भक्ति के साथ सेवा का आदर्श पेश करता है श्रीकृष्ण गणेशोत्सव मंडल
शहर में पहली बार चरणसेवा की परंपरा शुरू की
कोविड काल में झांकी पर खर्च होनेवाली निधी मरीजों की सेवा में अर्पित की
अमरावती- /दि.25 देश को आजादी मिलने के 13 वर्ष बाद सन 1960 में पहली बार श्रीकृष्ण पेठ परिसरवासियों द्वारा श्रीकृष्ण गणेशोत्सव मंडल की स्थापना करते हुए बडी धूमधाम से सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया गया था और यह परंपरा आज 63 वर्ष बाद भी चली आ रही है. स्वाधीनता संग्राम एवं आजादी की नई सुबह के मुहाने पर स्थापित इस गणेशोत्सव मंडल ने अपने मूल्यों व संस्कारों को आगे बढाते हुए गणेश भक्ति के साथ-साथ सेवा के आदर्श भी पेश किये. जिसके तहत गणेशोत्सव मंडल को भेंट देनेवाले भाविक श्रध्दालुओं के चप्पल-जुते अपने हाथों से उठाकर उन्हें चरणसेवा प्रदान करने की परंपरा सबसे पहले श्रीकृष्णपेठ गणेशोत्सव मंडल में ही शुरू की गई और आगे चलकर इस शालीन परंपरा का पालन शहर के अन्य गणेशोत्सव मंडलों ने करना शुरू किया.
श्रीकृष्ण पेठ परिसर में रहनेवाले देवराज बोथरा, बालासाहब चिमोटे, पांढरीकर, सुधाकर सवालाखे, डॉ. पडोले, रहाटगांवकर, गुडधे पाटील, धामोरीकर, अग्रवाल तथा तत्कालीन नगरसेवक बियाणी सहित इस परिसर के नागरिकों द्वारा वर्ष 1963 में सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की गई. जो साल-दर साल अनवरत चलती आ रही है. साथ ही इस गणेशोत्सव मंडल द्वारा प्रति वर्ष ऐसे धार्मिक स्थलों की हुबेहुब प्रतिकृति साकार की जाती है. जिन धार्मिक स्थलों पर भाविक श्रध्दालुओं की अच्छी-खासी भीडभाड रहती है. ऐसे धार्मिक स्थलों की प्रतिकृति साकार करने के साथ ही मंडल के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा मंडल में पूरे दस दिनों तक उस धार्मिक स्थल की दैनिक पूजा-अर्चना के नियमोें का बेहद कडाई के साथ पालन किया जाता है. इसके तहत अब तक श्रीकृष्णपेठ गणेशोत्सव मंडल में देश के अलग-अलग ख्यातनाम व प्रसिध्द धार्मिक स्थलों की प्रतिकृतियों को साकार करने के साथ ही कई ऐतिहासिक स्थानों की प्रतिकृतियों को भी साकार किया जा चुका है.
चरणसेवा रही हैरत का विषय
श्रीकृष्ण पेठ गणेशोत्सव मंडल में वर्ष 2007 में मुंबई स्थित श्री सिध्दीविनायक मंदिर की झांकी साकार की गई थी और उसी वर्ष से सबसे पहले चरणसेवा शुरू की गई. जिसके तहत मंडल के युवा सदस्य स्वयंस्फूर्त रूप से आगे बढकर भाविक श्रध्दालुओं के चप्पल-जुते संभाला करते थे और उन्हें जमीन से उठाकर एक ओर करीने से सजाकर रखते थे. श्रीकृष्ण पेठ परिसर में रहनेवाले संभ्रांत परिवारों के बच्चों को चरणसेवा प्रदान करता देख हर कोई आश्चर्य में पड जाता था.
ये झांकियां रही अविस्मरणीय
श्रीकृष्ण पेठ गणेशोत्सव मंडल द्वारा विगत 63 वर्षों के दौरान कई नामांकित स्थानों की झांकियां साकार की गई है. जिसमें से सिध्दीविनायक, बल्लालेश्वर, धुंदी विनायक, चिंतामणी, गिरीजात्मक, विघ्नेश्वर, दगडूसेठ हलवाई, गणपती पुले व जयपुर स्थित मोतीडूंगरी मंदिर की झांकियां अविस्मरणीय कही जा सकती है.
इस बार होगी महाड गणपति की स्थापना
श्रीकृष्ण पेठ गणेशोत्सव मंडल में इस वर्ष महाड के गणपति की प्रतिकृति साकार की जायेगी. जिसके लिए मूर्तिकार जिराफे द्वारा ‘श्री’ की मूर्ति मिट्टी से साकार की जा रही है. इसके साथ ही यहां पर झांकि की साज-सज्जा मंगेश गीते, सभामंडप की साज-सज्जा पवन आसोपा तथा तकनीकी कामकाज केजर चौधरी द्वारा किया जा रहा है.
कोविड काल में पेश किया आदर्श
कोविड की संक्रामक महामारी के दौरान श्रीकृष्ण पेठ गणेशोत्सव मंडल ने प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन करते हुए बडे ही सादे ढंग से गणेशोत्सव का पर्व मनाया. उल्लेखनीय है कि, श्रीकृष्ण पेठ परिसर के एक ओर जिला सामान्य अस्पताल तथा दूसरी ओर जिला स्त्री अस्पताल व सुपर स्पेशालीटी अस्पताल है. ऐसे में इस परिसर के नागरिकों ने इन अस्पतालों में भरती रहनेवाले मरीजों व उनके परिजनों के लिए पूरे एक माह तक भोजन की व्यवस्था की और झांकियों व प्रतिकृतियों पर खर्च होनेवाले पैसों से रोजाना करीब 250 लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई. जिससे बाहरगांव से आये मरीजों के रिश्तेदारों एवं स्वास्थ्य परिचारकों को अच्छी-खासी सुविधा मिली.
बॉक्स, फोटो कोमल बोथरा
विगत दो वर्षों के दौरान गणेशोत्सव का पर्व धूमधाम के साथ नहीं मनाया जा सका. ऐसे में इस वर्ष गणेशोत्सव को लेकर अच्छाखासा उत्साह है. इस वर्ष अष्टविनायक में से एक रहनेवाले महाड स्थित श्री वरदविनायक की प्रतिकृति स्थापित की जायेगी. सबसे खास बात यह है कि, हमारे मंडल द्वारा गणेश स्थापना के समय जुलुस व शोभायात्रा पर होनेवाले खर्च में कटौती की गई है, ताकि लोगों से चंदे के तौर पर प्राप्त धनराशि व्यर्थ ही खर्च न हो, बल्कि हम इस धनराशि का सदुपयोग करते हुए इस धार्मिक पर्व के साथ-साथ कुछ सामाजिक काम भी कर पाये.
– कोमल बोथरा
मार्गदर्शक, श्रीकृष्ण पेठ गणेशोत्सव मंडल
12 वर्ष से देशमुख दम्पति के हाथों हो रही श्रीं की स्थापना
श्रीकृष्ण गणेशोत्सव मंडल में विगत 12 वर्षों से पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख व उनकी पत्नी सोनाली देशमुख द्वारा गणेश स्थापनावाले दिन श्रीं की मूर्ति पूरे विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करते हुए स्थापित की जाती है. इस वर्ष भी डॉ. देशमुख दम्पति के हाथों ही श्रीकृष्णपेठ गणेशोत्सव मंडल में श्रीं की स्थापना की जायेगी.
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* इस वर्ष ऐसी है मंडल की कार्यकारिणी
अध्यक्ष गोपाल झंवर, उपाध्यक्ष आदित्य कोठारी व रोहन चिमोटे, सचिव सुनील अग्रवाल, सहसचिव श्रेणिक बोथरा, कोषाध्यक्ष गौरव लुणावत, मार्गदर्शक कोमल बोथरा, मिलींद चिमोटे, सुनील पडोले, मंगेश गुडधे, संतोष अग्रवाल, धीरेंद्र धामोरीकर, सोहन कलंत्री,
दस दिनों तक शालेय विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है अथर्वशीर्ष पठन
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, श्रीकृष्ण पेठ गणेशोत्सव मंडल में गणेशोत्सव के दौरान पूरे दस दिनों तक अथर्वशीर्ष का पठन आयोजीत किया जाता है. जिसमें शालेय विद्यार्थियों द्वारा पूरे मनोयोग से हिस्सा लिया जाता है और सभी बच्चे बडे उत्साह के साथ अथर्वशीर्ष का पठन करते है. इस आयोजन के जरिये श्रीकृष्णपेठ गणेशोत्सव मंडल द्वारा नई पीढी को अपने धार्मिक संस्कारों के साथ जोडने का काम किया जाता है.