बच्चों से लेकर वरिष्ठों तक बढा रीढ की हड्डी का दर्द, कारण क्या?
आहार व बदलती जीवनशैली का परिणाम
अमरावती/दि.29– समय के साथ छोटे बच्चों से लेकर वरिष्ठों नागरिकों की जीवनशैली में बदलाव हो रहा है. इस बदलती जीवनशैली के कारण विविध बीमारी भी बढने लगी है. अब छोटे बच्चों को भी रीढ की हड्डी का दर्द होने लगा है. जिले में इस तरह की परेशानी वाले मरीजों में बढोतरी होने की बात सर्वेक्षण में सामने आई है.
मनुष्य की पीठ का आधार यानी रीढ और दो रीढ में पेशियां इस तरह की यह श्रृंखला रहती है. कुल 33 रीढ की हड्डियों की यह श्रृंखला बनी रहती है. इसमें गर्दन की 7, रीढ पीठ की 12, 5 कमर की, 5 जोडे सेक्रम और 4 जोडी हुई रीढ रहती है. रीढ की यह हड्डियां एक साथ जोडकर एक ढांचा तैयार होता है. रीढ की हड्डी का दर्द सभी आयुवर्ग में बढा है. दो दशक तक यह परेशानी वरिष्ठ नागरिकों को होती थी, लेकिन अब वैसी परिस्थिति नहीं रही है. छोटे बच्चे भी इस व्याधी से त्रस्त है, ऐसा विशेषज्ञों ने कहा. गर्दन और कमर दर्द का प्रमुख कारण यानी उठने, बैठने के गलत तरीके हैं. जैसे काफी समय तक बैठना, अधिक समय तक झुककर काम करना, बार-बार झुकना आदि कारणों से रीढ की हड्डी का दर्द बढता है.
* रीढ की बीमारी कौनसी?
गर्दन और कमर की हड्डी में अनियमित हलचल और सडकों के गढ्ढों के कारण हड्डियों की रचना में गडबडी होती है. इसमें दो रीढ में रहने वाली पेशियों में घर्षण, रीढ में गैप होना, रीढ की पेशियां सरकना, हड्डी सरकना, झुनझुनी आना, हाथ-पैर बधिर लगना, चक्कर आना, चलते हुए परेशानी होना, हाथ से कोई वस्तु उठाते न आना, पैर से लंगडाते चलना आदि लक्षण अथवा व्याधी दिखाई देती है.
* सडकों के गढ्ढें व बदलती जीवनशैली
अनेक अभावों के कारण जिले में मरीज बढ रहे है. 8 से 10 वर्ष से यह बीमारी कम आयु के बच्चों में भी पाई जा रही है. इस कारण अब छोटे बच्चों समेत सभी नागरिकों को अपनी जीवनशैली बदलने की सलाह डॉक्टरों ने दी है.
* कौनसी सावधानी रखे?
पीठ और पेट का व्यायाम यह सबसे उत्तम उपाय है. बैठकर काम करने वालों को हर आधे घंटे बाद कुर्सी से उठकर चक्कर मारना अनिवार्य किया तो फिजियोथैरेपी, स्पेन सर्जरी की आवश्यकता नहीं रहेगी.