यूपी व एमपी से हो रही विदर्भ में देशी कट्टों की तस्करी
अमरावती व नांदेड बने सप्लाई के अड्डे
* महज 20-25 हजार में मिल जाते है देशी कट्टे
यवतमाल /दि.5- अपराध जगत में बडी तेजी के साथ सबसे आगे रहने वाले यवतमाल शहर सहित जिले में तमाम छोटे-बडे गुंडे अपने साथ देशी कट्टे व जिंदा कारतूस लेकर घूमते रहते है. जिनके पास से एलसीबी सहित कई थानों की पुलिस ने आज तक कई देशी कट्टे व जिंदा कारतूस जब्त किये है और ऐसे मामलों में की गई जांच से पता चला है कि, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश से हथियारों की खेप को मंगाया जाता है और ऐसे हथियारों की यवतमाल शहर में अमरावती से तथा पुसद शहर में नांदेड से सप्लाई की जाती है. यानि युपी व एमपी से आने वाले हथियारों की सप्लाई के अड्डे अमरावती व नांदेड शहर बने हुए है.
उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ वर्षों के दौरान अपराधियों सहित अवैध व्यवसाय करने वाले लोगों में देशी पिस्तौले यानि देशी कट्टे रखने का क्रेज अच्छा खासा बढ गया है और ऐसे हथियारों की खेप उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश से आती है. यह जगजाहीर है. महज 20 से 25 हजार रुपए में देशी कट्टों की खरीद-फरोक्त होती है. लेकिन इन हथियारों को कौन लाता है तथा हथियारों की तस्करी के पीछे मुख्य मास्टर माइंड कौन है, इसका पता लगाने में पुलिस को अब तक कोई सर्फलता नहीं मिली है, बल्कि हर बार देशी कट्टा पाये जाने पर हथियार को जब्त कर और अपराधी को गिरफ्तार कर पुलिस की कार्रवाई खत्म हो जाती है.
बता दें कि, देशी कट्टे जैसे हथियारों को जब्त करने की सर्वाधिक कार्रवाईयां यवतमाल पुलिस की एलसीबी द्वारा किया जाता है. साथ ही यवतमाल जिले के लगभग सभी पुलिस थानों में आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज है. इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र के अन्य पुलिस थानों में भी इस तरह के मामले दर्ज रहने की जानकारी है. लेकिन इतने बडे पैमाने पर हथियार पकडे जाने के बावजूद हथियारों की तस्करी को रोकने हेतु पुलिस महकमें द्वारा कोई ठोस कार्रवाई किये जाने की बात आज तक सुनाई नहीं दी है. हालांकि ऐसी कार्रवाईयों के दौरान पुलिस को यह जरुर पता चला है कि, देशी कट्टों की खेप यवतमाल शहर में अमरावती से तथा पुसद शहर में नांदेड से लायी जाती है और उन दोनों शहरों मेें यूपी व एमपी से हथियार तस्करों द्वारा हथियार भेजे जाते है. लेकिन हथियारों की खेप कौन भेजता है तथा हथियार तस्करी व्यवसाय के पीछे मास्टर माईंड कौन है, इसका आज तक पुलिस पता नहीं लगा पायी है.
* पकडे जाने पर आरोपी बताते है मृतकों के नाम
खास बात यह है कि, पुलिस द्वारा हथियार के साथ पकडे जाने के बाद की जाने वाली पूछताछ के दौरान आरोपियों द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति का नाम बताया जाता है. जिसकी अरसा पहले मौत हो चुकी है. ऐसे में हथियार तस्करी में किसी मृतक का नाम सामने आने के चलते पुलिस की जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है और दूसरी ओर हथियारों की तस्करी दिनोंदिन बढ रही है. जिसके चलते हथियार तस्करी के नेटवर्क तक पहुंचना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम साबित नहीं हो रहा.