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छोटे व्यापारी और वितरक हुए परेशान

ऑनलाइन कंपनियों की छूट की धमाचौकडी

* ऐन त्यौहारी सीजन में ऑफर की भरमार
* अमरावती-अकोला जैसे छोटे शहरों में धंधे प्रभावित
अमरावती/दि.24 – ऑनलाइन कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट और अमेझन, मिंत्रा, डिजिटल, क्रोमा पर इलेक्टॉनिक तथा तमाम वस्तुओं की बडी रेंज पर भारी छूट और ऑफर से अमरावती जैसे छोटे शहरों के व्यापारी और वितरक परेशान हो गये है. ऐन दशहरा दिवाली के त्यौहारी सीजन में बडी कंपनियों के ऑनलाइन ऑफर ने छोटे व्यापारियों का धंधा लगभग चौपट कर दिया है. बडी मुश्किल से कोरोना जैसे संकट काल से उबरे और इस दिवाली-दशहरे पर बडे कारोबार की उम्मीद लगाकर बैठे व्यापारियों को ऑनलाइन कंपनियों के ऑफर्स ने बेजार कर दिया है.
* 15 से 20 प्रतिशत रेट का फर्क
अमरावती के एक ऑफलाइन व्यापारी ने कहा कि, सोनी, सॅमसंग, एपल, रियलमी, एलजी, पोको, ओपो, वीवो, वन प्लस जैसी कंपनियों तथा ब्रांड के अनेक मॉडल्स पर 15 से 20 प्रतिशत की छूट ऑनलाइन कंपनियां दे रही है. जिससे धडल्ले से उनकी ग्राहकी हो रही है. जबकि इतनी मार्जिंग छोटे व्यापारी या वितरक की नहीं होती. जिससे उनके सिर धुनने की नौबत आ गई है. शहर में जहां-तहां डिलेवरी बॉय ऑनलाइन ऑडर्स की डिलेवरी करते नजर आ रहे हैं. एक प्रमुख व्यापारी ने कहा कि, वह खुद हैरान है कि, ऑनलाइन कंपनी किसी ब्रांड पर 15 से 20 प्रतिशत छूट कैसे दे सकती है. यह तो हमारा भट्टा बैठाने का षडयंत्र लगता है.
* कंपनियों के पास पहुंची शिकायत
एक रिटेलर ने बताया कि, ब्रांड पर मिल रही भारी छूट और तगडे ऑफर को लेकर उन्होंने कंपनी के पास शिकायत की. जिस पर अधिकृत जवाब नहीं मिला. किंतु कोई कदम उठाने की बात जरुर की गई है. कंपनी मॉडल में थोड बहुत फर्क कर ऑनलाइन रुप से बेचे जा रहे लगभग समान मॉडल पर भारी छूट देकर ग्राहक को लुभा रही है. रिटेलर का कहना है कि, कंपनी की इतनी कमाई है, तो रिटेलर का मार्जिन क्यों नहीं बढाया जाता.

* क्या कर रहे व्यापारी संगठन
ऑनलाइन कंपनियों ने देश भर में कारोबारियों को पिछले कुछ वर्षों से परेशान और बेजार कर रखा है. बावजूद इसके व्यापारी संगठन कोई कडे कदम नहीं उठा रहे. ऐसे से व्यापार और व्यापारी खत्म होने की कगार पर आ जाएगे. पहले ही कोविड और अन्य परेशानियों ने व्यापार को प्रभावित कर रखा है. एक रिटेलर ने बडे तीखे स्वर में कहा कि, व्यापारी संगठनों के पदाधिकारी भी लगभग मूक दर्शक बने बैठे हैं. निवेदन देने के अलावा कोई कडा संदेश कंपनियों को नहीं देता. सरकार के स्तर पर भी कोई कडी कार्रवाई नहीं हो रही.

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