अमरावतीविदर्भ

सोयाबीन का बुआई क्षेत्र चार गुना बढा

कपास का क्षेत्र ४ लाख हेक्टर से घटा

प्रतिनिधि/दि.१३

अमरावती – पश्चिम विदर्भ में दो दशकों से फसल रचना में काफी बदलाव हुआ है. सोयाबीन का बुआई क्षेत्र लगभग ८ लाख हेक्टर से बढ गया है. वहीं कपास का क्षेत्र ४ लाख हेक्टर से घट गया है. जिसका परिणाम ज्वार, तिलहन जैसी फसलों पर हुआ है. इस बार खरीफ में भी सोयाबीन ने अव्वलस्थान बरकरार रखा है. यहां बता दें कि, कृषि विभाग के फसल बुआई रिपोर्ट के अनुसार अब तक अमरावती संभाग ने ९० फीसदी क्षेत्र में बुआई कार्य पूरा हो चुका है. संभाग में सोयाबीन का बुआई क्षेत्र औसतन १४ लाख ९९ हजार हेक्टयर है. संभाग में १३ लाख ५५ हजार हेक्टयर क्षेत्र में ९० फीसदी तक सोयाबीन की बुआई की गई है. कपास के बुआई क्षेत्र में मामूली सी बढोत्तरी हुई है. कपास का औसत क्षेत्र ९ लाख ८८ हजार है. वहीं अब तक १० लाख २० हजार हेक्टयर में कपास की बुआई हुई है. वर्ष २००१-०२ में पश्चिम विदर्भ में चावल का औसतन क्षेत्र १९ हजार हेक्टयर था. यह अब ७ हजार हेक्टयर तक कम हो गया है. ज्वार का क्षेत्र ६ लाख हेक्टयर था वह ८७ हजार हेक्टयर पर स्थिर हो गया है. मूंग, उडद,सूर्यफूल इन फसलों के उत्पादन क्षेत्रों में घट नहीं हुआ है फिर भी फसल रचना पर इसका परिणाम हुआ है. मूंग का क्षेत्र २ लाख ८८ हजार क्षेत्र से ८५ हजार पर आ गया है. उडद भी १ लाख ८० हजार हेक्टयर की तुलना में ६५ हजार तक कम हो गया है. तेल बीज को लेकर सूर्यफूल, मूंगफल्ली और तिलहन के उत्पादन में पश्चिम विदर्भ अग्रसर था लेकिन सोयाबीन रकबा बढने पर यह फसले अब कम नजर आ रही है. विभाग में तिलहन का औसत क्षेत्र ३२ हजार हेक्टर था. यह अब केवल ३ हजार ३७४ हेक्टर तक सीमित रह गई है. सूर्यफूल के क्षेत्र मे भी ४०० हेक्टयर की मामूली कमी आयी है. जहां-तहां सोयाबीन ही नजर आ रही है. अब तक अमरावती विभाग में ६ हजार ३९१ हेक्टयर में चावल की बुआई की गई है. ४१ हजार ९२८ हे. में ज्वार, ३५ हजार हेक्टर मे मकई की बुआई की गई है. बुलढाणा जिले में सबसे ज्यादा मकई का उत्पादन किया गया है. तुअर के क्षेत्र मे भी मामूली बढोत्तरी हुई है. अब तक औसत ४ लाख ३२ हजार हेक्टयर में से ३ लाख ८९ हजार में यानि ९० फीसदी क्षेत्र में तुअर की बुआई की गई है. उडद का औसत ६४ हजार हेक्टर में से ४८ हजार हेक्टर क्षेत्र में बुआई की गई है. मूंग का ८५ हजार हेक्टयर क्षेत्र है इनमें से ६२ हजार हेक्टयर में मूंग की बुआई की गई है. मानसून समय पर आने से मूंग का रकबा भी बढ गया है. बीते १० वर्षो में कपास के भाव में कम ज्यादा रहने से और उत्पादन खर्च बढने से किसानों ने अपना मोर्चा सोयाबीन की दिशा में बढाया है. जिसके चलते कपास का क्षेत्र घट गया है. इसके अलावा किसानों ने तिलहन, सूर्यफूल, मूंग की फसलों पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया है.

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