पश्चिम विदर्भ के बाजारों में सोयाबीन के दाम गिरे
चार दिन में 2 हजार रूपये प्रति क्विंटल की आयी कमी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.19 – पश्चिम विदर्भ की कई बाजार समितीयों में इससे पहले सोयाबीन के दाम 11 हजार रूपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच चुके थे, जो अब तेजी से निचे गिर रहे है. विगत चार दिनों के दौरान सोयाबीन के दामों में 2 हजार रूपये प्रति क्विंटल की कमी आयी है, ऐसा खुद बाजार समितियों द्वारा जारी किये गये आंकडों से पता चलता है. बता दें कि, बुधवार को अमरावती कृषि उत्पन्न बाजार समिती में सोयाबीन को 8 हजार से 8 हजार 900 रूपये प्रति क्विंटल का दाम मिला.
ज्ञात रहें कि, पश्चिम विदर्भ में विगत वर्ष ऐन सोयाबीन की कटाई के समय बेमौसम बारिश होने की वजह से सोयाबीन का उत्पादन घट गया था. यहीं स्थिति समूचे राज्य और देश में भी थी. साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बडे पैमाने पर सोयाबीन का उत्पादन करनेवाले ब्राझील, अमेरिका, अर्जेंटिना, भाना व चीन जैसे अन्य कई देशों में भी सोयाबीन का उत्पादन घट गया था. जिसकी वजह से सोयाबीन के दामों और मांग में अचानक काफी तेजी आ गयी. ऐसे में सोयाबीन का सर्वाधिक बुआई क्षेत्र रहनेवाले पश्चिम विदर्भ में देखते ही देखते सोयाबीन के दाम 4 हजार रूपये प्रति क्विंटल से बढकर 10 हजार 850 रूपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गये. हालांकि इस दरवृध्दि का किसानों को कोई विशेष फायदा नहीं हुआ. बल्कि शुरूआती दौर में जिन व्यापारियों ने सोयाबीन खरीद लिया था, उन्हें इस दरवृध्दि का अच्छाखासा फायदा हुआ. साथ ही बडी मुश्किल से दो से पांच प्रतिशत किसानों को ही सोयाबीन के सर्वोच्च दामों का फायदा मिला. लेकिन अब एक बार फिर सोयाबीन के दाम कम होने शुरू हो गये है और महज चार दिन के भीतर सोयाबीन के दामों में 2 हजार रूपये प्रति क्विंटल की कमी आयी है.
वहीं इससे पहले एक सप्ताह पूर्व सोयाबीन को न्यूनतम गारंटी मूल्य से दोगुना अधिक भाव मिल रहे थे और बाजार में सोयाबीन की जबर्दस्त मांग भी बनी हुई थी. किंतु इस समय तक जिले के अधिकांश किसान अपना सोयाबीन व्यापारियों को बेच चुके थे और जिस समय सोयाबीन की नई फसल बाजार में आयी थी, तब दाम काफी कम थे. ऐसे में इस दरवृध्दि का फायदा किसानो की बजाय व्यापारियों को ही हुआ. इस वर्ष अमरावती संभाग के करीब 14 लाख 19 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई हुई. वहीं गत वर्ष बारिश का मौसम खरीफ फसलों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ था. इसमें भी ऐन सोयाबीन कटाई के समय बारिश होने की वजह से सोयाबीन उत्पादक किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पडा. अतिवृष्टि की वजह से कई क्षेत्रों में हाथ आयी फसल बर्बाद भी हुई. ऐसे में बारिश में भीग चुके सोयाबीन को जल्द से जल्द बेचने के अलावा किसानों के पास अन्य कोई दूसरा पर्याय नहीं था और उन्हें 2 से 3 हजार रूपये प्रति क्विंटल के दाम पर अपना सोयाबीन बेचना पडा. ऐसे में अब किसानों के पास दरवृध्दि के समय बेचने के लिए सोयाबीन ही नहीं था. साथ ही अधिकांश व्यापारी भी अपना अधिकांश स्टॉक इस समय तक कंपनियों को बेच चुके थे. ऐसे में इस दरवृध्दि का फायदा केवल कुछ गिने-चुने किसानों और व्यापारियों को ही मिला है.