* कीमतें लाखों में
अमरावती/ दि. 3– पहले दरवाजे के पास खडी बैलजोडियों की संख्या पर गृहस्वामी की श्रीमंती में गणना होती. कालांतर में कृषि मशीनों ने इस पर मात दे दी. बैलजोडी की कीमतें और खर्च बढ गया है. देखभाल करनेवाला और चारे पानी के खर्च में भी बढोतरी हो गई है. जिससे अब अधिकांश किसानों का मानना है कि 2 बैलों की अपेक्षा ट्रैक्टर लेना सुभीते का है. खरीदना और संभालना आसान होने की प्रतिक्रिया अनेक किसानों ने दी.
जिले में बुआई का दौर चल रहा है. बुआई से पहले मशागत से लेकर अनेक कामों में ट्रैक्टर का उपयोग बढ गया है. इसके अलावा रोटावेटर और कटाई, वीपास एवं फसलों की ढुलाई भी ट्रैक्टर से होती है. अधिकांश काम ट्रैक्टर से किए जा रहे. उधर बैलजोडी की कीमतें बढ गई है. इसके अलावा अब रखवालदार और चारा पानी किसानों के लिए घाटे का सौंदा हो जाता है.
घर की खेती की मशागत के बाद वहीं ट्रैक्टर किराए से भी दिया जा सकता है. जिससे किसानों को दो पैसे मिल जाते है. कुछ मंडियों में बैलजोडी की विक्री होती है. बुआई के दौर में कुछ दिक्कतों के बाद किसान बैलोजाडी की खरीदी-बिक्री करते है. कीमत लाखों में जा पहुंची है. कोई-कोई बैलजोडी 3 लाख रूपए तक हो जाती है.
* उपकरणों से विविध लाभ
किसानों को कृषि उपकरणों से विविध लाभ की अनेक योजनाएं है. जिसमें ट्रैक्टर, ट्रॉली, मिनी ट्रैक्टर आदि खरीद सकते है. अनेक किसानों ने योजना का लाभ लिया है. इससे वे खेतीवाडी के काम कर रहे है.
– अनिल खर्चान, उप संचालक कृषि
बैल खरीदना, संभालना खर्चीला
घर की खेती रहने से चारा- पानी की समस्या नहीं होती. इसके अलावा घर के ही सभी लोग काम करते है तो मजदूरी का खर्च बचता है.
– रोशन देशमुख, किसान
ट्रैक्टर से कम समय और कम पैसे में खेती के काम होते है. इसकी तुलना में बैलों का रखरखाव खर्चीला है.
– प्रवीण धर्माले, किसान