गडचिरोली का मामला : जिलाधिकारी, पुलिस अधिक्षक को नोटीस
अमरावती-/ दि.26 गुंडा, अपराधिक गतिविधियों में शामिल बेटे से वापस घर का कब्जा मिले, इसके लिए गडचिरोली की एक वृध्द महिला ने मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है. अदालत ने पीडित वृध्द महिला का कहना सुनने के बाद माता-पिता निर्वाह न्यायधिकरण पिठासन अधिकारी, जिलाधिकारी, पुलिस अधिक्षक समेत बेटा, बेटी को नोटीस देकर इसपर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये है.
इस मुकदमे पर न्यायमूर्ति व्दय सुनील शुक्रे व अनिल पानसरे के समक्ष सुनवाई ली गई. पीडित मां 73 वर्ष की है. वे फिलहाल बेटा और बहु की प्रताडना से बचने के लिए किराये के मकान में रहती है. वह एक पैर से विकलांग है. इसके कारण वह सामान्य तौर पर चल भी नहीं सकती, इसी तरह उसे एक आँख से दिखाई नहीं देता. उसे तीन बच्चे है. दूसरे नंबर के बेटे ने घर पर कब्जा किया हेै. लडका गुंडा प्रवृत्ति का है, इस वजह से अन्य बेटे मां की सहायता नहीं करते. उस लडके को घर से बाहर निकालने के लिए पहले माता-पिता निर्वाह न्यायाधिकरण में शिकायत दी थी. न्यायाधिकरण ने 1 अक्तूबर 2021 को शिकायत मंजूर कर मां के पास घर कायम रखने के लिए जरुरी कार्रवाई करने के निर्देश पुलिस को दिये थे. परंतु पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके कारण मां ने जिलाधिकारी को आवेदन प्रस्तुत किया, उन्होंने भी उसे गंभीरता से नहीं लिया. इसी कारण मां ने अब उच्च न्यायालय में शरण ली. मां की ओर से एड. विजय मोरांडे ने दलीले पेश की.
पुलिस के सामने मांगी थी माफी
मां की शिकायत के बाद गडचिरोली पुलिस ने लडके को बुलाकर कार्रवाई करने की चेतावनी दी. इस बीच लडके ने पुलिस के सामने माफी मांगकर फिर परेशान नहीं करुंगा, ऐसा वादा किया था, परंतु उसमेें किसी किसी तरह का सुधार नहीं आया. उसने मां को प्रताडित करना शुरु रखा, मां बाहरगांव जाती तब वो घर का सामान भी बेच देता था.
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पिता के निधन के बाद ज्यादा तकलिफ देने लगा
पिता का 17 अप्रैल 2015 को निधन हुआ. इसके बाद संबंधित लडके ने मां को ज्यादा प्रताडित करना शुरु किया. इसके पहले से ही उसकी घर पर नजर थी. इसके पहले वह पिता पर दबाव बनाता था. जिसके कारण मां ने 20 जुलाई 2012 को पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.