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मिसअंडरस्टैंडिंग से बैकफुट पर गई ‘स्टैंडिंग’

विपक्षियोें के साथ ही खुद अपनोें ने भी बिगाडा गणित

* दो पूर्व महापौरों के सामने पूरा सत्ता पक्ष हुआ ढेर
अमरावती/दि.19– दो दिन पूर्व हुई मनपा की आमसभा को कई मायनों में ऐतिहासिक व अविस्मरणीय कहा जा सकता है. इस आमसभा में जहां दो दलों के गुट नेता एक-दूसरे से मारापीटी करने तक भिड गये, वहीं बिना आगा-पीछा सोचे-समझे आमसभा द्वारा सर्वसम्मति के साथ राजापेठ रेलवे उडानपुल पर छत्रपति शिवाजी महाराज व छत्रपति संभाजी महाराज के पुतले स्थापित करने को मंजुरी दी गई है. इसके अलावा इस आमसभा में स्टैंडिंग की ओर से मंजुरी हेतु भेजा साफ-सफाई के ठेके से संबंधित मसला भी जमकर गूंजा. किंतु स्टैंडिंग द्वारा भेजे गये इस प्रस्ताव के पीछे चल रही ‘मिसअंडरस्टैंडिंग’ समय रहते ख्याल में आ जाने की वजह से विरोधियोें के साथ-साथ सत्ता पक्ष ने भी इस प्रस्ताव की गेंद को वापिस भेज दिया और स्टैंडिंग की आपसी अंडरस्टैंडिंग को समझते हुए इस गणित को जमने से पहले ही बिगाड दिया.
बता दें कि, गुरूवार को हुई आमसभा में दो गुट नेताओं के बीच हुई मारपीट व हाथापायी की मुख्य वजह साफ-सफाई के ठेके से संबंधित मामला ही था. किंतु गुरूवार को सदन के भीतर हुए हायवोल्टेज ड्रामे के पीछे की कहानी ज्यादातर लोगों को अगले दिन समझ में आयी. जब स्थायी की बैठक में हुई खास चर्चा का हवाला देकर कई लोगों ने उस झगडे के पीछे की असली वजह को जाना. जारी चर्चा के मुताबिक स्थायी समिती हकीकत में यह प्रस्ताव देना ही नहीं चाहती थी. किंतु एक सदस्य द्वारा इस प्रस्ताव के पीछे रहनेवाला ‘अर्थ’कारण समझाये जाने के चलते समय पर आपसी अंडरस्टैंडिंग से स्टैंडिंग में यह प्रस्ताव पेश करते हुए पारित किया गया. जिसे बेहद जल्दबाजी में आमसभा के समक्ष मंजुरी हेतु भेजा गया. ऐसा करने के साथ ही स्टैंडिंग का हिस्सा रहनेवाले कुछ सदस्यों को यह मिसअंडरस्टैंडिंग थी कि, साफ-सफाई से संबधित इस विषय को लेकर नई निविदा के प्रस्ताव को वे आसानी से मंजूर करवा लेंगे और चूंकि अब चार सदस्यीय प्रभाग पध्दति की बजाय नये सिरे से तीन सदस्यीय प्रभाग पध्दति अमल में लायी जा रही है. अत: इसकी आड लेकर उनका यह दांव सफल भी हो जायेगा, लेकिन यह दांव उस समय उलटा पड गया, जब विगत लंबे समय से मनपा का हिस्सा रहनेवाले वरिष्ठ पार्षद व पूर्व महापौर विलास इंगोले व मिलींद चिमोटे ने एक बडी गडबडी पकड ली. जिसके मुताबिक इस प्रस्ताव को कानूनी रूप से बिल्कुल सही दर्शाने हेतु यह बात छिपा ली गई कि, जिन ठेकेदारों के साथ मनपा उपायुक्त के हस्ताक्षर से पांच वर्ष का करारनामा किया गया है, उस करारनामे को खत्म किये बिना नई प्रभाग पध्दति के अनुसार निविदा प्रक्रिया नहीं की जा सकती और ऐसा करना नियमसंगत भी नहीं होगा. इस बेहद महत्वपूर्ण तथ्य को दोनों पूर्व महापौरों द्वारा उजागर करने के साथ ही कानूनी प्रावधान का उल्लेख किये जाने के चलते सत्ता पक्ष ने भी इस प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाते हुए इसका बोरिया-बिस्तर लपेट दिया. ऐसे में स्टैडिंग द्वारा रखे गये प्रस्ताव के पक्ष व समर्थन में किसी का स्टैंड न देखते हुए स्थायी समिती सभापति भी बैकफुट पर आ गये. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इस समय सदन का हिस्सा रहनेवाले दो पूर्व महापौरों मिलींद चिमोटे व विलास इंगोले द्वारा की गई तूफानी बल्लेबाजी की वजह से स्टैंडिंग की आपसी अंडरस्टैंडिंग व मिसअंडरस्टैंडिंग का खेल पूरी तरह से बिगड गया.

अब बायोमायनिंग की मंजूरी भी खतरे में
* एमआईएम पार्षद अफजल हुसैन ने खुद को मतदान से वंचित रखने का आरोप लगाया
* स्थायी की बैठक में ऑनलाईन तरीके से शामिल थे अफजल हुसैन
* ऐन वोटिंग के समय कनेक्शन हो गया था कट, मतदान ही नहीं कर पाये
वहीं दूसरी ओर अब स्थायी समिती द्वारा सभापति सचिन रासने के कास्टींग वोट के दम पर बायोमायनिंग प्रोजेक्ट के ठेके को दी गई मंजूरी भी खतरे में पडती नजर आ रही है, क्योंकि स्थायी समिती सदस्य रहनेवाले एमआईएम पार्षद ने इस मंजुरी और इसे लेकर किये गये मतदान की वैधता पर सवालियां निशान लगाया है. साथ ही इसे लेकर मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर के पास शिकायत भी दर्ज करायी है.
इस संदर्भ में एमआईएम पार्षद अफजल हुसैन का कहना रहा कि, वे विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ महसूस कर रहे थे. जिसके चलते विगत दिनों हुई स्थायी समिती की बैठक में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित नहीं हो पाये. लेकिन उन्होंने ऑनलाईन तरीके से स्थायी समिती की बैठक में हिस्सा लिया. वे सत्ता पक्ष द्वारा लाये गये प्रस्ताव के पूरी तरह से खिलाफ थे और प्रस्ताव के विरोध में मतदान करना चाहते थे. किंतु जैसे ही मतदान कराये जाने की नौबत आयी, वैसे ही उनका कनेक्शन कट हो गया और वे अकस्मात ही स्थायी समिती की बैठक से बाहर हो गये. बाद में पता चला कि, इस प्रस्ताव के पक्ष व विरोध में 7-7 वोट पडे थे. जिनमें भाजपा के भी दो पार्षदों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की थी और सभापति सचिन रासने द्वारा प्रस्ताव के पक्ष में अपना कास्टिंग वोट डाले जाने के चलते इस प्रस्ताव को मंजुरी मिली थी. उस दिन यदि वे (अफजल हुसैन) भी इस प्रस्ताव के खिलाफ अपना वोट डाल पाते, तो विपक्षी वोटों की संख्या 8 हो जाती, तब कास्टिंग वोट की जरूरत ही नहीं पडती और यह प्रस्ताव बहुमत के आधार पर खारिज हो जाता. ऐसे में उन्हें जानबूझकर ऑनलाईन वोट डालने से रोका गया है. अत: इस प्रक्रिया को रोक कर पूरे मामले की जांच की जाये.
अफजल हुसैन ने यहां तक कहा कि, पहले स्थायी समिती की बैठक ऑनलाईन तरीके से ही बुलाई गई थी, लेकिन सभापति रासने द्वारा ऐन समय पर सदस्यों को बैठक में उपस्थित रहने हेतु कहा गया और बिना किसी पूर्व सूचना के गैरकानूनी रूप से मतदान भी करवाया गया. जबकि ऐसा करने से पहले सभापति सहित नगर सचिव द्वारा स्थायी समिती के सभी सदस्यों को पहले से सूचित किया जाना था. लेकिन इस मामले में नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन हुआ है. अत: 16 फरवरी को हुई बैठक में लिये गये निर्णयों को खारिज करते हुए यह बैठक दुबारा बुलाई गई.

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