जिले में सोयाबीन की कटाई करने वाले मजदूर लौटने लगे
एमपी के बैतूल, मेलघाट और भंडारा जिले से आते है मजदूर खेतों में सोयाबीन की कटाई के लिए
अमरावती/दि.3- जिले की विभिन्न तहसीलों में किसानों की सोयाबीन की फसल काटने के लिए विभिन्न जिलों से पहुंचे हजारों मजदूर दीपावली के बाद सोयाबीन की कटाई पूरी होने पर वापस लौटने लगे हैं. अमरावती और बडनेरा रेलवे स्टेशनों पर इन मजदूरों की भीड दिखाई देने लगी हैं.
हर वर्ष अमरावती जिले सहित विदर्भ के अन्य जिलों में मजदूर मेलघाट के धारणी, मध्य प्रदेश के बैतूल, चंद्रपुर, भंडारा, गडचिरोली जिले से हजारों की संख्या में किसानों की खरीफ सत्र की सोयाबीन की फसल काटने के लिए आते हैं. दीपावली के पूर्व अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह से मजदूरों का अमरावती जिले में आना शुरु हो गया था. इस बार चंद्रपुर जिले के मजदूर नहीं दिखाई दिए, लेकिन धारणी व मध्य प्रदेश के बैतूल जिले सहित भंडारा के मजदूर अधिक दिखाई दिए. लगभग 4 से 5 हजार मजदूर जिले की विभिन्न तहसीलों में किसानों के सोयाबीन की फसल काटने के लिए आ गए थे. ढाई से तीन हजार रुपए प्रति एकड के हिसाब से यह मजदूर सोयाबीन की कटाई करते हैं. अब दीपावली के बाद जिले में अधिकांश तहसीलों में सोयाबीन की कटाई होने के बाद यह मजदूर वापस अपने गांव की ओर लौटने लगे है, इस कारण एसटी डेपो, अमरावती व बडनेरा रेलवे स्टेशन पर इन मजदूरों की भारी भीड दिखाई देने लगी हैं. यह मजदूर अधिकांश गौंड, कोरकू रहते हैं. रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन न रहने पर ठंड के दिनों में जहां जगह मिले वहां रुक रहे हैं. अब नवंबर माह में चंद्रपुर, भंडारा, गोदिंया, गडचिरोली जिलों में धान की कटाई शुरु होती हैं. इस कारण अब यह मजदूर अपने जिलों में जल्द पहुंचना चाहते हैं. पहले ही ट्रेन देरी से चल रही हैें ऐसे में सामान्य डिब्बों में भारी भीड रहने से ही मजदूरों को जहां जगह मिले वहां बैठकर अथवा खडे रहकर सफर तय कर रहे हैं.
महिला मजदूरो की भी संख्या रहती है अधिक
जिले में सोयाबीन की कटाई के लिए मेलघाट के बहुल क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों से आनेवाले मजदूरों में महिला मजदूरों की संख्या भी अधिक रहती हैं. अनेक मजदूर अपने परिवार के साथ यहां सोयाबीन की कटाई करने आ जाते है और जिन खेतों में डेरा जमाते है वहीं चूल्हा जलाकर खाना पकाते है और अपने परिवार का पेट भरते हैं. अमरावती जिले सहित संभाग के अन्य चार जिलों में भी मजदूर बडी संख्या में सोयाबीन की कटाई के लिए जाते रहते हैं. पूर्व विदर्भ में धान की कटाई नवंबर माह से शुरु होने से यह मजदूर अब वापस अपने गांव लौटने लगे हैं.