बल्लारपुर /दि.9- स्थानीय अदालत ने बुजुर्ग माता-पिता को प्रताडित करने वाले बेटा व बहू को उनका घर खाली करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही यह भी हिदायत दी है कि, वे किसी भी तरह से वृद्ध माता-पिता की जिंदगी में दखल नहीं देंगे. अदालत ने यह निर्देश देते समय दोनों के समक्ष कुछ शर्ते रखी, साथ ही बेटे जीतेंद्र मांझी को अपने माता-पिता को प्रतिमाह 4 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया. यह फैसला बल्लारपुर अदालत के प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी अनुपम एस. शर्मा ने 31 अगस्त को दिया.
बता दें कि, लक्ष्मण मांझी बल्लारपुर पेपर मिल से सेवानिवृत्त होने के उपरांत पंडित दीनदयाल वार्ड, बल्लारपुर में घर खरीदकर अपने बेटे और बहू के साथ रह रहे थे. उनकी पत्नी जानकीदेवी मांझी ने घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 19 के तहत बल्लारपुर की अदालत में बेटे-बहू से तंग आकर अधिवक्ता सुनील पुरी के माध्यम से याचिका दायर की थी. जिसमें बेटे जीतेंद्र और बहू मीना मांझी पर प्रताडित करने का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई थी. जिस पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने पक्षों की दलील रखी. इस बीच 2 माह के भीतर बल्लारपुर अदालत के प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी अनुपम एस. शर्मा ने अपना फैसला सुनाया.
साथ ही प्रताडित माता-पिता के घर से उन्हें अलग रहने के निर्देश भी दिए. माता-पिता के बुजुर्ग होने से उनके गुजारे के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपए देने के निर्देश भी उन्होंने दिए. अदालत में बुजुर्ग माता-पिता जानकीदेवी लक्ष्मण मांझी और लक्ष्मण बनारसी मांझी की तरफ से अधिवक्ता सुनील पुरी ने पैरवी की.