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अब तक ‘उन’ तीनों कैदियों का कोई अता-पता नहीं

अमरावती सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर लगा बडा सवालिया निशान

* मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही हुई थी ‘जेल ब्रेक’ की घटना
* संतरियों के ‘खडे पहरे’ पर भी लगा प्रश्नचिन्ह
अमरावती/दि.29- गत रोज स्थानीय मध्यवर्ती कारागार में ‘जेल ब्रेक’ की घटना घटित हुई और जेल की कडी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए तीन खूंखार व सजायाप्ता कैदी जेल से फरार हो गये. इस घटना ने बेहद सुरक्षित व मजबूत कही जानेवाली अमरावती सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था और यहां पर चारों ओर लगाये जानेवाले जेल प्रहरियों के खडे पहरे पर सवालिया निशान लगा दिया है. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, तीनों कैदियों ने जेल से बाहर निकलने के लिए जेल की दीवार के जिस हिस्से को चुना वह मुख्य प्रवेश द्वार से बेहद पास स्थित है और उस प्रवेशद्वार के पास ही जेल की दो सुरक्षा चौकिया भी मौजूद है. जहां पर चौबीसौ घंटे जेल पुलिस का पहरा रहता है. लेकिन इसके बावजूद उन सबकी आंखों में धूल झोंकते हुए तीन कैदी करीब 21 फीट उंची दीवार को फांदकर बडी आसानी से फरार हो गये और किसी को भी इस घटना का कानोकान पता भी नहीं चला. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, जिस समय अपनी बैरक से निकलकर ये कैदी जेल की दीवार के पास पहुंचे और 21 फीट उंची दीवार पर चढे, उस समय जेल के भीतर मौजूद जेल स्टाफ के नजर उन पर कैसे नहीं पडी. साथ ही जब ये तीनों कैदी दीवार की मुंडेर पर चढकर बाहर की ओर नीचे उतरे, तब भी जेल के मुख्य प्रवेशद्वार पर तैनात किसी संतरी की निगाह में वे कैसे नहीं आये? कुल मिलाकर तीन कैदियों द्वारा अंजाम दी गई ‘जेल ब्रेक’ की यह घटना अपने आप में संशोधन का विषय है.
बता दें कि, अमरावती सेंट्रल जेल से गत रोज साहिल अजमत कालसेकर (33, नायसी, तह. चिपलूण, जिला रत्नागिरी निवासी) तथा सुमीत शिवराम धुर्वे (19) व रोशन गंगाराम उईके (23, दोनों बालापेठ, शेंदूरजनाघाट, तह. वरूड, जिला अमरावती निवासी) नामक तीन कैदी फरार होने की घटना उजागर हुई है. इसमें से साहिल कालसेकर को धारा 307 के तहत हत्या के प्रयासवाले मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और वह पुणे व नागपुर की जेलों से होते हुए अमरावती के सेंट्रल जेल में सजा काटने हेतु भेजा गया था. इसके अलावा सुमीत धुर्वे व रोशन उईके को एक नाबालिग लडकी के साथ दुराचार करने के मामले में दोषी करार देते हुए अदालत द्वारा सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी और इन तीनों को अमरावती सेंट्रल जेल की बैरक क्रमांक 12 में रखा गया था, जहां से ये तीनोें ही कैदी बडे योजनाबध्द ढंग से ‘जेल ब्रेक’ करते हुए फरार हो गये. जिसे लेकर अब कई तरह के सवाल पूछे जा रहे है.

* जेल में दिनचर्या होती है पूरी तरह से तय
– चप्पे-चप्पे पर होती है जेल पुलिस की नजर
उल्लेखनीय है कि, सभी तरह की जेलों में दिनचर्या कैसी हो, यह जेल मैन्युअल में पहले से तय है और इसी जेल मैन्युअल के हिसाब से सभी जेलों में दिनचर्या चलती है. जिसके तहत सुर्योदय के बाद सभी कैदियों को उनकी बैरक से बाहर निकाला जाता है और शाम 6 बजे सुर्यास्त के समय सभी कैदियों की गिनती करते हुए उन्हें उनकी बैरक में बंद कर दिया जाता है. शाम 6 बजे कैदियों को बैरक में बंद करने के बाद उन्हें अगले दिन की सुबह तक बैरक से बाहर नहीं निकाला जा सकता. साथ ही सभी बैरक में लगाये गये टीवी को भी रात 9 बजे बंद कर दिया जाता है और कैदियों को सोने के लिए कहा जाता है. रात 9 बजे के बाद रात्रीकालीन गश्त के दौरान जेल पुलिस के कर्मचारी सभी बैरकों के सामने पहरा देते है. साथ ही जेल कर्मियों व जेल अधिकारियों द्वारा सभी बैरकों के ताले, खिडकी व छत की जांच-पडताल की जाती है. साथ ही जेल के भीतर मुख्य दीवार के पास भी जेल कर्मियों की तैनाती रहती है और जेल के चारों कोनों पर बनाये गये वॉच टॉवर पर तैनात जेल कर्मियों द्वारा बेहद उंचाई से जेल के हर हिस्से पर नजर रखी जाती है. साथ ही रात के समय सर्च लाईट से तेज रोशनी भी जेल परिसर के भीतर छोडी जाती है, ताकि किसी भी तरह की हलचल या हरकत पर नजर रखी जा सके. इसके अलावा जेल परिसर के भीतर गश्त और पहरे की ड्यूटी पर लगाये गये जेल स्टाफ द्वारा हर एक घंटे में अपने वरिष्ठाधिकारियों को वॉकी-टॉकी व वायरलेस के जरिये सबकुछ ‘ऑल-वेल’ यानी ठीकठाक रहने का मैसेज भी दिया जाता है. लेकिन इसके बावजूद सोमवार व मंगलवार की दरम्यानी रात 1 से 2 बजे के बीच तीन कैदी अपनी बैरक से निकलकर लंबा अंतर पार करते हुए जेल की मुख्य दीवार तक पहुंच गये और दहीहांडी की तरह पिरामिड बनाते हुए एक कैदी 21 फीट उंची सुरक्षा दीवार पर चढ गया. पश्चात ओढने के काम हेतु प्रयुक्त होनेवाली चादर के सहारे अन्य दो कैदी भी दीवार पर चढ गये और फिर तिनों ही उस दीवार से दूसरी ओर बाहर की तरफ उतर भी गये. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जेल के किसी भी कर्मचारी की उन पर नजर भी नहीं पडी. यह अपने आप में बेहद आश्चर्य का विषय है.

* ऐसे अंजाम दी गई ‘जेल ब्रेक’ की घटना
– सबसे पहले बैरक के दरवाजे का ताला तोडा
जानकारी के मुताबिक बैरक क्रमांक 12 को प्रार्थना गृह के तौर पर विकसित किया गया है. जहां पर कैदियों के लिए विभिन्न मनोरंजनात्मक व प्रबोधनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस बैरक में कुल दो दरवाजे है. जिसमें से एक दरवाजे के बगल में सीढिया रहने के साथ ही एक बडी सी गैप है. इसी बात का फायदा ‘जेल ब्रेक’ करनेवाले कैदियों द्वारा उठाया गया. इसी गैप से हाथ बाहर निकालते हुए तीनों कैदियों ने बैरक के दरवाजे पर लगे ताले को तोडा और वे अपनी बैरक से बाहर निकले.

– अनाज के गोदाम से लगाई छलांग
बैरक क्रमांक 12 से बाहर निकलने के बाद तीनों कैदियों ने जेल परिसर के भीतर स्थित सुरक्षा दीवार को पार किया और वे इसी दीवार के सहारे बनाये गये अनाज के गोदाम पर चढे. जहां से मुख्य प्रवेश द्वार से लगकर बनी मजबूत पाषाणों की दीवार से नीचे उतरते हुए तीनों कैदी जेल से फरार हो गये.

– पलायन के लिए चादरों का प्रयोग
अपनी बैरक से बाहर निकलने के बाद इन कैदियोें ने सुरक्षा दीवार पर चढने के लिए उन्हें ओढने व बिछाने हेतु दिये गये चादर व कम्बल का प्रयोग किया. चादर व कम्बल के सहारे इन कैदियों ने मोटी व मजबूत रस्सी बनायी. जिसके सहारे तीनों कैदी एक-एक कर सुरक्षा दीवार पर चढ गये.

* ‘जेल ब्रेक’ का मास्टरमाइंड है साहिल कालसेकर
इस मामले की जानकारी मिलने के बाद शुरू की गई जांच में अनुमान लगाया गया है कि, उम्र कैद की सजा काटनेवाला रत्नागिरी निवासी साहिल कालसेकर ही ‘जेल ब्रेक’ की घटना का मुख्य मास्टरमाइंड है. साहिल इससे पहले भी जेल से फरार होने का एक-दो बार प्रयास कर चुका है. जिसके तहत इलाज हेतु सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में भरती रहते समय उसने वहां से भाग निकलने का प्रयास किया था. लेकिन सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों की सतर्कता के चलते उसका वह प्रयास असफल साबित हुआ.

* जिन्हे निगरानी के लिए रखा था, उन्हें ही साथ मिला लिया
सुत्रों के जरिये मिली जानकारी के मुताबिक साहिल कालसेकर की अपराधिक प्रवृत्ति और उसके शातीर स्वभाव को देखते हुए जेल पुलिस द्वारा उस पर विशेष नजर रखी जाती थी. साथ ही नाबालिग से दूराचार के मामले में सजा प्राप्त शेंदूरजनाघाट निवासी दो कैदियों को साहिल पर नजर रखने के लिहाज से ही उसके साथ बैरक क्रमांक 12 में रखा गया था. लेकिन साहिल कालसेकर इतना अधिक शातीर निकला कि, उसने अपनी निगरानी के लिए लगाये गये दोनों कैदियों को ही अपने साथ मिला लिया और उनके साथ मिलकर ‘जेल ब्रेक’ की घटना को अंजाम दे डाला. साथ ही यह ‘जेल ब्रेक’ इतने सुनियोजीत तरीके से अंजाम दिया गया कि, जिसकी खबर किसी को नहीं चली तथा जेल से फरार होनेवाले तीनों कैदियों पर जेल स्टाफ में से किसी की नजर भी नहीं पडी.

* अंडा सेल में भी रखा गया था साहिल को, बाहर आने के लिए किया था अनशन
‘हाफ मर्डर’ के मामले में उम्रकैद की सजा प्राप्त साहिल अजमत कालसेकर 23 मार्च 2022 को अमरावती सेंट्रल जेल में अपनी सजा काटने हेतु लाया गया था और उसके अपराधिक स्वभाव एवं चाल-चलन सहित हरकतोेें को देखते हुए उसे अमरावती सेंट्रल जेल की अंडा सेल में सबसे अलग-थलग रखा गया था. बता दें कि, अंडा सेल में बेहद खूंखार कैदियों को ही रखा जाता है, ताकि वे जेल में सजा कांटनेवाले अन्य कैदियोें के संपर्क में न आ सके. लेकिन खुद को अंडा सेल से बाहर निकालने की मांग करते हुए साहिल कालसेकर ने जेल में ही अन्नत्याग आंदोलन यानी अनशन करना शुरू कर दिया. जिसके चलते जेल प्रशासन को मजबूर होकर उसे अंडा सेल से निकालकर सामान्य बैरक में रखने का निर्णय लिया गया.

* जेल डीआयजी स्वाती साठे पहुंची अमरावती
अमरावती मध्यवर्ती कारागार के इतिहास में पहली बार हुई ‘जेल ब्रेक’ की घटना के बारे में जानकारी मिलते ही कारागार प्रशासन के नागपुर विभाग की उपमहानिरीक्षक स्वाती साठे कल ही नागपुर से आनन-फानन में अमरावती पहुंची और उन्होंने अमरावती सेंट्रल जेल जाकर पूरे मामले की प्रत्यक्ष जानकारी लेते हुए जेल परिसर का मुआयना भी किया. साथ ही उन्होंने मामले की जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि, इस मामले में जो भी दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ सख्त व कडी कार्रवाई की जायेगी. डीआईजी स्वाती साठे द्वारा जेल परिसर का मुआयना करते समय उनके साथ सेंट्रल जेल के वरिष्ठाधिकारियों के साथ ही शहर पुलिस उपायुक्त विक्रम साली तथा फ्रेजरपुरा पुलिस स्टेशन की टीम भी मौजूद थी.

* साहिल से उसके घरवाले भी परेशान
पता चला है कि, साहिल कलसेकर की अपराधिक प्रवृत्ति इतनी अधिक खतरनाक है कि, उससे उसके घरवाले भी परेशान है. यही वजह है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान पैरोल मंजूर होने के बावजूद वह घर जाने हेतु जेल से बाहर नहीं आया था, क्योंकि उसके घरवाले ही उसे घर पर नहीं आने देना चाहते.

* जेल के कपडों की बजाय आम कपडे पहनकर भागे तीनों कैदी
बेहद विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साहिल सहित अन्य दोनों आरोपियों ने जेल से भागते समय जेल में कैदियों को दी जानेवाली वर्दी की बजाय आम यानी सामान्य कपडे पहन रखे थे. जिसकी वजह से जब यह तीनों जेल से बाहर निकले, तो उन्हें कोई भी आम व्यक्ति कैदी के तौर पर नहीं पहचान पाया. पता चला है कि, साहिल कालसेकर, रोशन उईके व सुमीत धुर्वे ने अपने आम कपडों की थैली अपनी बैरक में ही अपने पास रखी थी. जबकि नियमानुसार जेल में किसी भी सजायाफ्ता कैदी को आम कपडे पहनने की इजाजत नहीं होती. बल्कि पूरा समय जेल मैन्यूअल के हिसाब से कैदी वर्दी पहनना होता है. साथ ही किसी भी सजायाफ्ता कैदी को जेल में लाये जाते समय उसके कपडे सहित अन्य साजो-सामान जेल के स्टोअर में जमा कर लिया जाता है. ऐसे में इन तीनों कैदियोें के पास उनके आम कपडों की थैलियां बैरक में कैसे मौजूद थी, यह भी जांच का विषय है.

* पुलिस के विभिन्न विभाग लगे जांच में
इस घटना के दूसरे दिन आज शहर पुलिस उपायुक्त एम. एम. मकानदार, एसीपी ढोले, फ्रेजरपुरा पुलिस स्टेशन के थानेदार अनिल कुरलकर ने एक बार फिर जेल का दौरा किया. साथ ही जेल प्रशासन के साथ मुलाकात करते हुए भविष्य में दुबारा कभी इस तरह की घटना घटित न हो, इस हेतु किये जानेवाले उपायों को लेकर विस्तृत चर्चा भी की. वहीं जेल से फरार हुए तीनों कैदियोें की तलाश एवं जेल ब्रेक की इस घटना की जांच करने हेतु फ्रेजरपुरा पुलिस के दो पथकों सहित अपराध शाखा, एसआयडी, सीआयडी व एटीएस सहित जेल प्रशासन के दस्तों द्वारा आपसी समन्वय के साथ काम किया जा रहा है.

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