सोन टिटवा पंछी का नांदगांव पेठ समीप के बोर बांध पर हुआ दर्शन
पेसिफिक गोल्डन प्लोवर आधी पृथ्वी का भ्रमण कर अमरावती पहुंचा
अमरावती/ दि.12 – कहते है कि जहां इंसान हजार किलोमीटर का सफर नहीं कर पाता है, वहीं दूसरी ओर पेसिफिक गोल्डन प्लोवर यानी सोन टिटवा नामक चिडिया ने आधी पृथ्वी का चक्कर काटते हुए भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के विदर्भ क्षेत्र में आनेवाले अमरावती जिले में प्रवेश किया है. पेसीफिक गोल्डन प्लोवर के रूप में विख्यात पंछी का निवास अलास्का है और केवल 300 ग्राम वजन यह टिटवा लंबा सफर तय करते हुए अमरावती पहुंच गया है. आधी पृथ्वी का चक्कर काटते हुए तकरीबन 10 हजार किलोमीटर का सफर तय कर यह पक्षी अमरावती पहुंच गया है. इस पंछी की अदभूत तस्वीरों को वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर तथा लेखक प्र.सु.हिरुरकर ने 5 नवंबर को नांदगांव पेठ समीप के बोर बांध पर अपने कैमरे में कैद किया.
विदेशी पंछियों का जिले के जलाशयों पर आगमन
जिले के विविध जलाशयों पर स्थलांतरित पक्षी आसानी से दिखाई देते हैं. यह पक्षी जिन इलाकों से स्थलांतर कर आते हैं, उन क्षेत्रों में मौसम के मुताबिक खाद्य की समस्या, सुरक्षित वातावरण, मिलन के मौसम में घोसला बनाने के लिए जरुरी सुरक्षित जगह तथा स्थितियों का महत्व रहता है. भारत में मध्य पूर्व, उत्तर व दक्षिण यूरोप, रशिया, सायबेरिया, मंगोलिया, तिब्बत समेत एशिया खंड के कई क्षेत्रों से अपने यहां पक्षी आते हैं. शीतकालीन मौसम खत्म होते ही यह अपने देश लौट जाते हैं.
रोजाना 2 हजार किलोमीटर की उडान भरता है सोन टिटवा
सोन चिखल्या सोन टिटवा नामक परदेसी स्थलांतरित पक्षी जिले के नांदगांव पेठ समीप के बोर बांध पर दिखाई दिया. अलास्का से अमरावती 9800 किलोमीटर का सफर तय करते हुए यहां पहुंचा है. यात्रा में वह प्रति दिन तकरीबन 2 हजार किलोमीटर का सफर तय करता है. भारत में आने पर वह देश के कई स्थानों पर मुक्काम करता है. फिलहाल वह अमरावती जिले के जलाशय पर दिखाई दे रहा है. प्रकृति में मौसम के मुताबिक बदलाव होता है. हर साल होने वाले पक्षियों का स्थलांतर यह बदले हुए मौसम का हिस्सा होता है. अमरावती जिले में नल दमयंती सागर, केकतपुरा, दस्तापुर, सावर्डी, शेवती, सूर्यगंगा, घातखेड, पोहरा, मालखेड, सावंगा व छत्री तालाब समेत कुल 27 जलाशय हैं.