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सोयाबीन का उत्पादन 880 करोड क्विंटल, प्लॉन्ट केवल 7 ही

पश्चिम विदर्भ के सोयाबीन उत्पादकों के लिए प्रक्रिया उद्योग जरुरी

अमरावती/दि.6 – पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में करीब 880 करोड रुपए मूल्यों के 1 करोड 60 लाख रुपए क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है. यह समूचे राज्य में सोयाबीन बीजों व सोया प्लॉन्ट की जरुरत पूर्ण करने लायक उत्पादन है. लेकिन इसके बावजूद भी इस सोयाबीन पर प्रक्रिया करने हेतु अमरावती तथा अकोला व वाशिम जिले में केवल 7 सोया प्लॉन्ट उपलब्ध है. वहीं बुलढाणा व यवतमाल जिले में एक भी सोयाबीन प्रक्रिया उद्योग नहीं है. किसान आत्महत्याओं के लिए कुख्यात विदर्भ क्षेत्र का चित्र बदलने हेतु क्षमता रहने के बावजूद भी प्रक्रिया उद्योगों की अभाव की वजह से सोयाबीन क्रांति अश्वासनों में ही अटकी हुई है.
बता दें कि, राज्य के अमरावती व लातुर इन दो संभागों में ही सोयाबीन का प्रमुख रुप से उत्पादन होता है. जिसमें से अमरावती संभाग के अमरावती जिले में ही 2 लाख 43 हजार हेक्टेअर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई होती है और 26 लाख 73 हजार क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है. वहीं यवतमाल जिले में 2 लाख 85 हजार 300 हेक्टेअर क्षेत्र में 21 लाख 38 हजार 300 क्विंटल, अकोला जिले में 2 लाख 29 हजार 600 हेक्टेअर क्षेत्र में 25 लाख 25 हजार 600 क्विंटल, वाशिम जिले में 3 लाख 3 हजार 800 हेक्टेअर क्षेत्र में 33 लाख 41 हजार 800 क्विंटल, बुलढाणा जिले में 3 लाख 86 हजार 500 हेक्टेअर क्षेत्र मेें 42 लाख 51 हजार 500 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है. इतने बडे पैमाने पर सोयाबीन का उत्पादन होने के बावजूद अमरावती संभाग में केवल 7 सोया प्लॉन्ट है, जिसमें अमरावती जिले के अमरावती फुड्स, अकोला जिले के अंबुजा, बाछुका, दयाल व अंबिका तथा वाशिम जिले के पतंजलि फुड्स व नर्मदा सॉलवेंट प्लॉन्ट का समावेश है. वहीं लातूर संभाग के केवल लातूर जिले में ही 15 से अधिक सोयाबीन प्लॉन्ट रहने की जानकारी है.

* कहा कितना उत्पादन (आंकडे रुपए में)
अमरावती 1,470 करोड 15 लाख
यवतमाल 1,726 करोड 6 लाख
अकोला 1,389 करोड 8 लाख
वाशिम 1,837 करोड 99 लाख
बुलढाणा 2,338 करोड 32 लाख

* संभाग के आंकडे
बुआई क्षेत्र 14 लाख 48 हजार 200 हेक्टेअर
उपज 1 करोड 59 लाख 30 हजार 200 क्विंटल
बाजार मूल्य 8,760 करोड 61 लाख रुपए

* सरकार से अपेक्षा
– अमरावती संभाग को सोया बेल्ट घोषित करना जरुरी है
– प्रत्येक जिले में सोया प्लॉन्ट की हो स्थापना
– सोयाबीन पर आधारित प्रकल्पों को सहुलियत दी जाए
– सस्ती बिजली, भरपूर पानी व कर में सहुलियत दी जाए
– दक्षिण भारत की ओर जाने वाली रेल्वे रैक की उपलब्धता बढाई जाए.
– अमरावती व अकोला विमानतल पर नियमित हवाई सेवा उपलब्ध कराई जाए
– वाशिम-नरखेड तथा खंडवा-अकोला रेलमार्ग का काम जल्द पूरा किया जाए.

* आवागमन के साधनों का अभाव मुख्य दिक्कत
सोयाबीन पर प्रक्रिया करने के बाद ढेप (डी-ऑईल्ड केक) प्राप्त होती है. जिसे दक्षिण मध्य रेल्वे द्बारा भेजा जाता है. परंतु रेल्वे रैक और आवागमन के साधनों की अपेक्षित उपलब्धता नहीं रहने के चलते समय पर ढेप भेजना संभव नहीं हो पाता. जिसकी वजह से पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में सोया प्लॉन्ट की संख्या कम है. ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. वहीं रेल्वे मार्ग पर ही रहने के कारण संभाग के अकोला जिले में 4 सोया प्लॉन्ट शुरु हुए है. ऐसे में इस दिक्कत को दूर करने हेतु रेल्वे रैक की उपलब्धता बढाकर अकोला-खंडवा रेलमार्ग का ब्रॉडगेज में रुपांतरण करने के साथ ही वाशिम-नरखेड रेलमार्ग का काम जल्द से जल्द पूरा करने की मांग जोर पकड रहा है.

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