अमरावतीमहाराष्ट्र

सोमठाना, धुलघाट व सुसर्दा के जंगल से सालई गोंद की तस्करी

अप्राकृतिक तरीके से निकाला जा रहा गोंद, पेडों का हो रहा नुकसान

धारणी/ दि. 21– राज्य सरकार द्बारा सालई के पेड से निकलनेवाले गोंद पर पाबंदी लगाई गई है. इसके बावजूद वन्य जीव विभाग के धूलघाट रेलवे और सोमठाना रेंज के जंगल तथा प्रादेशिक और सुसर्दा रेंज से बडे प्रमाण में गोंद की तस्करी किए जाने की जानकारी सामने आयी हैं.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के दो रेंज के जंगल और सुसर्दा के वन से सालाई के पेडों से अप्राकृतिक तरीके से गोंद निकाला जा रहा है. जिससे पेडों को नुकसान हो रहा है. यह गोंद काफी महंगा है और औष धी व्यवसाय में इस्तेमाल किया जाता है. तस्कर इसे यहां से निकालकर बारातांडा मार्ग से खकनार और डोईफोडियां (एमपी) पहुंचा रहे हैं. इतना ही नहीं यह गोंद मध्यप्रदेश के खंडवा, बुर्‍हाणपुर, इंदौर, पीथमपुर और उज्जैन तक पहुंचाने की जानकारी मिली है.
प्रमुख रूप से बारातांडा, सुसर्दा, शिवाझिरी, बिरोती, धुलघाट, बारूखेडा, सोमठाना, हीराबंबई के जंगल में बडे प्रमाण में सालई के पेड है. इस जंगल में आने की और गोंद निकालने की पाबंदी है. इसके बावजूद भी तस्कर पेडों को इंजेक्शन लगाकर अप्राकृति पध्दति से गोंद निकालते हैं. इस पध्दति से पेडों की आयु कम होती है. पेड सूख जाते हैं. बता दे कि धूलघाट रेलवे की तत्कालीन रेंजर दीपाली चव्हाण ने गोंद तस्करों पर लगाम लगाई थी. सागवान चोरों को भी रंगे हाथों पकडकर परिसर में सनसनी निर्माण की थी. किंतु दिपाली चव्हाण के आत्महत्या करने के बाद इस परिसर में फिर से गोंद तस्कर सक्रिय हो गये हैं. मौैलिक तथा कीमती गोंद के पेडों को चोट पहुंचाकर गोंद निकालने का सिलसिला जारी हैं. प्रादेशिक वन विभाग और अकोट वन्यजीव भाग के कर्मचारियों के आशीर्वाद से गोंद तस्कर बेलगाम होकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. कई कर्मचारियों को तो इन तस्करों के साथ आदिवासियों ने घूमते हुए देखा है, ऐसी भी जानकारी है.
10 साल पहले इस परिसर में सालाई के पेडों की संख्या ज्यादा थी. किंतु अनैसर्गिक तौर पर तस्करों द्बारा गोंद निकालने पर सालाई के पेडों को खतरा निर्माण हुआ है. इस परिसर में कटवा पध्दति से सालई के पेडों से गोंद निकालकर मध्यप्रदेश में बेचने का गोरखधंधा सुसर्दा तथा सोमठाणा रेंंज में सरेआम जारी है. आयुर्वेदिक औषधियां बनाने तथा हवन के लिए उपयोगी राल में इस गोंद का इस्तेमाल किया जाता है. सरकार द्बारा पांबदी लगाने के बावजूद गोंद निकालना चालू हैं. वन्य प्राणियों के अवयव, वन उपज की तस्करी इस परिसर से मध्यप्रदेश की ओर हमेशा होती रहती है. इस पर रोक लगाना जरूरी है.

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