शिक्षा और शिक्षकों की विभिन्न लंबित समस्याओं का करें समाधान
शैक्षिक महासंघ की मांग
* शिक्षा मंत्री प्रधान के साथ बैठक
अमरावती/दि.22–अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ शिक्षा और शिक्षकों की विभिन्न लंबित समस्याओं पर लंबी चर्चा की. इस संबंध में जानकारी देते हुए -एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रो. जे.पी. सिंघल ने कहा कि उच्च शिक्षा क्षेत्र की कई प्रमुख समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सही कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुविधाओं का विकास करना और शिक्षण और गैर-शिक्षण रिक्तियों को प्राथमिकता पर भरना, मायनर और मेजर शोध परियोजनाओं और पीएचडी के तहत टीआरएफ और संकाय विकास कार्यक्रम की प्रणाली को पुनर्स्थापित करना, पीएचडी कोर्सवर्क के लिए भुगतान अवकाश प्रदान करना, देशभर में यूजीसी विनियमन 2018 के प्रावधानों को समान रूप से लागू करना, विसंगति निवारण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना, और स्नातक कॉलेजों के शिक्षकों को शोध मार्गदर्शक बनने के लिए प्रावधान करना शामिल था.
महासंघ के महासचिव शिवानंद सिंदनखेडा ने स्कूली शिक्षा से संबंधित समस्याओं पर एबीआरएसएम के विचार विस्तार से प्रस्तुत किए. चर्चा में मुख्यतः पुरानी पेंशन योजना लागू करना, शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करना, देशभर में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को समान रूप से लागू करना, अस्थायी प्रणाली को समाप्त करना और रिक्त पदों को स्थायी रूप से भरना, पदोन्नति के लिए टीईटी की आवश्यकता को समाप्त करना और समय पर पदोन्नति सुनिश्चित करना शामिल था.
एबीआरएसएम एनआईटी टीचर्स फोरम के संयोजक प्रो. महेंद्र श्रीमाली ने परिषद के गठन, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने, और करियर उन्नति में समय पर पदोन्नति देने जैसी समस्याओं पर शिक्षा मंत्री को जानकारी दी. लगभग दो घंटे की बातचीत में शिक्षा मंत्री ने विभिन्न संवर्गों की सभी समस्याओं को एक-एक करके समझा और इस संबंध में विस्तृत नोट तैयार करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार शिक्षा और शिक्षकों के हितों में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और अ.भा.राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा उठाए गए मुद्दों पर अधिकारियों के साथ बैठक करके जल्द ही उचित सकारात्मक कार्रवाई की जाएगी.