली निधि कम है.
* ऐसे मिलती है निधि
ग्रामीण क्षेत्र में घनकचरा व्यवस्थापन हेतु केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मलजल व्यवस्थापन के लिए 660 रुपए प्रति व्यक्ति तथा घनकचरा व्यवस्थापन के लिए प्रति व्यक्ति 45 रुपए के हिसाब से निधि दी जाती है.
* 45 ग्राम पंचायते है बडी
जिले की 841 ग्राम पंचायतो में से 45 ग्राम पंचायत क्षेत्रों की जनसंख्या 5 हजार से अधिक है और कई गांव तो नगर पंचायत के स्तर तक पहुंच गए है. जिनमें पथ्रोट, शिरजगांव कसबा, कांडली, देवमाली, वलगांव, आसेगांव पूर्णा, नांदगांव पेठ, येवदा व मंगरुल दस्तगीर जैसे गांवों का समावेश है.