प्रतिनिधि/दि.२८
अमरावती-मराठी श्रावण मास प्रारंभ हो चुका है. पहले ही सोमवार को शिव भक्तोंने भोले बाबा को चावल की लाखोड़ी अर्पित की. श्रावण सोमवार को चावल की लाखोड़ी का अधिक महत्व रहता है.पहले सोमवार को घर-घर में ओम नम: शिवाय के जप मंत्र व महामृत्युजंय ओम त्र्यंबक यजामहे का जाप भी गूंज रहा था. कहा जाता है कि सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चातुर्मास के चार महिने विश्राम करते है. चार महिने सृष्टि की जवाबदारी भगवान शिव के कंधों पर डाल दी जाती है. भगवान शंकर तीस दिन सृष्टि के पालाभार के रूप में पूजे जाते है. श्रावण माह के दौरान भगवान शिव के नामस्मरण से भी भक्तों के दु:ख दूर होते है.
श्रावण माह में भगवान शिव की प्रतिदिन आराधना करने पर भाविको की सभी मनोकामनाए पूर्ण होती हैे. हिन्दी भाषिको के चौथे व मराठी भाषिको के पहले श्रावण सोमवार का प्रारंभ हो चुका है. जिसमें कल घर-घर में भोलेनाथ की आराधना की गई तथा उनके नाम का जॉप कर पूजा अर्चना की. सोमवार को सुबह से ही शिवालयों में स्थित शिव पिंडी पर बेलपत्र अर्पित किए गये. श्रावण माह में बेलपत्र का विशेष महत्व रहता है. इन दिनों घर-घर में ओम नम: शिवाय का भी जॉप किया जा रहा है.
हालाकि कोरोना की पाश्र्वभूमि पर संक्रमण के डर से शहर के धार्मिक प्रतिष्ठान चार मास से बंद है. प्रशाासन द्वारा धार्मिक प्रतिष्ठानों के कपाट खोलने की अनुमति नहीं दी गई है. लेकिन मंदिर के पुजारी और मात्र कुछ ही भाविको की उपस्थिति में श्रावण माह के दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना कर बेलपत्र अर्पित किए जा रहे है. भाविक सुबह से लेकर शाम तक सोमवार का उपवास करते है. उपवास की विधि पूर्ण करने के पश्चात भोले बाबा का नाम स्मरण करते है. जिससे कोरोना के संकट में आत्मबल मिलेगा. स्थित कोंडेश्वर शिवालय, गडगडेश्वर शिवालय, दशहरा मैदान स्थित शिवालय, सतीधाम मंदिर, रामपुरी कैम्प, तपोवनेश्वर महादेव शिवालय में भाविक पूजा अर्चना के लिए जा रहे है. किंतु कोरोना की महामारी को लेकर भाविको की संख्या कम है. मंदिर के प्रवेशद्वार के सामने ही खड़े होकर भाविक आराधना कर रहे है.