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मंडी में सोयाबीन की आवक 6 से 7 हजार क्विंटल

दाम न बढने से किसानों की बढी चिंता

अमरावती/दि.13- मंडी में सोयाबीन आने के पूर्व प्रति क्विंटल दाम 11 हजार तक थे. तब ऐसा लग था कि इस वर्ष सोयाबीन की आवक काफी रहेगी. लेकिन किसानों का माल मंडी में बिक्री के लिए लाने का समय होते ही शुरुआत में सोयाबीन प्रति क्विंटल 4 हजार और अब 5200 से 5500 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा हैं. सोयाबीन के दाम न बढने से किसानों की चिंता बढ गई हैं.
पिछले वर्ष संपूर्ण राज्य में हर दिन 3 से 4 लाख क्विंटल सोयाबीन की आवक थी, लेकिन इस वर्ष हर दिन की आवक डेढ से 2 लाख तक पहुंच गई हैं. इस वर्ष मूसलाधार बारिश और अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल को नुकसान भी काफी हुआ. बैमोसम बारिश ने दिवाली के समय किसानों की चिंता और बढा दी. सोयाबीन की फसल काटना शुरु रहते किसानों का माल गीला हो गया. लेकिन दीपावली पर्व मानने के लिए किसानों ने अपना गीला माल बाजार में कुछ मात्रा में बेचा. उस समय सोयाबीन प्रति क्विंटल 4 हजार रुपए तक बेचा गया. पश्चात दीपावली के बाद बाजार में सोयाबीन का सूखा माल आने पर दाम साढे चार से पांच हजार रुपए तक प्रति क्विंटल रहे. वर्तमान में यह दाम 5200 से 5550 रुपए प्रति क्विंटल हैं. दीपावली के बाद अमरावती कृषि उत्पन्न बाजार समिति में हर दिन सोयाबीन की आवक 25 से 30 हजार क्विंटल थी, लेकिन वर्तमान में यह आवक 6 से 7 हजार क्विंटल तक आ गई हैं. तेल उत्पादक कंपनियों ने वर्तमान में सोयाबीन लेना कम किया रहने से सोयाबीन के दाम वर्तमान में स्थिर रहने की जानकारी अडतिया राजेश अग्रवाल ने दी.

* दिवाली में पामतेल का वितरण
दिवाली के अवसर पर शासकीय राशन दुकान से केवल 100 रुपए में दाल,चावल, शक्कर के साथ 1 किलो पामतेल वितरित किया गया. सोयाबीन की जगह पामतेल आने से भी सोयाबीन उत्पादकों को नुकसान हुआ हैं.

* केंद्र शासन की नीति का परिणाम
संपूर्ण देश में सोयाबीन की फसल का उत्पादन अधिक होता हैं. किसान सोयाबीन की बुआई अधिक करते हैं. जब यह माल बाजार में आने की तैयारी रहती है तब सोयाबीन के दाम कम हो जाते हैं. वर्तमान में पांच से साढे पांच हजार रुपए क्विंटल सोयाबीन के दाम मंडी में हैं. भाव न बढने से किसानों को चिंता हैं. दूसरे देशों में एमएसपी कानून लागू कर सोयाबीन को 12 हजार रुपए दाम मिलने चाहिए इसके लिए देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ सोयाबीन और पामतेल का आयात होना यह गंभीर बात हैं. विदेश से आनेवाले सोयाबीन पर कोई भी कर न लगाने की गलत नीति के कारण सोयाबीन के भाव गिरे हैं. सरकार की गलत नीति के कारण ही इस फसल के दाम गिरने से संपूर्ण विदर्भ और मराठवाडा के किसान परेशान है, ऐसा भी कुछ किसानों ने कहा.

 

 

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