अमरावती

एसटी के कर्मचारी हुए कर्जबाजारी

अमरावती/दि.2 – राज्य परिवहन मंडल को राज्य की सरकारी सेवा में शामिल किये जाने की मांग को लेकर विगत नवंबर माह से एसटी कर्मचारी हडताल पर है और यह हडताल लगातार जारी है. इसकी वजह से जहां एक ओर राज्य परिवहन निगम को लाखों-करोडों रूपयों का राजस्व घाटा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर विगत करीब तीन-चार माह से वेतन नहीं मिलने के चलते अब हडताल पर अडे हुए रापनि कर्मचारी धीरे-धीरे कर्जबाजारी होने लगे है. क्योंकि परिवार की जरूरतों को पूरा करने हेतु वे अपने पल्ले का पूरा पैसा खर्च कर चुके है और अब उन्हें इधर-उधर से उधार प्राप्त करते हुए अपना काम चलाना पड रहा है, लेकिन अब उधार मिलना भी मुश्किल हो गया है और कर्ज की राशि भी काफी अधिक बढ गई है. जिससे खर्च चलाना और भी अधिक मुश्किल हो चला है.
उल्लेखनीय है कि, विगत अक्तूबर-नवंबर माह से सरकारी सेवा में विलीनीकरण की मांग को लेकर रापनि कर्मियों द्वारा अपनी हडताल शुरू की गई. जिसके बाद राज्य सरकार ने अगले करीब एक-डेढ माह तक उनकी मान-मनोव्वल करते हुए उन्हें काम पर लौट आने का आवाहन किया. साथ ही वेतन वृध्दि देने की भी घोषणा की. जिसके पश्चात रापनि के कई कर्मचारी काम पर वापिस भी लौटे. हालांकि इसमें प्रशासनिक व यांत्रिक विभाग के कर्मचारियों की संख्या अधिक थी और अब भी अधिकांश बस चालक व वाहक हडताल पर ही है. जिसके चलते रापनि की बससेवाएं अब भी पहले की तरह नियमित नहीं हो पायी है और अधिकांश मार्गों पर बस फेरियां पूरी तरह से बंद पडी है. इसी दौरान सरकारी आवाहन की अनदेखी करनेवाले कर्मचारियों के खिलाफ रापनि द्वारा निलंबन व निष्कासन की कार्रवाई करनी शुरू कर दी गई है.

क्या कहते हैं आंकडे?

आगार – 8
कुल कर्मचारी – 2,404
निष्कासित – 444
निलंबीत – 404
नोटीस – 200
काम पर लौटे – 550

हडताल के तीन माह

नवंबर माह के दौरान अमरावती विभाग के आठों आगारों के कर्मचारी हडताल में शामिल हुए और अब हडताल शुरू होकर 100 दिन बीत जाने के बावजूद हडताल खत्म नहीं हुई है.
– हडताल के शुरूआती एक माह के दौरान बस सेवा पूरी तरह से ठप्प थी. जिसके बाद जैसे-जैसे कुछ कर्मचारी काम पर लौटे, तो उपलब्ध कर्मचारियों की संख्या के अनुसार बसें शुरू की गई तथा इस समय 20 फीसद बसें चल रही है.
– इस हडताल की पूरी कालावधी के दौरान कई कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन व निष्कासन की कार्रवाई हुई है. साथ ही कई कर्मचारी राडार पर है.

पहले दिन 2 हजार और अब 1,450 कर्मी हडताल पर

रापनि कर्मचारियों द्वारा 4 नवंबर को हडताल शुरू की गई थी. उस समय कुल 2 हजार 404 कर्मचारियों में से करीब 400 कर्मचारी काम पर ही थे और 2 हजार कर्मचारियों द्वारा हडताल शुरू की गई थी. इसके पश्चात धीरे-धीरे करीब 550 कर्मचारी भी हडताल छोडकर काम पर वापिस लौट आये. हालांकि इनमें अधिकांश कर्मचारी यांत्रिक व प्रशासनिक विभाग के है. वहीं हडताल पर अडे हुए 1 हजार 450 कर्मचारियों में ज्यादातर वाहक व चालक है. जिसकी वजह से रापनि की बस सेवा अब भी सामान्य नहीं हो पायी है.

वेतन बंद, कर्ज निकालकर भरते है पेट

विगत तीन माह से हडताल पर रहने के चलते ‘काम नहीं, तो दाम नहीं’ के मुताबिक वेतन मिलना बंद हो गया है. शुरूआती दौर में हडताल को लेकर अच्छा-खासा जोश रहते समय समय-समय पर आपसी चंदा जमा करते हुए समय व जरूरत के अनुसार एक-दूसरे की मदद की गई. लेकिन अब उधार लेने व घर की वस्तुएं गिरवी रखने की नौबत आन पडी है. घर खर्च, दवाखाने, पढाई-लिखाई आदि पर होनेवाले खर्च चलाने के लिए समय-समय पर लिये गये उधार की वजह से अब कर्ज का पहाड लगातार बढता जा रहा है. आज नहीं, तो कल हडताल खत्म हो जायेगी, यह उम्मीद लेकर कई कर्मचारियों द्वारा बैंकोें के साथ-साथ निजी साहूकारों से कर्ज उठाया जा रहा है. वहीं विगत तीन-साढे तीन माह से हाथ में कोई काम नहीं रहने के चलते कई रापनि कर्मचारी अब निराशा, तनाव व अवसाद का भी शिकार हो रहे है. जिससे अब कई सामाजिक समस्याएं भी पैदा हो सकती है.

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