अमरावती

कोरोना मृतकों पर अंतिम संस्कार करनेवाले जिंदादिल लोग

अब तक एक भी नहीं आया कोरोना संक्रमण की चपेट में

अमरावती/दि.10 – कोरोना पॉजीटीव शब्द का उच्चारण करते ही अच्छे-अच्छे लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है और लोगबाग किसी कोरोना संक्रमित मृतक की अंतिम यात्रा में भी शामिल नहीं होना चाहते. ऐसे हालात के बीच हिंदू श्मशान भूमि के जिंदादिल कर्मचारी विगत करीब दस माह से लगभग रोजाना ही कोरोना संक्रमण की वजह से मृत हुए लोगों के पार्थिवों का अंतिम संस्कार कर रहे है. सर्वाधिक उल्लेखनीय बात यह है कि, अब तक इनमें से कोई भी कर्मचारी कोविड संक्रमण की चपेट में नहीं आया. किसी भी वजह से मृत होनेवाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार करना एक तरह का पुण्यकर्म है. इस भावना के तहत हिंदू श्मशान भूमि में कार्यरत 19 कर्मचारी यहां पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है.
बता दें कि, अमरावती शहर में दाह संस्कार हेतु 15 श्मशान भूमि रहने के साथ ही दफन भूमि भी है. साथ ही मुस्लिम एवं क्रिश्चन समाज के स्वतंत्र कब्रस्तान है. हिंदू श्मशान संस्था द्वारा संचालित हिंदू मोक्षधाम में गैस शवदाहीनी की भी व्यवस्था है. जहां पर कोरोना संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले व्यक्तियोें के पार्थिव शरीरोें का अंतिम संस्कार किया जाता है. हिंदू मोक्षधाम में रोजाना सुबह 8 से रात 11 बजे तक कोविड व नॉन कोविड मृतदेहोें पर अंतिम संस्कार किया जाता है. जिसके लिए हिंदू श्मशान भूमि के 19 कर्मचारी पूरे सेवाभाव के साथ अपना काम कर रहे है. विगत एक वर्ष से गरमी, बारिश और ठंडी के मौसम का सामना करते हुए इन कर्मचारियोें द्वारा अपनी जिम्मेदारियोें का निर्वहन किया जा रहा है. इन सभी कर्मचारियों के अपने परिवार व बाल-बच्चे भी है, लेकिन बावजूद इसके इन कर्मचारियों द्वारा अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन किया जा रहा है.

कोरोना तो अब आया है, लेकिन हम विगत कई वर्ष से श्मशान भूमि में काम कर रहे हैे और अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद घर में प्रवेश करने से पहले गरम पानी से स्नान करने का नियम हमेशा से ही पालन कर रहे है. इन दिनों श्मशान भूमि में मास्क और सैनिटाईजर के प्रयोग को विशेष प्राथमिकता दी जाती है. साथ ही कोविड मृतकों के अंतिम संस्कार के समय सुरक्षित अंतर भी रखा जाता है. इन दिनों अपनी और अपने परिवार की फिक्र करना बेहद जरूरी है.
– एकनाथ इंगले
प्रबंधक, हिंदू श्मशान भूमि

जो व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी अपने परिवार के लिए काम करता रहा. यदि वह कोरोना संक्रमण की वजह से मृत्यु को प्राप्त हुआ, तो उसके अंतिम संस्कार हेतु कई बार परिवार के लोग भी सामने नहीं आते. ऐसे मृतदेहोें पर अंतिम संस्कार करने का भाग्य हमारे हिस्से में आया है. हम श्मशान भूमि घर पहुंचने पर सबसे पहले स्नान करते है और हमारे परिवार के लोग भी मास्क का प्रयोग करते हुए नियमित तौर पर हाथ धोने की आदत का पालन कर रहे है.
-किसन लांडगे
कर्मचारी, हिंदू श्मशान भूमि

श्मशान भूमि में पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार करने का काम बेहद कम लोगों के हिस्से में आता हैे. हम अपनी सामाजिक जिम्मेदारियोें को समझकर अपना कर्तव्य निभा रहे है. जिनका कोई नहीं, उनके हम है, इस भावना से सेवाभाव चल रहा है. घर वापिस लौटने पर स्नान करने के साथ ही नियमित साफ-सफाई व मास्क के प्रयोग के नियम का पालन शुरू है. हमारे घर में अब तक कोई भी व्यक्ति कोविड पॉजीटीव नहीं पाया गया.
– मनोहर गायकवाड
कर्मचारी, हिंदू श्मशान भूमि

शहर में कहां-कहां है श्मशान भूमि

हिंदू श्मशान भूमि, नवसारी, रहाटगांव, एसआरपीएफ परिसर, शंकर नगर, फ्रेजरपुरा, बडनेरा नई बस्ती, बडनेरा जुनी बस्ती (चमन नगर), बडनेरा रेल्वे गेट, विलास नगर, पद्मसौरभ कालोनी (शेगांव नाका परिसर), वरूडा

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