अमरावती

बेटे ने पिता को व ननद ने भाभी को हराया

मामा-भांजा व ससुर-बहू पराजीत, कई परिवारों के सदस्य भूमिगत

सास व बहू जीते, मेलघाट में ‘बाप से बेटा सवाई’, रोचक रहे ग्रापं चुनाव के नतीजे.
चिखलदरा/दि.22- ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके है और कई स्थानों पर चुनावी नतीजे काफी रोचक रहे. क्योंकि कई सीटों पर आपसी रिश्तों के बीच चुनावी टकराव देखा गया और परिवारों के बीच ही प्रतिष्ठापूर्ण प्रतिस्पर्धा हुई. ऐसे में सरपंच पद के चुनाव पश्चात पारिवारिक कलह से बचने हेतु कई परिवारोें के सदस्य उपसरपंच पद के चुनाव से पहले ही भूमिगत हो गए हैं.
वहीं दूसरी ओर अब ग्रापं सदस्य व सरपंच पदों के चुनावी नतीजों को लेकर राजनीतिक दलों व नेताओं व्दारा अपने-अपने दावे किए जा रहे है साथ ही यह भी माना जा रहा है कि तहसील में किस नेता का कितना प्रभाव हैं. यह अब पूरी तरह से स्पष्ट हो गया हैं. कहा जा सकता है कि तहसील की 26 ग्राम पंचायतों के चुनाव में कई प्रस्थापित चहरों को धक्का लगा, साथ ही कई नए चहरों को आदिवासी मतदाताओं ने पसंद किया.
इस बार के चुनाव में खास बात यह रही कि, इस बार के चुनाव में शिक्षित प्रत्याशियों की संख्या अधिक रही. साथ ही कई सीटों पर निकट संबंधियों व रिश्तेदारों के बीच आपसी मुकाबला हुआ. इसके तहत चूर्णी में ननद रहने वाली रजना अलोेकार ने चुनाव जीता. वहीं भाभी रहने वाली ज्योती यवले चुनाव हार गई. इसी ग्रापं में सरपंच पद के लिए ससूर रहने वाले राजू भुसूम व सदस्य पद पर उनकी बहू कीर्ति भुसूम को हार का सामना करना पडा. उधर गांगरखेडा ग्रापं में सचिन भुसूम ने अपने पिता शंकर गानू भुसूम को पराजीत किया. इस ग्रापं में गोकूल अथोटे व निलेश बडवतकर नामक मामा-भांजे को हार का सामना करना पडा. वहीं काटकुंभ में सुम्मा परते (मालवीय) व रिता बेठेकर नामक सास-बहू ने जीत हासिल की.
उधर सोमवारखेडा में एक सदस्य पद के लिए दोनो प्रत्याशियों एक समान वोट प्राप्त हुए थे. जहां पर हार-जीत का फैसला ईश्वर चिट्ठी से हुआ. वहीं बामादेही ग्रापं में आनेवाले बगदरी गांव को 40 साल के बाद सरपंच पद मिला. इसके अलावा आंबापाटी ग्रापं में प्रचार के लिए आई मुख्याधिकारी महिला की बहन को मतदाताओं ने घर का रास्ता दिखा दिया.
गांव से सदस्य लापता
धारणी व चिखलदरा तहसील में सरपंच पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, ऐसे में सरपंच पद पर इस संवर्ग के प्रत्याशी का चयन हो चुका हैं. वहीं अब उपसरपंच पद के लिए अन्य संवर्गो के प्रत्याशियों के बीच अच्छी खासी प्रतिस्पर्धा देखी जा रही हैं. विगत 20 दिसंबर को मतगणना पश्चात चुनावी नतीजे घोषित होते ही अधिकांश ग्राम पंचायतों के सदस्य भूमिगत हो गए है और देवदर्शन व पर्यटन के लिए यात्रा पर चले गए है. जो उपसरपंच पद का चुनाव घोषित होने के पश्चात सीधे मतदान के समय लौटेंगे तब तक उनकी गैर हाजिरी में चुनाव को लेकर अनेकों किस्से क्षेत्र में सुनाए जाते रहेंगे.

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