अमरावतीमहाराष्ट्र

बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गई, इक शख्स सारे शहर को विरान कर गया

अमरावती/दि.15– मां, मजदुर तथा वर्तमान हालतों पर अपनी गजल के अलग अंदाज की शायरी के माध्यम से शायरी जगत पर अपना वर्चस्व बनाने वाले शायर मुनव्वर राणा का कल रात निधन होने से उर्दू-हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई. मुनव्वर राणा सिर्फ उर्दू में ही नहीं बल्कि हिन्दी भाषा में भी अपनी पकड रखते थे. उनकी शायरियों में अक्सर मां का जिक्र होता था. उनकी गजलों में मजदुर की कहानियां होती थी. जिसे आज भी कई कार्यक्रमों में पढा व सुना जाता है. मुनव्वर राणा के निधन के बाद अमरावती जिला ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न कोनों में उर्दू अदब व मुनव्वर राणा को नजदिक से जानने वाले शोकाकुल है. जिसके चलते शहर व देश की उर्दू अदब की महफिल के कुछ मान्यवरों व्दारा मुनव्वर राणा को खिराजे अकिदत(श्रध्दांजलि) दी जा रही है-

मुनव्वर राना की मौत की खबर ने मेरी रूह को झंजोड़ दिया है. उन का जाना अदबी दुनिया का बड़ा नुकसान है, उन्होंने किताब के कागज़ और मुशायरे के मंच को एक शायराना वक़ार अता किया है.
कई साल पहले उन्होंने मुझे रात 11:30 बजे फोन किया गुफ़तगू के दौरान उन्होंने अपनी एक खूबसूरत ग़ज़ल सुनाई जिस का एक शेर मुझे आज भी याद है.
*ये जो सूरज लिए कांधो पे फिरा करते है,
मर भी जाएं तो मुनव्वर नहीं होने वाले..
हमारी तरफ से उन्हें खिराजे अकिदत.
तनवीर गाजी, शायर,गीतकार, मुंबई

मां की शख्सीयत को अलग आयाम देने का श्रेय सिर्फ मुन्नवर राणा को
मुनव्वर राणा एक अजीम शख्सीयत थे. वह उर्दू अदब का मान-सम्मान थे. हिन्दुस्तान की जमीन पर गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जिन शख्सीयतों ने काम किया, उनमें इनका बहुत बडा योगदान था. मां के विषय में गजल, शायरी पढना, मां की शख्सीयत को पुरी दुनिया में अपनी शायरी के बदौलत एक अलग आयाम देने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ मुन्नवर राणा को ही जाता है.मैं उनके करिबियों में से एक हुं, जब एक बार उनके निवास पर रात में रुकने का मौका मिला तब दुनिया की सबसे बेहतरीन किताबों की एक बडी लायब्रेरी उनके घर पर दिखी. जिसमें से कुछ किताबों को पढने और उस पर चर्चा करने का मौका मिला. उनके निधन से हम सभी को दुख है. उनकी किताब मुहाजिर नामा वह भारत-पाकिस्तान की दोस्ती पर पुरी दुनिया में काफी प्रसिध्द हुई. उसका शेर आज भी कई कार्यक्रमों के दौरान याद किया जाता है कि- सो जाते है फुटपाथ पर अखबार बिछा कर, मजदुर कभी निंद की गोलियां नहीं खाते. उनके निधन पर हम पुरे जिले के तरफ से श्रध्दांजलि अर्पित करते है.
डॉ. खालिद नैयर, (शायर) अमरावती

वो डॉयलॉग राईटर नही बल्कि डॉयलॉग मेकर थे
इसमें कोई शक नहीं कि मुनव्वर राणा का जाना, उनके जाने से नुकसान, इंतेकाल यह अदबी व शायरी दोनों ही दुनिया के लिए एक बहुत बडा नुकसान है. दुसरी बात यह है कि मुनव्वर राणा ने गजल को जो नया आयाम दिया है, लहजा दिया है, उन्होनें उन विषयों पर शायरी कर प्रसिध्दी हासिल की है जो विषय पहले किसी शायर ने प्रस्तुत नहीं किए थे. जैसे मां, मजदुर, आम इंसान की तकलीफ उनकी शायरी में नजर आते है. जितनी खुबसुरत उनकी शायरी है, उतनी ही खुबसुरत उनकी शख्सीयत है. राहत इंदौरी साहब ने उन्हें डॉयलॉग मेकर की उपाधी दी थी. उन्होनें कहा था कि मुनव्वर राणा कोई डॉयलॉग राईटर नहीं है बल्कि वो डॉयलॉग मेकर है. वाकई में यह हम सब के लिए एक बहुत बडा नुकसान है, जो कभ भर नहीं सकता. हमारी तरफ से उनकी आत्मा की शांति के लिए खिराजे अकिदत पेश करते है.
अबरार काशिफ, अंतराष्ट्रीय शायर, अमरावती

उनकी तारीफ बेमिसाल है. उनकी तारीफ करना यानी सुरज को दिया दिखाने जैसा होगा. मुनव्वर राणा की वफात के बाद एक अदबी दुनिया आपकी कमी हमेशा महेसुस करेगी. उनकी जगह किसी शायर ने न भरा है, न ही भर पाएगा. हम सभी उर्दू के चाहने वालों की तरफ उन्हें दिल से खिराजे अकिदत पेश है.
शायर मोबीन खान मोबीन.अमरावती

उनकी शायरी के भरोसे वे हमेशा रहेगे जिंदा
मुनव्वर राणा जैसे शायर एक सदी में पैदा होते है. उर्दू शायरी की दुनिया का ऐसा नुमाईंदा शायर जिन्होनें अपनी शायरी के जरिए पूरी दुनिया में लोगों के अहेसास की तरजुमानी की है. इंकलाबी शायरों की लिस्ट में मुनव्वर राणा साहब हमेशा पहली पंक्ति में रहेगें. आज वे हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनकी शायरी के जरिए वो हमेशा ही लोगों के दिलों में जिंदा रहेगें.
सनाऊल्लाह खान मास्टर, अमरावती.

अलविदा मुनव्वर राना‘ एक बड़ा शायर हमसे जुदा हो गया
मशहुर शायर और लेखक मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं रहे, वाकई उनके हम तमाम चाहने वालों के लिए यह बेइंतिहा दुखी कर देने वाली खबर है. शब्दों को बड़ी महारत और सादगी से शायरी में ढालने वाला कलम का बेबाक सिपाही और इस सदी का बहुत बड़ा शायर हमेशा-हमेशा के लिए हमसे जुदा हो गया. दुआ है के जन्नत में उन्हें आला मुकाम अता हो (आमीन). उनसे कई बार मुलाक़ात हुई, अब वो बातें और यादें ज़िंदगी के यादगार सुनहेरे पल बन चुके हैं.
अनिक अहमद मास्टर, सफल ग्रुप अमरावती

एक चराग और बुझा और बढ़ी तारिकी-
हिंदुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में शायरी के हवाले से जाने जानी वाली शख्सियत मुनव्वर राना साहब हमारे दरमियान नहीं रहे ..मुनव्वर राना एक ऐसे शायर थे, जिनकी मौजूदगी मुशायरों की कमियाबी की जमानत थी. मुनव्वर राना को सुनने के लिए पूरी दुनिया बे चैन रहा करती थी कई मुशायरे कवि सम्मेलन उनका इंतजार करते थे. उनका लहजा ऐसा था के सुनने वालों पर नशा छा जाता था, उनकी शायरी सुनकर पढ़कर कई नए शायर तखलीक (पैदा ) हुए. मैने मुनव्वर राना साहब के साथ तीन चार मुशायरे कवि सम्मेलन पढ़े. उनकी एक खासियत ये थी के वो अपने जूनियरों को अपनी दुआओं से नवाज़ते थे. मुनव्वर राना साहब जितने अच्छे शायर थे, नाज़ीम थे, उतने ही अच्छे अखलाक के मालिक भी थे.. उनके चले जाने से उनके चाहने वालों में गम की लहर है.
शायर इकबाल साहिल अमरावती.

उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता
उर्दू अदब व शायरी के वह एक अजीम शख्सीयत थे. उनकी बराबरी कोई नहीं सका न कर सकेगा. वर्तमान में कोई भी शायर मां पर किसी कविता, शायरी को लिख पढ नहीं सकता, मगर राणा साहब ने मां की शख्सीयत को अपनी शायरी के दम पर बुलंदी पर पहुंचाया. राहत इंदौरी के बाद मुनव्वर राणा का चले जाना उर्दू अदब को बहुत बडा नुकसान माना जाएगा. उनकी शायरी व उनका अलग अंदाज में गजल, शायरी को बयान करना यह देश दुनिया में माना जाता है. उर्दू अदब की ओर से हम सभी उनको खिराजे अकिदत प्रस्तुत करते है.
डॉ. जाहिद नैयर (शायर, अमरावती)

एक नामी हस्ती बिछडी हमसे
मुनव्वर राणा शायरी की दुुनिया में एक अलग स्थान रखती है. उनके जाने से उर्दू अदब व शायरी को भारी नुकसान हुआ है. हम कई बार उनसे मिले है. वाकई में वह एक बहुत बडी हस्ती रखते थे. उनका व्यक्तित्व बेमिसाल था. उनकी शायरी में वे हमेशा जिंदा रहेगें.
फिरोज खान( अध्यक्ष, पासबाने उर्दू अदब, अमरावती)

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