अमरावती/दि.2-महानगरपालिका ने 300 टन प्रतिदिन (टीपीडी) क्षमता का घनकचरा प्रक्रिया प्रकल्प कार्यान्वित किया है, बावजूद यहां पर परंपरागत जमा किया गया शहर का घनकचरा है और उसका बायोमायनिंग मनपा ने प्रस्तावित किया है. जैवीकरण शेष रहा परंपरागत जमा कचरा पर्यावरणीय समस्या निर्माण किए जाने बाबत निरीक्षण महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज किया गया है.
अमरावती महानगरपालिका क्षेत्र में करीबन 6.48 लाख लोगों का घनकचरा निर्माण होता है. मनपा ने शहर के घनकचरे पर प्रक्रिया करने के लिए सुकली में जगह उपलब्ध करवायी है. शहर का घनकचरा निर्मिती 250 टन हर रोज है. मनपा ने दो प्रक्रिया सुविधा बनाई है. एक 200 टीपीडी क्षमता की सुकली में, वहीं दूसरी 100 टीपीडी क्षमता की प्रक्रिया सुविधा अकोली में है. तीसरी 50 टीपीडी क्षमता की सुविधा कोंडेश्वर में प्रस्तावित है. फिलहाल यहां पर गत अनेक वर्षों से कचरा जमा है. उसका बायोमायनिंग प्रस्तावित है. जैवीकरण बाकी रहने वाला कचरा पर्यावरणीय समस्या निर्माण कर रहा है. मनपा द्वारा कचरा डिपो पर लीचेट संकलन एवं प्रक्रिया प्रणाली उचित तरीके से तैयार नहीं की गई. वहीं वह अधूरी दिखाई दे रही है. जिसके चलते पर्यावरण विषयक प्रश्न निर्माण होने का ठपका महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने मनपा पर लगाया है.
मनपा क्षेत्र के शेष परंपरागत कचरे का जैवीकरण युद्धस्तर पर करना आवश्यक है. ऐसा मत प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा व्यक्त किया गया है.
कचरा व्यवस्थापन यानि सिर्फ कचरा एकत्रित कर उसे जलाना या विल्हेवाट लगाना ही नहीं, बल्कि कचरा जमा कर उसका वर्गीकरण कर उसका पुनः इस्तेमाल या उस पर प्रक्रिया द्वारा शास्त्रोक्त पद्धति से विल्हेवाट लगाना है. इसके लिए सरकार द्वारा बनाए गए कानून एवं नियमों को अमल में लाने की जिम्मेदारी होने की बात स्पष्ट की गई है. कचरे पर प्रक्रिया कर उसे शास्त्रोक्त पद्धति से उपयोग में लाया जाता है. लेकिन कचरे के बढ़ते प्रमाण को ध्यान में रखते हुए प्रशासन के सामने आव्हान निर्माण होने की स्पष्ट किया या है
गीला व सूखा इस तरह वर्गीकरण न करते हुए इस कचरे को वाहन द्वारा सुकली कंपोस्ट डेपो में जमा किए जाने से यहां पर कचरे का मानो पहाड़ बन गया है. वहां पर सात से आठ लाख टन कचरा प्रक्रिया के बगैर पड़ा है. उस और हर दिन निकलने वाले 200 से 300 टन कचरा और जमा हो रहा है. सुकली के कंपोस्ट डेपो के कचरा संचयन की मर्यादा खत्म होने के कारण अनेक भागों में रास्ते पर ही कचरा जमा किया जा रहा है.
* पानी के स्त्रोत पर भी असर
मनपा परिसर में नये से समाविष्ट किए गए गांवों के कारण हर रोज निर्माण होने वाले कचरे में वृद्धि हुई है. फिलहाल कचरा में ई-कचरा, घनकचरा, अन्न पदार्थ ऐसे विविध प्रकार के कचरे का समावेश है. सुकली व समीप के कुछ भागों का पानी का स्त्रोत भी दूषित होने की बात ध्यान में आयी है. मनपा प्रशासन ने कचरा की समस्या हल करनी चाहिए, ऐसी उम्मीद शहरवासियों द्वारा की जा रही है.