अमरावती

विश्व योग दिन पर विशेष

स्वतंत्रता से पूर्व शुरु हुई योग प्रचार की परंपरा कायम

* योगाचार्य त्र्यंबक गुरुजी की तालीम पर तैयार हुए शिष्य डॉ. खोडस्कर देश-विदेश में पढ़ा रहे योगाभ्यास का पाठ
अमरावती/दि.21- स्वतंत्रता से पूर्व योग, शारीरिक शिक्षण व मल्लखाम में श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल (एचवीपीएम) का नाम आगे रहा है. मंडल की स्थापना 1914 में आद्य संस्थापक स्व. अंबादासपंत वैद्य ने की. पश्चात वहां विविध व्यायाम प्रकारों की शुरुआत हुई. योगाचार्य व आयुर्वेदाचार्य त्र्यंबक जोशी गुरुजी ने योगासनों सहित मल्लखाम का पाठ पढ़ाने की शुरुआत 1924 से की. यहीं से देशभर में त्र्यंबक गुरुजी के नेतृत्व में जो तालिम टीमें भेजी जाती थी, उन्होंने योगासनों का प्रचार व प्रसार किया.
1936 के बर्लिन (जर्मनी) बर्लिन ओलम्पिक के उद्घाटन समारोह में सहभागी होने के लिए गए एचवीएम के पथक ने योगासन, मल्लखांब पर योगासन प्रस्तुत कर विश्व को भारतीय योग की पहचान करवाई थी.
एचवीपीएम में ग्रीष्मकालीन शिविर में अनेक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे. आगे इन शिष्यों ने योगासन में सफलता हासिल कर राज्य सहित देश-विदेश में योगासन का प्रचार किया. इनमें बृहन महाराष्ट्र योग परिषद के सरकार्यवाह डॉ. अरुण खोडस्कर का समावेश है.
डॉ. खोडस्कर ने लोणावला के विश्व की पहली कैवल्यधाम योग संशोधन संस्था में भी प्रशिक्षण लिया. पश्चात उन्होंने मालदीव में मुस्लीम महिला योग शिक्षिका को मार्गदर्शन किया. इसी तरह मालदीव, श्रीलंका, बाली, इंग्लैंड, हॉलेंड, जर्मनी, डेन्मार्क, अमेरिका, आफ्रिकन देशों में भी योगा का प्रचार किया.
देश के सभी राज्यों के विद्यार्थी एचवीपीएम में शारीरिक शिक्षा का अभ्यास करने के लिए आते हैं. उन्हें प्रमुख रुप से योगासन का पाठ पढ़ाया जाता है. इन असंख्य विद्यार्थियों ने अपने-अपने राज्यों में जाकर योगासन के प्रशिक्षक, क्रीड़ा शिक्षक, शारीरिक शिक्षक के रुप में काम शुरु किया. जिसके चलते नागरिकों में योगासन के प्रति रुचि निर्माण हुई. शरीर को तंदुरुस्त रखने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रुप में योगासन को स्वीकार किया गया. चिखलदरा के रम्य स्थल पर एचवीपीएम ने कायमस्वरुपी योग प्रशिक्षण केंद्र शुुरु किया है. यहां पर देश के विविध राज्यों से योग प्रेमी योग साधना सीखने के लिए आते हैं. यहां से वापस लौटने के पश्चात योगा का प्रचार व प्रसार करते हैं, ऐसी जानकारी डॉ. खोडस्कर ने दी.

योग धर्म से परे है
योगा का संबंध स्वास्थ्य से है. स्वास्थ्य सुदृढ़ रखने के लिए योग यह उत्तम माध्यम है. तनाव कम होता है. इसलिए योग का महत्व सभी को ज्ञात हुआ है. सभी योग साधना कर रहे हैं. इसीलिए योगग यह धर्म से परे है. सभी समुदाय के विद्यार्थियों को मैंने योगा का पाठ पढ़ाया है. उन्होंने भी योगा की शिक्षा लेकर उत्तम विद्यार्थी निर्माण किए हैं.
– डॉ.अरुण खोडस्कर,
अंतर्राष्ट्रीय योग मार्गदर्शक, एचवीपीएम

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