अमरावती

एसटी कंडक्टर को मारपीट करने के आरोप से बरी

अमरावती/दि.28– एसटी महामंडल की बस में सफर के दौरान बस कंडक्टर के साथ हुई मारपीट के आरोप से अदालत ने आरोपी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया.
जानकारी के मुताबिक 3 जून 2019 को एसटी बस कंडक्टर मंगेश नामदेवराव कोलटक्के यह दर्यापुर डिपो से एसटी बस क्रमांक एमएच-40/वाय-5234 लेकर नागपुर की तरफ रवाना हुए थे. यह बस मोर्शी बस स्टैंड पहुंचने के बाद वरुड की तरफ रवाना हुई. उस समय बस में सूरज तायडे नामक यात्री भी बैठा था. उसे जरुड बस स्टैंड उतरना था. लेकिन इस बस का जरुड में स्टॉपेज नहीं था. लेकिन फिर भी जब बस जरुड पहुंची, तब सूरज तायडे ने बस की घंटी बार-बार बजाकर उसे रोका. इस बात पर से कंडक्टर मंगेश कोलटक्के और सूरज तायडे के बीच विवाद हो गया. आरोपी सूरज तायडे ने बस कंडक्टर के गाल पर चाटे रसीद दिए और शर्ट की जेब फाड दी. मामले की शिकायत वरुड थाने में दर्ज करने पर पुलिस ने सुरज तायडे के खिलाफ धारा 353, 332, 186, 504, 506 के तहत मामला दर्ज कर जांच के बाद चार्जशीट अदालत में दायर की. इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की तरफ से कुल 9 गवाहों को परखा गया. बचाव पक्ष की तरफ से एड. अनिल विश्वकर्मा का युक्तिवाद सुनने के बाद द्रूतगति न्यायालय क्रमांक-1 ने सबूतों के अभाव में आरोपी को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया.

आरोपी का बचाव ऐसा था कि, जांच के दौरान आरोपी की पहचान परेड नहीं की गई. एसटी महामंडल कर्मचारियों के अलावा अन्य कोई भी गवाह नहीं था. साथ ही इस बस में जरुड के यात्री भी बैठे थे. इस कारण यह सिद्ध होता है कि, इस बस का जरुड में स्टॉपेज था. लेकिन एसटी बस कंडक्टर द्वारा जरुड में बस न रोकने से उपरोक्त घटना किसी अन्य आरोपी ने की थी और एसटी बस कंडक्टर ने खुद को बचाने के लिए सूरज तायडे के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दी थी. बचाव पक्ष का युक्तिवाद ग्राह्य मानकर अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया. आरोपी की तरफ से एड. अनिल विश्वकर्मा ने काम संभाला. उन्हें एड. अनिरुद्ध लढ्ढा, एड. नम्रता साहू और एड. ऋतुराज भोरे ने सहायता की.

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