अमरावतीमहाराष्ट्र

यलो मोझेक का असर सोयाबीन हुआ पीला

औसतन उत्पादन में कमी आने की संभावना

अमरावती/दि.10– जिले में कुछ क्षेत्र के सोयाबीन पर पीले मोझेक विषाणुजन्य रोग का भारी मात्रा में असर होता है. यह विषाणुजन्य रोग मुंगबीन यलो मोझेक विषाणु से होते है. इस रोग का प्रसार मावा और सफेद मक्खियों के कारण खडी फसलों पर होता है. इस रोग पर समय पर व्यवस्थापन न किया गया तो औसतन उत्पादन में कमी आने की संभावना है.
विषाणुजन्य रोगों का प्रादुर्भाव मुख्य रुप से बीज के जरिए और दुय्यम प्रसार सफेद मक्खियों से होता है. शुरुआत में पत्तो पर पीले रंग के छोटे-छोटे चट्टे दिखाई देते है. पश्चात पत्तो पर चमकदार पीले-हरे रंग के बडे आकार के चट्टे दिखते है. पत्ते पीले रंग में बदलते है. पश्चात इन पत्तो का आकार छोटा होता है. ऐसे पेडो पर बहार कम और देरी से आती है. फुलों का फल्ली में रुपांतरित होने का प्रमाण कम रहता है और इन फल्लीओं में दाने कम रहते है. सोयाबीन फसलों के पीले मोझेक नामक रोग से प्रादुर्भाव ग्रस्त रहे पौधे आधे हरे-पीले पत्तेवाले दिखाई देते है. शुरुआत में 75 दिनों में सोयाबीन पर पीले मोझेक रोग का प्रादुर्भाव यदि हुआ, विशेषत: सोयाबीन फसलों पर इस रोग का प्रादुर्भाव फसल की बहार के समय हुआ तो सोयाबीन फसलों के उत्पादन में भारी कमी आ सकती है, ऐसी जानकारी कीटक शास्त्रज्ञ राजेश डवरे ने दी.

* प्रतिबंध कैसे करोंगे?
शुरुआत में सोयाबीन के एक-दो मोझेक ग्रस्त पौधे दिखाई देने पर उसे खेत के बाहर निकाल नष्ट कर दे. इस रोग का दुय्यम प्रसार सफेद मक्खियों द्वारा होता रहने से सोयाबीन फसलों में प्रति एकड 20 से 25 पीले चिकट जाल फसलों के उंचाई पर लगाए और कीडो के प्रतिबंध के लिए 5 प्रतिशत निंबोली अर्क की फवारणी करें.

* यह करें उपाययोजना
थायोमिथोक्जान 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 3 ग्राम अधिक 10 लीटर पानी अथवा फ्लॉनीकॅमीड 50 प्रति,त डब्ल्यूजी 3 ग्राम अधिक 10 लीटर पानी अथवा इमीडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 2.5 मिली अधिक 10 लीटर पानी, अ‍ॅसिटामप्रिड 25 प्रतिशत अधिक बायफेनथ्रीन 25 प्रतिशत 5 ग्राम अधिक 10 लीटर पानी में मिलाकर फवारणी करें.

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