अमरावतीमहाराष्ट्र

सोयाबीन उत्पादकों को 5 हजार करोड की चपत

कीमतें अब तक के सबसे निचले स्तर पर

अमरावती/दि.8-पिछले तीन वर्षों से सोयाबीन की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इस साल सोयाबीन की कीमत पिछले कुछ सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढने का पूर्वानुमान और इसके परिणामस्वरूप बोझ में कमी और देश में सोयाबीन धान की सीमित उठान सोयाबीन की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण है. इसलिए, ऐसा दिख रहा है कि महाराष्ट्र में सोयाबीन किसानों को इस सीजन में 5 हजार करोड रुपये तक की चपत लगी है.
केंद्र सरकार ने 2024-25 के खरीफ सीजन के लिए सोयाबीन की गारंटीकृत कीमत 4,892 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की थी, लेकिन बाजार में कीमत 4,000 रुपये से 4,300 रुपये तक थी. केंद्र सरकार ने खाद्य तेल पर आयात कर 20 फीसदी बढाने का फैसला किया है, जिससे बाजार में सोयाबीन की अच्छी कीमत मिलेगी, ऐसा प्रचार उस समय किया गया था. लेकिन कहा जा रहा है कि इस फैसले से किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ है.

* 4,000 प्रति क्विंटल से अधिक दरें असंभव है!
सोयाबीन की कीमतें डीओसी से निर्धारित होती हैं. वर्तमान में, अमेरिका में सोयाबीन की कीमतें 15 डॉलर से 16 डॉलर प्रति बुशेल (28किलो) 9 से 10 डॉलर और ‘डीओसी’ की कीमत 325 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है. भारतीय बाजार में सोयाबीन तेल की कीमत 120 से 130 रुपये और सोयाबीन पेंड की कीमत 3,500 रुपये प्रति क्विंटल है. इसलिए राय व्यक्त की जा रही है कि सोयाबीन को 4 हजार रुपये का भाव मिलने की संभावना नहीं है.

* अगर सरकार मुआवजा दे तो ही…
-चीन और अमेरिका की आयात नीति के कारण अमेरिका में कृषि उत्पादों की कीमत में मंदी की संभावना है. महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती 50 लाख हेक्टेयर यानी 1 करोड 25 लाख एकड क्षेत्र में की जाती है. प्रति एकड चार क्विंटल का उत्पादन की उम्मीद की जाए तो उत्पादन 5 करोड क्विंटल है.
– वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ विजय जावंधिया के मुताबिक, प्रति क्विंटल 1 हजार रुपये की कटौती से किसानों को करीब 5 हजार करोड रुपये का नुकसान हुआ है. यह खतरा अगले सीजन के लिए भी है. सरकार भावांतर योजना के माध्यम से मुआवजा देगी तभी किसानों की क्रय शक्ति बचेगी. जावंधिया ने यह भी मांग की है कि सरकार को यह घोषणा करनी चाहिए कि किसान सोयाबीन की बुआई न करें.

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