सरकारी कार्यालयों में प्रतिज्ञापत्र हेतु मुद्रांक शुल्क माफ
सरकारी आदेश पहुंचा, जिलाधीश के जरिए एसडीओ व तहसीलदारों को जारी होगा निर्देश
अमरावती/दि.4– सरकारी कार्यालयों व अदालत के समक्ष पेश किये जाने वाले प्रतिज्ञापत्रों हेतु लगने वाले मुद्रांक शुल्क को राज्य सरकार द्वारा पूरी तरह से माफ कर दिया गया है. जिसके चलते मुद्रांक की मांग न की जाये, ऐसा पत्र पंजीयन महानिरीक्षक तथा मुद्रांक निरीक्षक द्वारा राज्य के सभी जिलाधिकारियों के नाम विगत गुरुवार को जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि, जिलाधिकारी द्वारा अपने अधिनस्थ सभी एसडीओ व तहसीलदारों को इस संदर्भ में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये जाये.
बता दें कि, शैक्षणिक, सरकारी अधिकारी, सरकारी कार्यालय व अदालत से संबंधित कामकाज हेतु दाखिल किये जाने वाले सभी तरह के प्रतिज्ञापत्रों पर आकार योग्य रहने वाले मुद्रांक शुल्क को इससे पहले ही माफ कर दिया गया है और इन कामों के लिए मुद्रांक खरीदने की आवश्यकता नहीं रहने की बात पंजीयन महानिरीक्षक व मुद्रांक नियंत्रक द्वारा इससे पहले भी स्पष्ट कर दी गई है. इसके बावजूद सरकारी कामकाज के लिए ई-सेवा केंद्रों में 500 रुपए के स्टैम्प पेपर की मांग किये जाने के मामले लगातार सामने आ रहे है. जिसे ध्यान में रखते हुए अब पंजीयन महानिरीक्षक व मुद्रांक निरीक्षक द्वारा विगत गुरुवार को एक नया आदेश पत्र जारी किया गया है.
* इन कामों हेतु मुद्रांक शुल्क माफ
सरकारी कार्यालयों में जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, निवासी प्रमाणपत्र, राष्ट्रीयत्व प्रमाणपत्र हासिल करने हेतु सरकारी अधिकारियों के समक्ष दाखिल किये जाने वाले अन्य सभी तरह के प्रतिज्ञापत्रों पर महाराष्ट्र मुद्रांक अधिनियमानुसार आकारयोग्य रहने वाले मुद्रांक शुल्क को माफ किया गया है. इसके अलावा कुछ प्रमाणपत्रों हेतु 100 व 200 रुपए की बजाय 500 रुपयों का मुद्रांक शुल्क किये जाने का संशोधन 14 अक्तूबर को जारी सरकारी गैजेट में किया गया है.
* शैक्षणिक कामों सहित सरकारी अधिकारियों व अदालतों के समक्ष दाखिल किये जाने वाले प्रतिज्ञापत्रों पर लगने वाले मुद्रांक शुल्क को सरकार ने माफ कर दिया है. हालांकि इसके बावजूद कुछ सेतू केंद्र संचालकों व सरकारी अधिकारियों द्वारा आम जनता को प्रतिज्ञापत्रों पर मुद्रांक शुल्क लगाने हेतु कहा जा रहा है. जबकि ऐसा करना पूरी तरह से गलत व सरकारी निर्णय का अपमान है.
– अनिल औतकर,
मुद्रांक जिलाधिकारी.