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अमरावती/दि.10-गुरु बिना मानव जीवन को सही मार्ग नहीं मिल सकता. माघ कृष्ण प्रतिपदा तिथि को श्री गुरु प्रतिपदा कहा जाता है, उसका कारण भी वैसा ही है. श्री दत्तात्रेय के दूसरे अवतार भगवान श्री नरसिंह सरस्वती स्वामी महाराज ने इसी शुभ तिथि पर शैलयगमन प्राप्त किया था, ऐसा माना जाता है कि गुरु प्रतिपदा के दिन नरसिंह सरस्वती स्वामी महाराज कर्डली वन में एकांतवास में चले गए थे. एकांतवास में जाते समय स्वामी ने अपनी निर्गुण पादुकाओं को श्रीक्षेत्र गंगापुर में सेवा के लिए रख दिया था. गुरु प्रतिपदा दिवस के अवसर पर श्री स्वामी समर्थ केंद्र रहटगांव में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भव्य भजन एवं पूजन का आयोजन किया जाएगा.
भगवान श्री गुरु नृसिंह सरस्वती स्वामी महाराज के साक्षात स्वरूप इन तीन पादुकाओं के विशेष नाम हैं. भगवान के चले जाने से दु:खी चौसठ योगिनियों को सांत्वना देते हुए स्वामी महाराज कहते हैं कि जो भी भक्त आप योगिनियों के साथ मिलकर सच्चे मन से हमारी सुन्दर पादुकाओं की पूजा व सेवा करेगा, उसे अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. भगवान श्री नरसिंह सरस्वती महाराज शैलयगमन में प्रवेश करने से पूर्व अपने भक्तों को अपना अभ्यवचन देते हुए कहते हैं, कल्प वृक्ष की पूजा करो. चौबीस वर्षों तक गाणगापुर में निवास करने के पश्चात् उन्होंने इसी शुभ दिन अपनी निर्गुण पादुका की स्थापना की और श्रीशैल मल्लिकार्जुन क्षेत्र में जाकर लौकिक भाव से अन्तर्धान हो गए. इस कार्यक्रम का श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में लाभ उठाने की अपील आयोजकों की ओर से की गई है.