अमरावती

जल्द ही पूरी क्षमता के साथ दौडेगी ‘लालपरी’

जिले के सभी एसटी कर्मी 22 अप्रैल तक लौटेंगे काम पर

* अब तक 927 कर्मचारी हडताल खत्म कर लौट चुके
अमरावती/दि.19– करीब साढे पांच माह तक चली हडताल के बाद अब एसटी कर्मचारियों ने अपने काम बंद आंदोलन को पीछे लेने का निर्णय लिया है. जिसके चलते न्यायालय द्वारा दी गई अवधि यानी 22 अप्रैल से पहले सभी एसटी कर्मचारी एक बार फिर अपने काम पर वापिस लौट आयेंगे. करीब 160 दिनों से अधिक समय तक चल रही इस हडताल के दौरान 16 अप्रैल तक अमरावती जिले में 927 कर्मचारी हडताल से अलग होते हुए काम पर लौट आये है. वहीं अब हडताल पर रहनेवाले शेष कर्मचारी भी जल्द ही काम पर लौटने की मानसिकता में है. जिसके चलते आगामी एक सप्ताह के भीतर अमरावती जिले में ‘लालपरी’ एक बार फिर अपनी पूरी क्षमता के साथ सडकों पर दौडती दिखाई दे सकती है.
बता दें कि, राज्य परिवहन निगम के अमरावती विभाग अंतर्गत करीब 2 हजार 400 कर्मचारी कार्यरत है. जिन्होंने विगत नवंबर माह के दौरान राज्य परिवहन निगम का सरकारी सेवा में विलीनीकरण किये जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हडताल शुरू की थी. साथ ही इस दौरान अदालती लडाई भी चल रही थी और अदालत ने विगत 7 अप्रैल को एक आदेश जारी करते हुए सभी हडताली कर्मचारियों को आगामी 22 अप्रैल तक काम पर लौट आने हेतु कहा. साथ ही राज्य सरकार को भी निर्देश दिया गया कि, काम पर लौटनेवाले कर्मचारियों को दुबारा मौका दिया जाये और उनके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई न की जाये. इसी दौरान एसटी कर्मचारियों का नेतृत्व करनेवाले एड. गुणरत्न सदावर्ते न्यायिक हिरासत में रखे गये है, क्योेंकि उनके उकसावे पर कुछ एसटी कर्मियों ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के निवास पर तोडफोड व हंगामा किया था. ऐसे में अब धीरे-धीरे रापनि कर्मचारी विगत पांच माह से चल रही हडताल को छोडकर काम पर लौटने के मुड में दिखाई दे रहे है. जिसके तहत विगत 16 अप्रैल तक 927 कर्मचारी काम पर लौट चुके है. साथ ही आगामी 22 अप्रैल तक सभी कर्मचारियों के काम पर लौट आने के पूरे आसार दिखाई दे रहे है.

* जल्द ही पूरी तरह से दूर हो जायेगा गतिरोध
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए रापनि के अमरावती विभागीय नियंत्रक श्रीकांत गभणे ने बताया कि विगत जनवरी माह से धीरे-धीरे एसटी कर्मचारियों के काम पर लौटने का सिलसिला शुरू हुआ और अब तक अधिकांश कर्मचारी काम पर लौट आये है. जिसके चलते जिले में रापनि की सरकारी बस सेवा को काफी हद तक बहाल कर दिया गया है. साथ ही आगामी दिनो के दौरान जब सभी कर्मचारी काम पर उपस्थित हो जायेंगे, तब रापनि की बस सेवा को लेकर रहनेवाला गतिरोध पूरी तरह से खत्म हो जायेगा और जिले में पहले की तरह रापनि की बसें पूरी क्षमता के साथ दौडेंगी.

* अदालती लडाई तो शुरू ही रहेगी
वहीं विगत साढे पांच माह से विलीनीकरण की मांग को लेकर हडताल कर रहे रापनि कर्मियों का कहना रहा कि, उन्होंने करीब 160 दिनों तक अपने न्याय व अधिकार की लडाई लडी है. जिसमें अनेकों कर्मचारी शहीद भी हुए. ऐसे में इस संघर्ष को आगे भी जारी रखा जा सकता है. लेकिन न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए सभी एसटी कर्मचारी आगामी 22 अप्रैल तक काम पर उपस्थित हो जायेंगे. परंतू विलीनीकरण की मांग पूर्ण होने तक अदालती लडाई बदस्तूर जारी रहेगी.

* हडताल के चलते पांच माह का वेतन डूबा
– अदालती आदेश के बाद कहीं खुशी-कहीं गम का माहौल
इस समय यद्यपि आगामी 22 अप्रैल तक अपनी हडताल खत्म कर रापनि के अधिकांश कर्मचारी काम पर लौटने के मुड में दिखाई दे रहे है और काम पर लौटनेवाले कर्मचारियों के खिलाफ एसटी महामंडल द्वारा अदालती आदेश के चलते किसी तरह की कोई कार्रवाई भी नहीं की जायेगी. लेकिन हडताल पर रहनेवाले कर्मचारियों को अपनी हडताल का आर्थिक खामियाजा भी भुगतना होगा, क्योंकि उन्हें हडताल काल के समय हेतु कोई वेतन अदा नहीं किया जायेगा. जिसका साफ मतलब है कि, विगत पांच माह से हडताल पर रहनेवाले कर्मचारियों का पांच माह का वेतन डूब जायेगी. हालांकि उन्हें काम पर लौटने के बाद वेतन वृध्दि का लाभ जरूर दिया जायेगा. ऐसे में अब काम पर लौटने का मूड बना रहे रापनि कर्मियों द्वारा महामंडल से अपने पांच माह के बकाये वेतन की अदायगी को लेकर मांग की जा रही है. जिसके तहत कहा जा रहा है कि, सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियोें द्वारा हडताल व आंदोलन किये जाने पर उनका वेतन तो नहीं रोका जाता, अत: अपनी अधिकारपूर्ण मांग के लिए हडताल करनेवाले और जनता की सेवा करनेवाले एसटी कर्मियों का भी वेतन नहीं रोका जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि, हडताल काल के दौरान विगत पांच माह से वेतन नहीं होने के चलते कई रापनि कर्मियों पर कर्ज का बोझ चढ गया है और पहले से रहनेवाले कर्ज की किश्तें बकाया बची है. वहीं अब अदालत द्वारा विगत पांच माह का वेतन अदा करने से मना किये जाने के चलते उन्हें काफी निराशा का सामना करना पड रहा है और वे हडताल की कालावधी के समय का मूल वेतन अदा करने की मांग कर रहे है.

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