अमरावती

… तो एफआईआर के लिए प्राथमिक जांच की जरुरत नहीं.

 हाईकोर्ट ने व्यक्त किये विचार

  •  मामला विवाहिता की आत्महत्या का

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – अपराध दखल प्राप्त रहा तो आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्राथमिक जांच करने की जरुरत नहीं, इस तरह के विचार मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक विवाहिता की आत्महत्या मामले पर निर्णय में व्यक्त किये.
मामले पर न्यायमूर्तिव्दय विनय देशपांडे व अमित बोरकर के समक्ष सुनवाई हुई. मृत विवाहिता का नाम किरण था. उसने फांसी लगाकर आत्महत्या की. पश्चात किरण के पिता मनोहर आंबेकर ने 8 मई 2020 को वाशिम पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कर किरण की आत्महत्या के लिए पति नंदकिशोर परालकर व देवर गणेश यह जिम्मेदार रहने का आरोप किया है. इन दोनों ने शारीरिक व मानसिक प्रताडना करने से किरण को आत्महत्या करनी पडी, ऐसा भी कहा था, लेकिन पुलिस ने परालकर बंधुओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं किया. जिससे आंबेकर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर परालकर बंधुओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की. जिसमें न्यायालय ने नोटिस देने के बाद पुलिस ने जवाब पेश कर मामले की जांच की और आंबेकर व अन्यों के बयान दर्ज करने की जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट के ‘ललिता कुमारी’ मामले पर निर्णय विचार में लेते हुए पुलिस की यह कृति गैर कानूनी रहने की बात हाईकोर्ट में पायी गई. परिणाम स्वरुप न्यायालय में यह विचार व्यक्त कर संबंधित आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश वाशिम पुलिस को दिया तथा मामले की कानून के अनुसार जांच करने के लिए कहा.

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