* किसानों की क्षमता बढाई जा रही
* मूल्य श्रृंखला विकास के जरिये आय बढी
अमरावती/दि.6- जिले में सोयाबीन का बुआई क्षेत्र सबसे अधिक रहने के चलते उत्पादकता में वृध्दि होने हेतु कृषि विभाग द्वारा विगत तीन वर्षों से कृतिशिल कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसके लिए इस बार के सीझन से सात तहसीलों में सोयाबीन का श्रृंखलाबध्द मूल्य विकास किया जायेगा. जिसके तहत किसानों की क्षमता वृध्दि और बीजों का श्रृंखलाबध्द मजबूतीकरण आदि घटकों पर प्रशासन द्वारा काम किया जा रहा है. जिसके लिए कृषि संचालक कार्यालय द्वारा आवश्यक आदेश जारी किये गये है.
सोयाबीन का उत्पादन कम रहनेवाले नांदगांव खंडेश्वर, मोर्शी, चांदूर बाजार, अचलपुर, चिखलदरा, दर्यापुर व धारणी इन सात तहसीलों का चयन इस कृतिशिल कार्यक्रम हेतु किया गया है. इसमें गलीत धान्य की मूल्य श्रृंखला को प्रोत्साहन देते हुए कटाई पश्चात नुकसान टालने के लिए किसानों को संग्रहण सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. इसके अलावा नये तंत्रज्ञान व बिजोत्पादन के लिए किसानों को मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए किसान कंपनी स्तर पर प्राथमिक प्रक्रिया व संग्रहण सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. साथ ही किसान उत्पादक कंपनियों को वायदा बाजार के साथ भी जोडा जायेगा.
* किसान लाभार्थी योजना के मानक
किसानों के नाम पर 7/12 व 8-अ दस्तावेज का रहना जरूरी है. विहित प्रमाण के अनुसार अनुसूचित जाति व जनजाति के 30 फीसद, महिला प्रवर्ग के 30 फीसद तथा 5 फीसद दिव्यांग लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जायेगा. प्रत्येक समूह में अल्प एवं अत्यल्प भूधारक का पहली प्राथमिकता के साथ समावेश रहेगा. किसानों द्वारा कम से कम एक एकड क्षेत्र में कपास की बुआई करना अनिवार्य रहेगा.
* दस गुटों को मिलाकर एक किसान कंपनी
जिन राजस्व मंडलों में सोयाबीन की उत्पादकता कम है, वहां पर 100 हेक्टेयर क्षेत्र को समूह का निर्माण करने हेतु चुना जायेगा और प्रत्येक गांव में समूह की निर्मिती होने के बाद 10 समूहोें को एकसाथ शामिल करते हुए एक किसान उत्पादक कंपनी स्थापित होगी. प्रत्येक किसान को अधिकतम 1 हेक्टेयर तक समूह अंतर्गत होनेवाले प्रात्यक्षिक का लाभ दिया जायेगा.
* एक किसान का समूह प्रवर्तक के तौर पर चयन
प्रत्येक समूह से एक किसान का समूह प्रवर्तक के तौर पर चयन किया जायेगा. इस हेतु प्रगतिशिल खेती के साथ सर्वाधिक उत्पादन लेनेवाले किसान को चुना जायेगा. इसमें भी कृषि पदवी या पदविका धारक किसान को पहली प्राथमिकता दी जायेगी, ताकि उस किसान द्वारा उपयोग में लाये जा रहे तंत्रज्ञान की जानकारी अन्य किसानों को हो. इस कार्य हेतु समूह प्रवर्तक चुने जानेवाले किसान को सालाना 6 हजार रूपये का अनुदान दिया जायेगा.