दिव्यांग धीरज की साइकिल से श्रीनगर-कन्याकुमारी यात्रा
एक हाथ और पैर न रहने के बावजूद जिद्द कायम
* स्पर्धा में भारत का एकमात्र दिव्यांग
अकोट/दि.2– एक हाथ व पैन न रहते हुए आत्मविश्वास, जिद्द के बल पर दिव्यांगता पर मात करते हुए अकोट के 23 वर्षीय धीरज बंडू कलसाईत नामक युवक रेस अक्रॉस इंडिया स्पर्धा में कश्मीर से कन्याकुमारी साइकिल यात्रा कर रहा है. 1 मार्च को श्रीनगर लाल चौक से वह रवाना हुआ है.
धीरज यह अकोला जिले के अकोट का निवासी है. कश्मीर से कन्याकुमारी यह 3651 किमी की दूरी कुछ दिनों में ही पूरी कर गिनिज बुक में अपना नाम दर्ज करने का लक्ष्य उसका है. उसके इस अभियान में अनेको ने सहायता का हाथ देते हुए उसका मनोबल बढाया है. अकोट निवासी धीरज कलसाईत ने इस अभियान में शामिल होने के पूर्व हर दिन 300 किमी साइकलिंग का प्रशिक्षण लिया है. श्रीनगर से निकली इस साइकलिंग स्पर्धा में धीरज भारत के करीबन 11 राज्य और 25 महत्वपूर्ण शहर से जानेवाला है. साइकलिंग करते हुए वह अपना सपना पूरा करने रवाना हुआ है. हर दिन साइकलिंग करते हुए धीरज पर सेटेलाइट तथा अन्य यंत्रणा के जरिए नजर रखी जाने वाली है. धीरज के इस अभियान में नागरिकों समेत विविध शहरों के दानवीरों ने सहायता का हाथ बढाते हुए सपना पूरा करने सहयोग किया है. इस अभियान में संपूर्ण भारत से द्रूतगति से साइकलिंग करने वाले विविध क्षेत्र के स्पर्धक शामिल हुए है.
* आर्थिक स्थिति हलाकान
धीरज कलसाईत के परिवार की आर्थिक स्थिति हलाकान है. माता-पिता, भाई, बहन मजदूरी का काम कर परिवार का पेट भरते है. धीरज ने आर्थिक संकट का सामना करते हुए 12 विज्ञान शाखा का शिक्षण पूर्ण किया है. धीरज ने अपना एक पैर जन्म से नहीं बल्कि दुर्घटना में खोया है.
* अनेक रिकॉर्ड धीरज के नाम पर
धीरज ने इसके पूर्व भी महाराष्ट्र के सर्वोच्च शिखर कलसूबाई समेत अन्य शिखर पर चढाई की है. आंतरराष्ट्रीय स्तर पर धीरज ने रशिया के हिमशिखर माउंट एल्ब्रूज व दक्षिण अफ्रिका के माउंट किलीमंजारो नामक हिमशिखर पर चढकर तिरंगा लहराया है. यह रिकॉर्ड इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और महाराष्ट्र बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.