अमरावती

सोयाबीन, मूंग, अरहर के दाम 600 से 800 रु. क्विं. हुए कम

ऐन बुआई के समय खेतमाल दर में भारी गिरावट

  • किसानों का काफी नुकसान

अमरावती/दि.31 – कुछ ही दिनों बाद मानसून का आगमन होने वाला है. इस कारण किसानों व्दारा बुआई के लिये तैयारी जारी है. इसके लिये किसानों व्दारा घर में रखा खेतमाल अब बाजार पेठ में बेचने के लिये ले जाया जा रहा है. लॉकडाउन के कारण बाजार समिति बंद थी. उस पर केंद्र सरकार ने दाल का आयात किया है. इस कारण ऐन बुआई के समय खेतमाल के दाम कम होने से किसानों को भारी फटका बैठा है. बावजूद इसके खाद व बीजों की बढ़ती कीमतें किसानों को रुला रही है.
राज्य में गत 15 महीनों से कोरोना का संकट है. इस कारण किसानों को भारी फटका बैठा है. इस पर अमरावती जिले की बाजार समितियां भी कुछ दिनों तक बंद थी. इस कारण किसानों का माल घर पर पड़ा था. पैसों के अभाव में किसानों के खेत की मशागत का काम रुका पड़ा है. अब बुआई के लिये पैसे चाहिए इसलिए किसान अपने खेत माल को बाजार समिति में ले जा रहे हैं. लेकिन प्रत्येक खेत माल के दाम प्रति क्विंटल 500 से 800 रुपए तक कम होने से भारी फटका बैठा है. फिलहाल बाजार पेठ में किसान चना, तुअर, मूंग आदि खेतमाल लेकर बेचने के लिये ले जा रहे हैं. सोयाबीन, मूंग, अरहर की फसलों के भाव में 600 से 800 रुपए प्रति क्विंटल कम होते दिखाई दे रहे हैं.

बीजों की कीमतें बढ़ी

गत वर्ष सोयाबीन निकालते समय बारिश के कारण सोयाबीन के उत्पादन में कमी आयी. वहीं कपास पर भी बोंड इल्ली आने के कारण कपास की उपज कम हुआ. इस कारण जिले में बड़े पैमाने पर बीजों की किल्लत महसूस की जा रही है. उस पर बीज कंपनी ने कीमतें बड़े पैमाने पर बढ़ा दी है. इस कारण किसानों को अब बीज खरीदी के लिये बड़े पैमाने पर पैसे गिनने पड़ रहे हैं. महाबीज के बीजों की भी बड़े पैमाने पर कमी देखी जा रही है.

केंद्र सरकार का गलत नियोजन

एक ओर सरकार व्दारा बताया जाता है कि किसानों की आय बढ़नी चाहिए, लेकिन जब क्षेत्र में उत्पन्न बढ़ता है, माल के दाम बढ़ते हैं तब केंद्र सरकार व्दारा किसानों के माल के दाम गिराने के लिये आयात किया जाता है. उस पर अब आयात शुल्क फ्री किये जाने के कारण बड़े पैमाने पर माल आयात हो रहा है और इसका फटका किसानों को बैठने की बात किसान नेता विजय जावंधिया ने कही.

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