बेलोरा विमानतल से अब तक 250 वन्य प्राणियों का रेस्क्यू
‘बोमा प्रणाली’ का काम अंतिम चरण में
* एक सप्ताह के भीतर 250 हेक्टेअर परिसर से वन्य प्राणी होंगे निरंक
अमरावती /दि.7- महाराष्ट्र विमानतल विकास प्राधिकरण के नियंत्रण में बेलोरा विमानतल के विकास काम पूर्ण होते आये है. वहीं अब विमानों के टेकऑफ में बाधा रहने वाले वन्य प्राणियों को बाहर निकालने का काम भी अंतिम चरण में है. जिसके तहत अब तक 250 हेक्टेअर क्षेत्र में फैले बेलोरा विमानतल परिसर से 250 से अधिक वन्य प्राणियों के रेस्क्यू कर उन्हें अभयारण्य में भेजा गया है. वहीं अब इस परिसर में 4 से 5 नीलगाय बची हुई है और उन्हें भी इसी सप्ताह के भीतर पिंजरे में पकडकर विमानतल परिसर से वन्य प्राणियों की संख्या को निरंक कर लिया जाएगा, ऐसी जानकारी सामने आयी है.
बता दें कि, 250 हेक्टेअर क्षेत्र में फैले बेलोरा विमानतल परिसर में वर्ष 2008 से विस्तारीकरण का काम अधर में लटका पडा था. जिसके बाद पूर्व राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर कर बेलोरा विमानतल के विकास कामों को पूर्ण कर विमान सेवा शुरु करने हेतु राज्य सरकार से टाइम बाँड तैयार करवाया था. जिसके अनुसार अब महाराष्ट्र विमानतल विकास प्राधिकरण के आधिपत्य के तहत बेलोरा विमानतल पर अत्याधुनिक 1850 मीटर लंबा रनवे, एटीसी टॉवर दर्शनी हिस्सा रहने वाली टर्मिनल बिल्डिंग अंतर्गत व बाह्य रास्ते, स्ट्रीट लाइट सुविधा, आने-जाने हेतु स्वतंत्र रास्ते वाहनतल व सुरक्षा दीवार जैसे काम पूरे हुए. परंतु विमानतल की सुरक्षा दीवार का काम शुरु होने से पहले विमानतल परिसर के भीतर रहने वाले वन्य प्राणियों को बाहर नहीं निकाला गया था. जिसके चलते विमानतल का काम पूरा होने के बाद भी विमानतल परिसर में हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर व मोर जैसे वन्य प्राणियों का बडे पैमाने पर अस्तित्व बना रहा. यह वन्यप्राणी रनवे पर आ जाने से विमान हादसों के लिए कारणीभूत साबित हो सकते है. जिसके परिणाम स्वरुप विगत एक माह से वनविभाग ने बोमा प्रणाली के तहत विमानतल परिसर से वन्यप्राणियों के रेस्क्यू की मुहिम चलाई थी और दो दिन पहले 250 से अधिक वन्य प्राणियों को रेस्क्यू कर उन्हें अभयारण्य परिसर में सुरक्षित ले जाकर छोडा गया. वहीं अब विमानतल परिसर में रहने वाली 3 से 4 नीलगायों को पकडने का काम बाकी है और यह काम भी इसी सप्ताह में पूरा हो जाने के संकेत है. जिसके बाद बेलोरा विमानतल परिसर पूरी तरह वन्यप्राणियों से मुक्त हो जाएगा.
पता चला है कि, विमानतल से वन्यप्राणियों को रेस्क्यू करने हेतु राज्य सरकार ने वनविभाग को 55 लाख रुपयों की निधि उपलब्ध कराई है. जिसके जरिए वनविभाग द्वारा बोमा प्राणाली का अवलंब कर बेलोरा विमानतल परिसर से जंगली जानवरों को पकडकर रेक्स्यू करते हुए उन्हें अभयारण्य में छोडा जा रहा है. इसके साथ ही अब आगामी जनवरी माह में बेलोरा विमानतल से विमानों के टेक ऑफ शुरु होने की जानकारी है.
* बेलोरा विमानतल से विमानों के टेक ऑफ में बाधा साबित होने वाले वन्य प्राणियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इस समय केवल 4 से 5 नीलगाय ही वनविभाग द्वारा बेलोरा विमानतल परिसर से पकडी जाना बाकी है. जिन्हें जल्द ही पकडकर अभयारण्य में छोड दिया जाएगा. ऐसे में वन्य प्राणियों को पकडने हेतु बोमा प्रणाली सफल होती दिखाई दे रही है.
– गौरव उपशाम,
प्रभारी प्रबंधक,
बेलोरा विमानतल.
* सबसे पहले अमरावती मंडल ने उठाया था मामला
विशेष उल्लेखनीय है कि, बेलोरा विमानतल परिसर में मौजूद रहने वाले वन्य प्राणियों की समस्या का मामला सबसे पहले दैनिक अमरावती मंडल में ही प्रकाशित किया था. जिसके बाद वनविभाग द्वारा विमानतल परिसर में बोमा प्राणाली का अवलंब करते हुए वन्य प्राणियों को रेस्क्यू कर अभयारण्य में ले जाकर छोडने का अभियान शुरु किया गया था. इसकी जानकारी भी समय-समय पर दैनिक अमरावती मंडल ने ही सबसे पहले प्रकाशित की थी और दैनिक अमरावती मंडल द्वारा की गई इस पहल के चलते आज बेलोरा विमानतल परिसर वन्य प्राणियों से मुक्त होने की कगार पर है. जिसे अब बेलोरा विमानतल से विमानों के टेक ऑफ का रास्ता खुल गया है.