अशांति व भ्रम फैलाने का काम कर रहे सोमैया
सांसद बलवंत वानखडे ने जमकर लिया आडे हाथ
* सोमैया के ट्विट में ही ‘बडा झोल’ रहने की बात कही
* पुलिस एवं गृह मंत्रालय को लेकर भी उठाये सवाल
अमरावती/दि.10 – गत रोज भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा आरोप लगाया गया था कि, अमरावती जिले के अंजनगांव सुर्जी तहसील कार्यालय द्वारा 1100 बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं को फर्जी दस्तावेज के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी किये गये है. जिसे खारिज करते हुए अमरावती संसदी क्षेत्र के सांसद बलवंत वानखडे ने कहा कि, अंजनगांव सुर्जी एक बेहद छोटा सा शहर है. जहां पर यदि एक साथ बाहर से आहर 1100 नये लोग बसते है, तो इसकी जानकारी सोमैया से पहले स्थानीय निवासियों को ही लग गई होती. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जिसका सीधा मतलब है कि, अशांति, अविश्वास व संभ्रम वाला माहौल पैदा करने के लिए किरीट सोमैया झूठ का सहारा ले रहे है.
इस मामले को लेकर दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बात करते हुए सांसद बलवंत वानखडे ने कहा कि, किरीट सोमैया द्वारा किये गये ट्विट में ही काफी बडा झोल है. किरीट सोमैया ने अपने ट्विटी में दावा किया है कि, उन्हें यह जानकारी अंजनगांव सुर्जी की तहसीलदार ने खुद फोन पर दी थी. जबकि यह दावा ही अपने आप में बेहद हास्यास्पद है. क्योंकि अगर किसी तहसील कार्यालय के जरिए ऐसी गलती हुई होती, तो भी किसी तहसीलदार द्वारा उसे इस तरह से किसी नेता के साथ साझा नहीं किया गया होता, वहीं गत रोज खुद अंजनगांव सुर्जी की तहसीलदार पुष्पा सोलंके ने इसे लेकर स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया था कि, उनके कार्यालय द्वारा सभी तरह के दस्तावेजों की जांच पडताल के बाद ही उनके समक्ष आये आवेदनों के लिए जन्म प्रमाणपत्र जारी किये गये थे और इन मामलों में थोडा बहुत भी संदेह था, उन्हें लेकर पालिका सीईओ व पंस बीडीओ कार्यालय से रिपोर्ट मंगाई गई थी. तहसीलदार सोलंके के इसी स्पष्टीकरण को आधार बनाते हुए सांसद बलवंत वानखडे ने कहा कि, अंजनगांव सुर्जी शहर व तहसील में रहने वाले लोगों के रहन-सहन व बोलचाल का अपना तरीका है. वहीं बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं के रहन-सहन व बोलचाल का तरीका निश्चित रुप से काफी अलग रहता होगा, ऐसे में यदि एकसाथ एक हजार से अधिक अलग तरह के लोग हमारे आसपास आकर रहना शुरु कर दे, तो अडोस-पडोस के लोगों में इसे लेकर चर्चा शुरु हो जाती है.
इसके साथ ही सांसद बलवंत वानखडे ने यह सवाल भी दागा कि, अगर पिछले 6 माह के दौरान अंजनगांव सुर्जी में आकर बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं जैसे विदेशी लोगों ने अपना ठिकाना बनाने के साथ ही फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र भी हासिल कर लिये है, तो फिर इस दौरान सीएम देवेंद्र फडणवीस का गृह मंत्रालय और महाराष्ट्र पुलिस क्या कर रहे थे. साथ ही उन्हें अब तक इतने बडे पैमाने पर बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं के अमरावती जिले में आकर बस जाने की भनक तक कैसे नहीं लगी.