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बारिश किसानों के लिए खतरा साबित हो रही
अमरावती/दि.२५ – मृग नक्षत्र में खरीफ फसल संतोषजनक रही. मगर इस समय खतरा बनकर बारिश बरस रही है. किसानों के सामने उनकी फसल मिट्टीमोल हो रही है. मुंग, उडद के बाद अब सोयाबीन और कपास को तबाह कर रही है. लगातार चार दिन तक बारिश होने और बादलों का मौसम होने के कारण सोयाबीन की फल्लियों से अंकुर फूटने लगे है. कपास के बोंड पौधे में ही सडने लगे है. फसल बुआई के लिए निकाला कर्ज का बोझ वैसा ही है, दूसरी ओर कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल रहा. जिससे किसान फिर एक बार ओैर संकट से घिर गया हैं.
चांदुर रेलवे तहसील में फसल किसानों के हाथ से निकल गई है. सोयाबीन भी अब खराब होने की स्थिति में है. खोडकीडों के प्रकोप से जैसे-तैेसे बचाया गया तो अब बारिश ने सोयाबीन का सत्यानाश कर दिया है. तहसील में करीब २५ हजार हेक्टेअर से अधिक क्षेत्र में सोयाबीन की फसल की बुआई की गई थी. शुरुआत में सोयाबीन की फसल अच्छी लहलहाने लगी थी, लेकिन जब कटाई का समय आया तो बारिश ने सोयाबीन को ही चौपट कर दिया. बारिश से आमला परिसर में संतरे की फसल को भी बडे पैमाने में नुकसान किया है. १५ दिन पहले अच्छी उपज का सपना देख रहे किसानों की आंख के सामने उनकी फसल तबाह हो रही है.
वरुड तहसील में ३ हजार ३० हेक्टेअर में सोयाबीन की बुआई की गर्ई थी. कुछ किसानों ने खेत में सोयाबीन की कटाई भी कर ली थी और कुछ किसानों ने कटाई की तैयारी भी कर रखी थी. मगर गत दिन हुई बारिश ने सोयाबीन को अंकुरित कर दिया, जिससे सोयाबीन किसानों के हाथ से निकल चुका है. अंजनगांव, अचलपुर तहसील में मुंग, उडद के बाद अब सोयाबीन और कपास की फसल किसानों के हाथ से निकल गई हैं. इस भारी नुकसान की वजह से किसानों की दीपावली अंधेरे में बीतने की संभावना है. अंजनगांव बारी क्षेत्र में खेती उत्पादन में ७० प्रतिशत कमी निर्माण होने की संभावना है. कपास के बोंड पर इल्लियों का प्रकोप होने से कपास की फसल १४ प्रतिशत कम होने की संभावना हैं. हालांकि तुअर की फसल ठीक है, लेकिन इसी तरह बारिश शुरु रही तो तुअर की फसल किसानों के हाथ से निकल जाएगी. अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान की जांच करने के लिए केंद्रीय टीम आयी है, लेकिन इस टीम ने ६ घंटे में ६ तहसीलों को निरीक्षण कैसे किया, ऐसा किसानों ने सवाल उपस्थित किया है. तहसील के ३४ गांव के किसानों को जोरदार झटका लगा है. इसलिए सरकार ने किसानों को संपूर्ण फसल बीमा के रुपए घोषित करना चाहिए, ऐसी मांग भी की जा रही है.
सर्वे किया जा रहा है
खोड इल्ली और यलो मोजैक वायरस के कारण सोयाबीन को नुकसान हुआ है. जो सोयाबीन बचेगी उससे नुकसान तो क्या बुआई का खर्च भी नहीं निकलेगा. पटवारी व कृषि सहायक के माध्यम से सर्वे का काम शुरु किया गया है. जिसमें ३३ प्रतिशत से अधिक नुकसान होने की बात स्पष्ट हुई है.
– राजेंद्र इंगले, तहसीलदार