उष्माघात से बचाव हेतु जिला अस्पताल में विशेष कक्ष
स्वास्थ विभाग ने गर्मी दौरान नागरिकों से स्वास्थ संभालने का किया आवाहन

अमरावती /दि. 5– मार्च माह से ही गर्मी अपना असर दिखाना शुरु कर देती है, जिसकी तीव्रता अप्रैल व मार्च माह में काफी अधिक बढ जाती है. जिसके तहत शरीर में पानी का प्रमाण कम होना, कमजोरी बढना, थोडा-बहुत काम करने पर काफी अधिक थकान महसूस होना तथा जमकर पसीना आना जैसे लक्षण दिखाई देने शुरु हो जाते है. ऐसे में तापमान में बदलाव होने और उष्णता के बढने के बीच अपने स्वास्थ को लेकर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए अन्यथा गर्मी की वजह से पैदा होनेवाली दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. इस बात को ध्यान में रखते स्वास्थ विभाग ने गर्मी के मौसम दौरान नागरिकों से अपने स्वास्थ की ओर ध्यान देने का आवाहन किया है. साथ ही यह जानकारी भी जारी की गई है कि, जिला सामान्य अस्पताल सहित सभी उपजिला अस्पतालों में उष्माघात से पीडित मरीजों हेतु विशेष कक्ष की व्यवस्था की गई है.
ग्रीष्मकाल के दौरान होनेवाली स्वास्थ संबंधि समस्याओं में अतिसार, पचनक्रिया से संबंधित विकार व उष्माघात का समावेश रहता है. इसके अलावा त्वचा संबंधि समस्याएं भी पैदा होती है. खुले में बिकनेवाले खाद्य-पेय पदार्थों का सेवन करने से पचन से संबंधित बीमारियां हो सकती है. शरीर में पानी का प्रमाण कम होने को डिहाईड्रेशन कहा जाता है. जब शरीर से द्रव्य पदार्थ ज्यादा प्रमाण में बाहर निकलते है तो यह स्थिति पैदा होती है. शरीर से पसिने के जरिए जितना पानी बाहर निकलता है, उतने ही प्रमाण के अनुसार शरीर में पानी नहीं जाने पर प्यास बढ जाती है. ऐसे में गर्मी के चार महिने दौरान गर्मी व धूप की तकलीफ से खुद का बचाव करने हेतु योग्य आहार लेना सबसे महत्वपूर्ण है. प्यास लगना यह शरीर में होनेवाली पानी की कमी का संकेत है. यात्रा के दौरान पीने हेतु पानी साथ रखना चाहिए. साथ ही ओरल रिहाईड्रेशन सोल्यूशन, नीबू पानी, छांछ व लस्सी जैसे घरेलू शितपेय का उपयोग करना चाहिए. इसके अलावा हलका सा नमक डालकर फलों के रस का सेवन करना चाहिए, साथ ही टरबूज, खरबूज, संतरे, अनार, अनानस, ककडी जैसे मौसमी फलों व पानीदार सागसब्जीयों का भी भरपूर सेवन करना चाहिए.
* यह है उष्माघात के लक्षण
गर्मी के मौसम दौरान उष्माघात की समस्या होती है. तीव्र उष्णता रहनेवाले क्षेत्रों में इस समस्या का प्रमाण भी अधिक होता है. तेज धूप के संपर्क में रहने के चलते शरीर का तापमान बढ जाने से यह समस्या पैदा हो सकती है. जिसमें सिरदर्द, चक्कर आना, नाक से खून निकलना, पेट या पांव में गोले आना जैसे लक्षण दिखाई देते है. जिसकी तीव्रता अधिक रहने पर संबंधित व्यक्ति बेहोश भी पड सकता है.
* कौनसे उपाय जरुरी
शरीर में पानी के प्रमाण पर पूरा ध्यान रखना चाहिए और नियमित रुप से पानी भी पीना चाहिए. जरुरत नहीं रहने पर तेज धूप के समय अपने घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और दोपहर 12 से 3 बजे के दौरान बाहर जाना टालना चाहिए. तेज गर्मी के समय भूखा रहने व अतिरिक्त खाने को टालना चाहिए, ताकि रात के भोजन में हलके आहार का समावेश करना चाहिए. तीव्र उष्णता के चलते शरीर में पानी का प्रमाण तेजी से घटता है, ऐसे में दिनभर के दौरान 8 से 10 ग्लास पानी पीना बेहद जरुरी होता है.
* प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ केंद्र एवं स्वास्थ संस्थाओं में उष्माघात के मरीजों का त्वरीत उपचार करने हेतु कोल्ड रुम को कार्यान्वित किया गया है, ताकि उष्माघात हेतु आवश्यक दवाईयों, आईबी फ्ल्यूइड व ओआरएस की उपलब्धता को भी जांचा गया है. जिप की मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीता महापात्र में इस संदर्भ में टास्क फोर्स की बैठक लेकर आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी किए है.
– डॉ. सुरेश आसोले
जिला स्वास्थ अधिकारी.